परिचय : क्योंकि यह दाल व सब्जी का रंग पीला करता है और भोजन को स्वादिष्ट भी बनाता है। हल्दी 2 प्रकार की होती है। एक लौहे जैसी सख्त दूसरी नर्म व सुगन्धित जोकि मसाले में काम आती है। एक ऐसी भी हल्दी होती है जोकि सिर्फ जंगलों में पाई जाती है जिसे हम आंबा हल्दी भी कहते हैं इसका उपयोग हम मसालों में नहीं करते लेकिन यह खून की खराबी और खुजली को मिटाता है। हल्दी के पौधे जमीन के ऊपर हरे-हरे दिखाई देते हैं। इसके पौधे 2 या 3 फुट ऊंचे होते हैं और पत्ते केले के पत्ते के समान होते हैं। हल्दी की गांठों को जमीन से खोदकर निकाला जाता है और फिर हल्दी को साफ करके मटके में रखकर ऊपर से उसका मुंह बंद करके और आग की धीमी आंच पर पकाया जाता है जिससे इसकी कच्ची गन्ध दूर की जाती है और फिर इसे सुखाकर बेचा जाता है। हल्दी एक फायदेमंद औषधि है। हल्दी किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जा सकती है चाहे वह बच्चा हो, जवान हो, बूढ़ा हो चाहे वह गर्भवती महिला ही क्यों न हो। यह शरीर से खून की गंदगी को दूर करती है और रंग को साफ करती है। हल्दी वात, पित्त और कफ व अन्य रोगों को खत्म करती है। अगर खांसी हो तो हल्दी को गर्म दूध में डालकर पीते हैं। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाती है। हल्दी से कपड़ों को रंगा भी जाता है। हल्दी और चूने को आपस में मिलाकर कुंकुम बनाया जाता है। इससे मधुमेह का रोग भी ठीक हो जाता है। यहां तक कि पुराने जमाने के गुरू, आचार्य और वैद्य तो इसे `मेहहनी´ के नाम से विभूषित करते थे। हल्दी कडुवी, तीखी, सूखी, गर्म, रूखी और शरीर के रंग को साफ बनाने वाली होती है। यह पित्त, त्वचा के रोग, मधुमेह, खून के रोग, सूजन, पीलिया, कुष्ठ, विष और पेट के कीड़े आदि रोगों को खत्म करती है। हल्दी में वातनाशक गुण होता है इसलिए ठंड से होने वाली वात नाड़ी के जलन पर हल्दी खाने के लिए दी जाती है। हल्दी से शरीर की मालिश भी की जाती है। पीलिया और पित्त-प्रमेह में इसका उपयोग होता है। शरीर के भीतरी चोट (गुम चोट) पर हल्दी का उपयोग तो बहुत ही जरूरी होता है। हल्दी में पाये जानेवाले कुछ तत्त्व: तत्त्व मात्रा प्रटीन 6.3% वसा 5.1% कार्बोहाइड्रेट 69.4% लवण 3.5% कैल्शियम 0.15% फांस्फोरस 0.28% लौह 18.6 मि.ग्राम विटामिन-ए 50.U./100 ग्राम विभिन्न भाषाओ में हल्दी का नाम: संस्कृत हरिद्रा, कांचनी। हिन्दी हल्दी। बंगाल हलुद। मराठी हलद। पंजाबी हरदल। कन्नड़ असिना, अरसिना अरबी उरू कुस्सुफ। गुजरात हलदर। फारसी जरदपोप। अंग्रेजी टरमेरिक। लैटिन कुरक्युमा लौगा। रंग : हल्दी का रंग लाल होता है। स्वाद : इसका स्वाद तीखा व तेज होता है। स्वरूप : हल्दी के पत्ते बड़े-बड़े और लंबे होते हैं, इसमें से सुगन्ध आती है। हल्दी के पौधे की जड़ में ही फल पैदा होता है और उसी को हल्दी कहते हैं। स्वभाव : यह गर्म और रूखी होती है। हानिकारक : हल्दी का अधिक मात्रा में उपयोग हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है। दोषों को दूर करना : हल्दी के रस में लेमू मिलाने से हल्दी में व्याप्त दोष दूर हो जाते हैं। तुलना : हल्दी की तुलना ममीरा से कर सकते हैं। मात्रा : 5 ग्राम। विभिन्न रोगों में सहायक : 1. त्वचा के रोग: हल्दी को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर मालिश करें इससे चर्म रोग खत्म हो जाएगा। अगर शरीर में खुश्की (चमड़ी सूख) गई हो तो सरसों के तेल में हल्दी को मिलाकर शरीर पर उसकी मालिश करने से लाभ होता है। 2. हाथ-पैर फटना: कच्चे दूध में पिसी हुई हल्दी मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा मुलायम होती है। इससे हाथ-पैर भी नहीं फटते हैं और यदि फट भी गये हों तो उनमें हल्दी भर दें तो फायदा होगा। 3. चोट लगने पर: चोट लगने पर एक चम्मच हल्दी गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर हो जाती है। चोट लगी जगह पर हल्दी को पानी में मिलाकर उसका लेप लगाएं और अगर चोट ज्यादा गहरा हो तो उसमें हल्दी भर दें इससे चोट जल्द भर जाएगी। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी को खाया जा सकता है। घी, आधा चम्मच सेंधानमक, थोड़ा-सा पानी मिलाकर हलुवा सा बनाकर चोट पर रखकर बांधें। आधा लीटर उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच सेंधानमक डालकर हिलाएं फिर इसमें एक चम्मच हल्दी डालें और बर्तन को उतारकर रख दें जब पानी सेक करने लायक हो जाये तो कपड़ा भिगोकर चोट वाले अंग पर इससें सेंक करें। इससे दर्द में आराम मलेगा। गुम चोट लगने पर एक चम्मच हल्दी गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर होती है। शरीर की टूट-फूट दूर होती है। चोट लगे स्थान पर हल्दी को पानी में गूंथकर लेप करें। चोट से कटकर रक्त बह रहा हो तो उस स्थान पर हल्दी भर दें। इससे चोट पूरी तरह से ठीक हो जाती है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है। दो चम्मच पिसी हुई हल्दी, चार चम्मच गेहूं का आटा, एक चम्मच देशी घी, आधा चम्मच सेंधानमक, थोड़ा-सा पानी मिलाकर हलुवा बनायें। फिर चोट लगे स्थान पर इस हलुवे की पट्टी बांधें। आवश्यकतानुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं। आधा किलो उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालें। बर्तन को उतारकर ढककर रख दें। जब पानी सेंक करने जैसा हो जाए तो कपड़ा भिगोकर चोट लगने वाले अंग को इससे सेंक करें। इससे दर्द दूर हो जाएगा। एक प्याज को पीसकर उसमें हल्दी मिलाकर कपड़े सें बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांध दें। कहीं भी चोट लगी हो या सूजन आ गई हो तो दो भाग पिसी हुई हल्दी, एक भाग चूना मिलाकर लेप करें। इससे दर्द और सूजन दूर हो जायेगी। दस कली लहसुन और आधा चम्मच हल्दी-दोनों को पीसकर एक चम्मच तेल में गर्म करके सूजी हुई जगह पर लेप करके रूई लगाकर पट्टी बांध दें। इससे चोट की सूजन दूर हो जायेगी। पिसी हल्दी 3 ग्राम को दूध से सुबह-शाम लें। इससे दर्द और दूर होती है। कटी हुई जगह पर हल्दी के साथ पिसी फिटकरी या घी भर देने से खून का बहना जल्दी ही बंद हो जाता है। दस कली लहसुन और आधा चम्मच हल्दी-दोनों को पीसकर एक चम्मच तेल में गर्म करके सूजी हुई जगह पर लेप करके रूई लगाकर पट्टी बांध दें। इससे चोट की सूजन दूर हो जायेगी। पिसी हल्दी 3 ग्राम को दूध से सुबह-शाम लें। इससे दर्द और दूर होती है। कटी हुई जगह पर हल्दी के साथ पिसी फिटकरी या घी भर देने से खून का बहना जल्दी ही बंद हो जाता है। 4. हड्डी के टूटने पर: हड्डी के टूटने पर रोज हल्दी का सेवन करने से लाभ मिलता है। एक प्याज को पीसकर एक चम्मच हल्दी मिलाकर कपड़े में बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और इससे फिर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांध दें। हड्डी टूटने पर हल्दी का रोज सेवन करने से लाभ होता है। हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर लगाकर एक बार की टूटी हड्डी तो जल्द ही ठीक हो जाती है मगर जो हड्डी बार-बार टूटी हो उसमें जगह बनने से पानी जमने, सड़ने की संभावना हो सकती है। पिसी हुई हल्दी 1 छोटी चम्मच, एक चम्मच-भर पुराना गुड़ जोकि 1 साल पुराना हो और देशी घी 2 चम्मच-भर लेकर तीनों को 1 कप पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते पानी आधा ही रह जाये, तब इसे थोड़ा ठण्डाकर पी जायें। इस प्रयोग को केवल 15 दिन से 6 महीने तक करने से लाभ नज़र आ जायेगा। 5. दांत दर्द: हल्दी, नमक और सरसों का तेल मिलाकर रोज मंजन करें। इससे दांत मजबूत बनेंगे। हल्दी को आग पर भूनकर बारीक पीस लें। इससे उस दांत को मले जिसमें दर्द हो, इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं। केवल हल्दी का टुकड़ा दांतों के बीच दबाने से भी लाभ पहुंचता है। हल्दी और हींग दोनों को पीसकर जरा-सा पानी डालकर गोली बना लें और जिस दांत में दर्द हो उसके नीचे इसे दबा लें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों व मसूढ़ों पर दिन में 2 से 3 बार मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं एवं दर्द दूर होता है। 6. गर्भ निरोध: हल्दी की गांठे पीसकर कपड़े में छान लें। फिर इसे 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें। गर्भ निरोध का यह सबसे सस्ता उपाय है। 7. गैस: पेट में जब गैस भर जाती है तो बहुत दर्द होता है। ऐसी स्थित में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी से लें। हल्दी और सेंधानमक को पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है। 8. गठिया: गठिया के रोग में हल्दी के लड्डू खाने से लाभ होता है। 9. घाव में कीड़े: घाव पर पिसी हुई हल्दी लगाने से ही घाव के कीड़े मर जाते हैं और घाव भी जल्द भर जाता है। 10. घबराहट: घबराहट हो तो हल्दी और नमक को गर्म पानी में घोलकर पियें और खांसी अगर पुरानी हो तो हल्दी के 4-चम्मच हल्दी में आधा चम्मच शहद मिलाकर खाएं। 11. कफ: आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध के संग लेने से कफ निकल जाता है। कफ (बलगम) जम जाने के कारण सांस लेने मे छाती कांपती हो तो गाय के मूत्र में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है। श्लेश्मा, रेशा गिरता हो तो आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध से लेना चाहिए। जुकाम, दमा में कफ (बलगम) गिरता हो तो रोज तीन बार 2 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लेना चाहिए। 12. जलन: हल्दी को पानी में घोलकर जले हुए स्थान पर लेप लगायें सूखने पर बार-बार लेप करें इस प्रयोग से जले हुए में लाभ होता है। 13. स्तनों में सूजन या गांठ: हल्दी पाउडर को ग्वारपाठे के रस में मिलाकर व उसे गर्म करके स्तनों पर लेप करें इससे स्तनों की सूजन व गांठों में लाभ पहुंचेगा। 14. स्तनों में दर्द: हल्दी की गांठ को पानी में घिसे और स्तनों में लेप करें। इससे स्तनों का दर्द दूर हो जाता है। 15. कण्ठमाला (गले की गांठे): 8 ग्राम हल्दी की फंकी सुबह-शाम दो बार कम से कम जरूर लें। हल्दी की गांठ को पत्थर पर घिसकर लगाएं। इसे कुछ दिनों लगातार प्रयोग करें। इसे गले की गांठे ठीक हो जाती हैं। 8 ग्राम हल्दी की फंकी रोजाना सुबह और शाम दो बार लेने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाता है। 16. दाद: दाद पर दिन में 3-बार और रात को सोते समय हल्दी का लेप करने से दाद ठीक हो जाता है। 17. खुजली: शरीर के पीले रंग के दाने जिसमें मवाद भरी हो और उनमें खुजली हो तो, एक चम्मच हल्दी, एक कप गर्म दूध, चौथाई चम्मच देशी घी, स्वाद के लिए शक्कर डालकर सुबह शाम पियें। 250 मिलीलीटर सरसों के तेल में दूब का रस 500 मिलीलीटर, 250 ग्राम हल्दी को पीसकर सबको लोहे की कड़ाही में डालकर मिला लें तथा गर्म करें। जब उबलने लगे तो उसे छानकर बोतल में भर लें और खुजली होने पर इसे लगाकर मलें। इससे खुजली कुछ दिनों में ठीक हो जायेगी। 18. शरीर पर काले दाग धब्बे: हल्दी की गांठों को पानी में घिसकर लेप करना चाहिए। 19. जुकाम या दमा: कफ गिरता हो तो रोज तीन बार 3 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लें। जुकाम होने पर हल्दी को आग पर डालकर उसका धुंआ सूंघने से ठीक हो जाता है। हल्दी को बालू में सेंककर पीसकर एक चम्मच की मात्रा में दो बार पानी से लें। हल्दी हर प्रकार के सांस रोग में फायदेमंद है। ठंड लगने से अगर जुकाम हुआ है तो एक चम्मच हल्दी को एक कप गर्म दूध के साथ सेवन करने से जुकाम नष्ट हो जाता है। हल्दी की गांठ को हल्का पानी डालकर पीसे उसे गर्म करके माथे पर लगायें यह जुकाम में फायदा करेगा। गर्म दूध में हल्दी, नमक और गुड़ डालकर बच्चों को पिलायें। इससे कफ व जुकाम में फायदा होगा। 20. जोंक के काटने पर खून बहना: जोंक के काटे स्थान से अगर खून बहे तो सूखी पिसी हल्दी भर दें। इससे खून बहना जल्द ही बंद जाता है और कुछ ही दिनों में काटा हुआ स्थान भर जाता है। 21. सूजाक: 8-8 ग्राम पिसी हुई हल्दी की फंकी पानी से दिन में 3-बार लेना चाहिए। 22. मुंह के छाले: 15 ग्राम पिसी हुई हल्दी, 1 किलो पानी में उबालें। उस पानी से रोजाना सुबह-शाम गरारे करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है। 23. बच्चे के जन्म के समय मां की तकलीफ में: 6-ग्राम पिसी हुई हल्दी गर्म दूध में मिलाकर सुबह-शाम गर्भ के 9वें माह में कुछ दिन पिलाएं। 24. अनचाहे बालों का उगना: अगर शरीर में कही भी अनचाहे बाल उगे हो तो हल्दी का लेप लगायें। 25. चेचक: हल्दी और इमली के बीज समान मात्रा में पीसकर चुटकी भर प्रतिदिन 7 दिनों तक लेने से माता (चेचक) नहीं निकलती है। चेचक के निकलने पर इमली के बीज का चूर्ण हल्दी में मिलाकर लेने से चेचक जल्द ही ठीक हो जाता है। चेचक के दानों में अगर घाव हो जाये तो पान के कत्थे को हल्दी के संग सूखा ही छिड़के तो वह ठीक हो जायेगा। 10 ग्राम हल्दी, 5 ग्राम कालीमिर्च और 10 ग्राम मिश्री का बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। फिर तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर उसके साथ इस चूर्ण को रोजाना सुबह-सुबह खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है। हल्दी को पानी में मिलाकर चेचक के दानों पर लगाने से लाभ होता है। 26. सौन्दर्यवर्धक: पिसी हुई हल्दी, चंदन का बुरादा, पिसे हुए हरे नीम के पत्ते प्रत्येक 2-2 चम्मच में लेकर मिला लें और चेहरे पर मलें। इससे चेहरा चमक उठेगा और इस प्रयोग से चेहरे के कील मुंहासें, दाग-धब्बे दूर हो जाएंगे। कुछ हफ्ते लगातार इसे मलने से चेहरे का रंग भी साफ हो जाता है। रात के समय 5 बादाम भिगो लें, फिर इसे सुबह के समय छीलकर पीस लें और इसमें 1 चम्मच हल्दी और 4 चम्मच दही मिलाकर अच्छी तरह मिला लें और चेहरे पर लगायें इससे चेहरा साफ हो जायेगा। चुटकी भर हल्दी, बेसन तथा सरसों का तेल मिलाकर लेप बनायें उसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर चेहरे पर मलें। इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है। 27. पित्ती: 1 चम्मच हल्दी, घी 1 चम्मच, चीनी 2 चम्मच, गेहूं का आटा 2 चम्मच, आधा कप पानी डालकर हलुवा बना लें और इसे रोज सुबह खाकर 1 गिलास दूध पीएं। इससे पित्ती मिट जाती है। इसके आधा चम्मच प्रयोग से भी पित्ती में लाभ होता है। 28. स्थान बदलने पर पानी का असर: हल्दी का चूर्ण और जवाखार बराबर मात्रा में लेकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से अलग-अलग जगहों के पानी का खराब असर नहीं होता है। 29. ठंड से आने वाला बुखार: गर्म दूध में हल्दी और कालीमिर्च मिलाकर पीने से ठंड से आने वाले बुखार ठीक हो जाते हैं। 30. स्वरभंग (गला बैठ जाना): गर्म दूध में थोड़ी सी हल्दी डालकर पीने से स्वर भेद (मोटी आवाज़), बैठी आवाज या दबी आवाज़ में फायदा होता है। 31. प्रमेह: दारूहल्दी में थोड़ी हल्दी डालकर काढ़ा तैयार करें उसमें शहद मिलाकर खाने से प्रमेह का रोग ठीक हो जाता है। 32. पेशाब के साथ पीव का आना: पेशाब के साथ अगर मवाद निकलता हो तो ऐसे में आंवले के रस या काढ़े में शहद और हल्दी को मिलाकर खाने से लाभ मिलता है। 33. आंखों के रोग: हल्दी को अरहर की दाल में पकायें और छाया में सुखा लें उसे पानी में घिसकर, शाम होने से पहले ही दिन में दो बार जरूर लगायें इससे झामर रोग, सफेद फूली और आंखों की लालिमा में लाभ होता है। 34. बिच्छू के विष पर: हल्दी को आग पर डालकर उसका धुंआ बिच्छू के डंक पर देने से जहर उतर जाता है या हल्दी को घिसकर थोड़ा-सा गर्म करके बिच्छू के डंक मारे स्थान पर लेप करे तो आराम होता है। 35. पथरी: हल्दी और पुराना गुड़ छाछ में मिलाकर सेवन करने से पथरी नष्ट हो जाती है। 1 ग्राम हल्दी और 2 ग्राम गुड़ कांजी को मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पथरी ठीक होती है। इसको खाने से मल (पैखाना) साफ होता है और पेशाब खुलकर आता है। 36. बेहोशी: पानी में हल्दी और चीनी मिलाकर पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है। 37. मस्से: हल्दी की गांठ को अरहर की दाल में पकायें फिर छाया में सुखाकर, गाय के घी में पीसकर (मस्सों) पर उसका लेप करें, इससे मस्से तुरन्त नर्म हो जाते हैं और दर्द दूर होता है। 38. बालों का आकर्षक: कच्ची हल्दी में चुकन्दर के पत्तों का रस मिलाकर सिर में लगायें इससे बाल नहीं गिरते और नये बाल भी उगते हैं। बाल सुन्दर और आकर्षक भी बन जाते हैं। 39. दीर्घायु: हल्दी का सेवन नियमित रूप से करने से वृद्धावस्था में देर में आती है और लंबी आयु प्राप्त होती है। 40. अण्डकोष की सूजन: लगभग 6-20 ग्राम पिसी हल्दी को अण्डों की जर्दी में मिलाकर थोड़ा गर्मकर अण्डकोष पर लेप करें तथा एरण्ड के पत्ते बांधें। इससे चोट लगे अण्डकोष सही हो जाते हैं। 41. आंख आना: 1 भाग हल्दी को 20 भाग पानी में डालकर उबालें, फिर इसे छानकर आंखों में बार-बार बूंदों की तरह डालें। इससे आंख का दर्द कम होता है तथा आंखों में कीचड़, आंखों का लाल होना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके काढे़ में पीले रंग से रंगे हुए कपड़े का प्रयोग जब आंख आये तो तब करें। तब इस कपडे़ से आंखों को साफ करने से फायदा होता है। 42. श्वास, दमा रोग: हल्दी को पीसकर इसका चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को तवे पर भूनकर शीशी में बंद करके रखें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म जल के साथ प्रतिदिन सेवन करने से अस्थमा (दमा) के रोगी को बहुत लाभ मिलता है। हल्दी सेंककर पीस लें। फिर आधा चम्मच यह हल्दी और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार खाने से दमे में लाभ मिलता है। हल्दी, कालीमिर्च, मुनक्का, रास्ना, छोटी पीपल, कचूर और पुराना गुड़ पीसकर सरसों के तेल में मिला लें। इस मिली हुई सामग्री को 1 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से तेज श्वास में भी आराम मिलता है। हल्दी को पीसकर तवे पर भूनकर शहद के साथ चाटने से श्वास रोग खत्म हो जाता है। हल्दी, किशमिश, कालीमिर्च, पीपल, रास्ना, कचूर सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें और फिर इन्हें थोडे़ से गुड़ में मिलाकर छोटे बेर के बराबर की गोलियां बनाकर प्रतिदिन दो गोली सुबह और शाम को खाने से दमा और श्वास की बीमारी खत्म हो जाती है। हल्दी की दो गांठे, अड़ूसा (वासा) के एक किलो सूखे पत्ते, 10 ग्राम कालीमिर्च, 50 ग्राम सेंधानमक और 5 ग्राम बबूल के गोन्द को मिलाकर और कूट पीसकर मटर जैसी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। प्रतिदिन 5-6 गोलियां चूसते रहने से दमा से होने वाला कष्ट दूर हो जाता है। हल्दी को बालू रेत में सेंककर पीस लेना चाहिए और एक चम्मच की मात्रा में दो बार गर्म पानी से लेना चाहिए। इससे सभी प्रकार के श्वास रोग नष्ट हो जाते हैं। 43. दांत साफ और चमकदार बनाना: दांतों को साफ व चमकदार बनाने के लिए 50 ग्राम पिसी हुई हल्दी तथा 5 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को बारीक पीसकर मंजन बना लें। रोजाना यह मंजन करने से दांत साफ और चमकदार बन जाते हैं। 44. आंखों का फूला, जाला: 5-5 ग्राम शुद्ध शोराकलमी और आंबा हल्दी को पीसकर कपडे़ में छानकर आंखों में एक हफ्ते लगातार सलाई से लगाने से आंखों का फूला और जाला नष्ट हो जाता है। हल्दी का एक टुकड़ा, नींबू में सुराख करके अन्दर रख दें। नींबू को धागे से बांधकर लटका दें। नींबू जब सूख जाये तो उसमें से हल्दी को निकालकर और पीसकर पानी में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाएं। 45. काली खांसी (कुकर खांसी): हल्दी की 3-4 गांठों को तोड़कर तवे पर भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से काली खांसी में आराम आता है। 46. दांत घिसना या किटकिटाना: हल्दी को पीसकर लुगदी बना लें और सरसों के तेल में मिलाकर दांतों पर रोजाना मलें। इससे दांतों का दर्द दूर होता है तथा दांत किट-किटाना बंद हो जाते हैं। 47. हिलते दांत मजबूत करना: हल्दी और नमक को सरसों के तेल में मिलाकर रोजाना मंजन करने से हिलते हुए दांत मजबूत होते हैं। 48. इंफ्लुएन्जा: हल्दी और जवाखार के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करने से बुखार कम होता है। 49. रतौंधी: रसौत, हल्दी, दारूहल्दी, मालती के पत्ते और नीम के पत्तों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर गाय के गोबर के रस में पीसकर मटर से डेढ़ गुने के आकार की गोलियां बना लें। इन गोलियों को आंखों में काजल की तरह लगाने से `रतौंधी´ (रात में दिखाई न देना) रोग दूर होता है। 50. आंखों का नाखूना: 20-20 ग्राम हल्दी, आमाहल्दी, दालचीनी और नीम के पत्तों को लेकर बारीक पीस लें, फिर इसे छानकर 6 महीने की उम्र वाले गाय के बछड़े के पेशाब में पूरे 6 घंटे तक खरल करके, गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। इन गोलियों को गुलाबजल में घिसकर आंखों में आंजने (काजल की तरह लगाने) से `नाखूना` रोग ठीक हो जाता है। 51. खांसी: खांसी, गले, सीने में घबराहट हो तो गर्म पानी में हल्दी और नमक को मिलाकर पी लें। हल्दी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में डालकर चूसते रहने से खांसी कभी नहीं आएगी। हल्दी को बाजरे के आटे में मिलाकर रात में फंकी लें और बिना पानी पियें सो जायें। इससे खांसी में लाभ होता है। हल्दी के टुकडे़ को सेंककर रात को मुंह में रखने से खांसी, कफ और जुकाम में लाभ होगा। थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी तवे पर रखकर भून लें, उसमें से आधा चम्मच हल्दी गर्म दूध के साथ देने से खांसी में लाभ होता है। हल्दी और समुद्रफल खाने से कफ की खांसी से छुटकारा मिल जाता है। 10 ग्राम हल्दी, 10 ग्राम सज्जी और 180 ग्राम पुराना गुड़ मिलाकर पीस लें। इसके बाद छोटी-छोटी सी गोलियां बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लगातार 40 दिनों तक सेवन करने से श्वास रोग (सांस का रोग) दूर हो जाता है। 2 ग्राम हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर, मुंह में रखकर ऊपर से थोड़ा सा पानी पीने से खांसी का रोग दूर हो जाता है। खांसी के शुरू ही होने पर 1 से 2 ग्राम हल्दी को घी या शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से या गुड़ में मिलाकर गर्म दूध के साथ पीने से खांसी रुक जाती है। 2 ग्राम पिसी हुई हल्दी खाने से साधारण खांसी दूर हो जाती है। आधा चम्मच हल्दी को शहद में मिलाकर सेवन करने से हर प्रकार की खांसी में लाभ होता है। 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को बकरी के दूध के साथ सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है। 52. पायरिया: हल्दी को बारीक पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर रख लें। रोजाना रात को सोते समय इस मिश्रण को दांतों पर मलें और बिना कुल्ला किए हुए सो जाएं। सुबह उठकर कुल्ला करने से पायरिया का रोग नष्ट होता है। 53. सूखी काली खांसी: हल्दी की 3-4 गांठों को तवे पर भूनकर पीस लेते हैं। फिर इसे 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से सूखी काली खांसी दूर हो जाती है। 54. मसूढ़ों का रोग: हल्दी को मोटा-मोटा कूटकर आग पर भून लें। इसे बारीक पीसकर कपड़े से छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम मसूढ़ों पर मलें। इससे मसूढ़ों के रोग ठीक हो जाते हैं। 55. वमन (उल्टी): कच्ची हल्दी का रस निकाल लें, फिर इस रस की 10-से 15 बूंद दिन में 2 से 3 बार 3 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को पिलाने से उल्टी आना रुक जाती है। 56. गर्भाशय के बाहर निकल आने पर: गर्भाशय के बाहर निकल आने पर पिसी हुई हल्दी रोगन गुल में मिलाकर रूई में लगाकर सोते समय गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। 57. गर्भाशय की सूजन: शुद्ध हल्दी और भुने हुए सुहागे को मकोये के ताजे रस में मिला लें, फिर इसमें रूई के फाये को भिगोकर योनि में रखें। इससे गर्भाशय की सूजन समाप्त हो जाती है। 58. जुकाम: अगर जुकाम या दमा में बलगम निकलता हो तो 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को रोजाना 3 बार गर्म पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है। हल्दी को आग में डालकर उसमें से निकलने वाले धुएं को नाक से सूंघने से जुकाम का पानी और बलगम निकलकर बाहर आ जाता है। इसके बाद आधे घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। हल्दी को आग पर रखकर उसमें से निकलने वाले धुएं को नाक से गले तक लेने से जुकाम ठीक हो जाता है। इसको लेने के कुछ घंटों तक पानी नहीं पीना चाहिए। 1 कप दूध के अन्दर 1 चम्मच हल्दी मिलाकर गर्म कर लें। इस दूध में चीनी डालकर पीने से सभी तरह का जुकाम दूर हो जाता है। हल्दी का काढ़ा बनाकर मोटा-मोटा ही माथे पर लगाने से जुकाम में आराम आता है। गर्म पानी में 2 ग्राम पिसी हुई हल्दी को मिलाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। दूध में हल्दी डालकर अच्छी तरह से गर्म करके पीने से जुकाम के रोग में आराम आता है। 1 कप गर्म दूध में आधा चम्मच पिसी हुई हल्दी और 10 दाने कालीमिर्च को मिलाकर पीने से जुकाम और बुखार ठीक हो जाता है। 59. मुंह का रोग: हल्दी और मैंसिल पीसकर इसकी धूनी मुंह में देने से मुंह के सभी रोग ठीक होते हैं। 60. नपुंसकता: हल्दी और कपूर 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। 5-ग्राम दवा सुबह दूध से लें। इससे नपुसंकता दूर हो जाती है। 61. हिचकी का रोग: हल्दी का चूर्ण चिलम में रखकर पीने से हिचकी नहीं आती है। 10 ग्राम हल्दी, अजवायन या काली उड़द को चिलम में रखकर इसके धुंए को पीने से हिचकी में लाभ होता है। हल्दी कूटी हुई या काली उड़द चिलम में रखकर उसके हल्दी पिसी हुई को तवे पर भून लें। फिर 1 चम्मच हल्दी को ताजे पानी के साथ सेवन करें। इससे हिचकी में लाभ होता है। धुएं को पीने से हिचकी नहीं आती है। 62. गर्भवती स्त्री के स्तनों का दर्द और बुखार: हल्दी और धतूरे के पत्तों का लेप करने से गर्भवती स्त्री के स्तनों का दर्द और बुखार नष्ट हो जाता है। 63. बवासीर (अर्श): हल्दी और कसी हुई लौकी का चूर्ण पानी के साथ पीसकर या सरसों के तेल में पका लें। उस तेल को मदार के पत्ते में लगाकर बवासीर के मस्सों पर लगायें और लंगोट कसें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं। पिसी हल्दी को थूहर के दूध में मिलाकर उसका लेप लगाएं। 64. कान का बहना: 3 ग्राम हल्दी, 10 ग्राम नीम के पत्तों का चूर्ण और 10 ग्राम लहसुन की कलियों को 200 ग्राम सरसों के तेल में डालकर पका लें। इस तेल को बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान में से मवाद का बहना ठीक हो जाता है। 1 भाग पिसी हुई हल्दी और 20 भाग पिसी हुई फिटकरी को एक साथ मिलाकर कान में डालने से कान में से मवाद बहना ठीक हो जाता है। 65. मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां: यदि गर्भाशय में कोई खराबी या सूजन है और मासिक-धर्म ठीक से न होता हो, तो एक चम्मच हल्दी गुड़ के साथ भूनकर खाना चाहिए। 66. दर्द व सूजन: एक गिलास गर्म दूध में एक चाय के चम्मच भर हल्दी मिलाकर पीने से शरीर की सूजन और दर्द दूर हो जाता है। 67. शरीर में सूजन: लगभग 3 ग्राम पिसी हल्दी को 250 मिलीलीटर गर्म दूध से सुबह-शाम लेने से सूजन नष्ट हो जाती है। हल्दी और चूने को बराबर मात्रा में लेकर शरीर के सूजन वाले भाग पर लगाने से शरीर की सूजन ठीक हो जाती है। उबले हुए दूध के साथ लगभग 2 ग्राम हल्दी और लगभग 1 ग्राम मिश्री को खाने से सूजन खत्म हो जाती है। जल के साथ रोजाना एक चौथाई चम्मच पिसी हुई हल्दी की फंकी लेने से शरीर की सूजन में आराम मिलता है। 68. घाव: 50 मिलीलीटर सरसों के तेल में आंबा हल्दी, सज्जी 10-10 ग्राम पीसकर गर्म तेल में मिला दें। ठण्डा होने पर रूई भिगोकर घाव, जख्म पर बांधने से जख्म भर जाते हैं। पुराने घाव पर चूना या सज्जीखार में हल्दी मिलाकर बांधने से बहुत लाभ होता है। पट्टी रोज बदल दें। साथ ही हल्दी पाउडर 2 से 4 ग्राम सुबह-शाम मिश्री के साथ खाने को भी लें। हल्दी को तवे पर भूनकर उसमें थोड़ा-सा सरसों का तेल मिलाकर घाव पर लगायें। 69. एड्स: हल्दी 4-ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन गोमूत्र के साथ सेवन करने से या हरिद्राखण्ड 1 ग्राम की मात्रा में खाने से खून पूरी तरह से साफ हो जाता है। 70. प्रसव पीड़ा: बच्चा होने के आखिरी महीने में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी गर्म दूध के साथ सुबह-शाम पिलाएं। 71. बच्चों का मधुमेह रोग: हल्दी को कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर आधा-आधा ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है। 72. शीतपित्त: पिसी हुई हल्दी एक चम्मच, गेहूं का आटा दो चम्मच, घी एक चम्मच तथा दो चम्मच चीनी में आधा कप पानी डालकर हलुवा बना लें। इसे ठण्डा होने पर सुबह रोज खायें, ऊपर से एक गिलास दूध पियें। इससे लाभ होगा। हल्दी, सरसों, पवांड़ के बीज और तिल। सभी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर कडुवे तेल (सरसों के तेल) में मिला लें। इस तेल की शरीर पर मालिश करें। हल्दी का चूर्ण 1 से 2 ग्राम प्रतिदिन गाय के मूत्र के साथ या हरिद्राखाण्ड 10 ग्राम रोज कुछ दिन तक खाने से शीतपित्त ठीक हो जाती है। 73. मधुमेह के रोग: 1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को फांककर पानी पीने से मधुमेह में हो रहे बार-पेशाब से आराम मिलता है। 8 ग्राम पिसी हल्दी रोजाना दो बार पानी के साथ फंकी लें। इससे, बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब का आना, ज्यादा प्यास लगना, आदि मधुमेह के रोगों से आराम मिलता है। 50 ग्राम हल्दी को बारीक पीसकर 2.50 किलो गाय के दूध में भिगो दें और हल्की आंच पर गर्म करें। 5-6 उबाल आने के बाद उतार लें। ठण्डा होने पर इसकी दही जमा लें। इस दही को मथकर मक्खन निकालें और घी बना लें। इस घी को 3-6 ग्राम की मात्रा से सुबह-शाम सेवन करते रहने से मधुमेह में नियन्त्रण होता है। हल्दी की गांठ को पीसे और घी में सेंककर चीनी मिलाकर रोज़ खायें। इससे मधुमेह (शुगर) और प्रमेह में फायदा मिलता है। अगर बार-बार ज्यादा से ज्यादा पेशाब आये और प्यास भी लगे तो 8 ग्राम पिसी हुई हल्दी रोज दिन में 2 बार पानी के साथ सेवन करें या आधा चम्मच पिसी हल्दी शहद में मिलाकर खाये। 74. स्तनों के आकार में वृद्धि: हल्दी, खिरैंटी, खील, सेंधानमक और प्रियंगु को बराबर मात्रा में लेकर चौगुने पानी के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े में थोड़ी सी मात्रा में तिल के तेल को डालकर गर्मकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को देशी घी (गाय या भैंस का) में मिलाकर धीमी आग पर गर्म करें, जब पानी जल जाये तो एक ग्राम की मात्रा में नाक से सूंघने से कम उम्र की लकड़ी और बूढ़ी स्त्री के स्तन काफी अच्छे हो जाते हैं। 75. मोटापा: हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है। 76. नाक के रोग: लगभग 2 से 4 ग्राम हल्दी के चूर्ण को दूध में मिलाकर उबाल लें। फिर उसके अन्दर गुड़ मिलाकर रात को सोने से पहले जुकाम के रोगी को पिलाकर सुला दें पर इसके ऊपर पानी बिल्कुल न पीने दें। सुबह जुकाम ठीक होकर नाक से पानी बहना भी बंद हो जायेगा। यदि जुकाम नया-नया ही शुरू हुआ हो तो हल्दी को आग में डालकर उसके धुंए को नाक से लेने से आराम आ जाता है। इसके बाद थोड़ी देर तक पानी नहीं पीना चाहिए। 77. शिरास्फीति: भिलावां और हल्दी को घिसकर रात में सेवन करें एवं रात को एरण्ड के तेल से मालिश करें। इससे शिरास्फीति के रोगी को लाभ मिलता है। 78. पेट के कीड़े: हल्दी को तवे पर अच्छी तरह से भूनकर रख लें, फिर आधा चम्मच की मात्रा में रात को सोने से पहले पानी के साथ पीये। इससे पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। 79. अरुंषिका (वराही): दारूहल्दी, हल्दी, चिरायता, नीम की छाल, बहेड़ा, आंवला, हरड़, अडूसा के पत्ते और चंदन का बुरादा इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर सिल पर घिसकर लुगदी बना लें। इस लुगदी से 4 गुना काली तिल्ली का तेल लें। इस तेल से 4 गुना पानी लेकर इसमें सबको मिलाकर पकायें। जब केवल तेल मात्र शेष रह जाये, तो इसे उतारकर छान लें। इस तेल को लगाने से अरुंषिका के अलावा फोड़े-फुंसी, जलन, मवाद तथा त्वचा से सम्बंधित सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं। 80. पेट में दर्द: हल्दी 5 ग्राम और 5 ग्राम सेंधानमक को अच्छी तरह मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से गैस के कारण होने वाले पेट के दर्द में लाभ पहुंचता है। 81. पीनस रोग: हल्दी और कालीमिर्च के चूर्ण को गर्म दूध में मिलाकर पीने से बुखार के साथ जुकाम और पीनस (पुराना जुकाम) दूर हो जाता है। 82. मूत्ररोग: हल्दी के चूर्ण को घी और चीनी में मिलाकर सेक लें। इस मूत्ररोग में खाने से लाभ होता है। पिसी हल्दी 100 ग्राम, काले तिल 250 ग्राम, पुराना गु़ड़ 100 ग्राम। तीनों को कूट-पीसकर तवे पर सुखाकर भून लें। इसमें से रोज एक चम्मच चूर्ण सुबह के समय ले इससे सभी तरह के पेशाब रोग दूर होगें। 83. चक्कर आना: कच्ची (ताजी) हल्दी पीसकर सिर पर लेप की तरह से लगाने से चक्कर आना बंद हो जाता है। 84. एक्जिमा: वासा (अडू़सा) के कोमल पत्तों को हल्दी में मिलाकर गौमूत्र (गाय का पेशाब) के साथ पीसकर लेप करने से एक्जिमा से मुक्ति मिलती है। 85. बिवाई के फटने पर: कच्चे दूध में पिसी हुई हल्दी को मिलाकर शरीर पर लेप करने से त्वचा मुलायम होती है और हाथ-पैर नहीं फटते हैं। 86. फोड़े की सूजन और जलन: हल्दी, घीकुंआर का रस और मुसब्बर को मिलाकर फोड़े पर लेप करने से फोडे़ में होने वाली जलन और सूजन दूर हो जाती है। 87. चेहरे की झांइयां: 10-10 ग्राम हल्दी और तिल को पीसकर पानी में मिलाकर रात को सोते समय चेहरे पर लगाएं और सुबह गर्म पानी से धो लें। इससे चेहरा चमक उठता है। हल्दी और काले तिल को लेकर गर्म दूध में पीसकर चेहरे पर लेप लगायें। 88. खाज-खुजली: 100 ग्राम वासा के मुलायम पत्तों और 10 ग्राम हल्दी को गाय के पेशाब में मिलाकर पीसकर लेप करने से खुजली समाप्त हो जाती है। 89. गुल्मवायु हिस्टीरिया: हिस्टीरिया का दौरा आने पर रोगी को हल्दी का धुंआ सुंघाने से लाभ मिलता है। 90. शीतला (मसूरिका): अपामार्ग की जड़ और हल्दी को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ चंदन की तरह पीसकर हाथ-पैरों के सारे नाखूनों पर लगा दें। इसका एक तिलक माथे पर और एक जीभ पर लगा देने से बच्चों को चेचक (माता) नहीं निकलेगी। 240 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम बनहल्दी को सुबह और शाम खाने से और शरीर के ऊपर लगाने से चेचक (माता) के दाने बाहर निकल आते हैं और रोगी जल्दी ही ठीक हो जाता है। 91. पीलिया: हल्दी को पानी में डालकर पीस लें। फिर कुछ हल्दी लेकर काढ़ा बना लें। कढ़ाही में घी, हल्दी की लुग्दी और काढ़ा डालकर धीमी आग पर चढ़ा दें और जब केवल घी रह जाय (पानी जल जाय) तब उतार लें। इस घी का सेवन करने से पाण्डु (पीलिया) रोग मिट जाता है। हल्दी का चूर्ण 10 ग्राम और दही 50 ग्राम रोज सुबह खाने से पीलिया में लाभ होता है। 92. नाखून का रोग: हरी दूब और हल्दी मिलाकर पीस लें एवं गन्ने के गुड़ में मिलाकर गर्म-गर्म नाखूनों पर लगायें। इससे नाखूनों के दर्द में आराम मिलता है। 93. चेहरे का सांवलापन दूर करना: दोनों हल्दी, 5-5 ग्राम मैंसिल, लोध्र और सरसों को पीसकर पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इसको चेहरे पर लगाने के आधे घंटे के बाद धोने से लाभ होता है। 94. नासूर (पुराना घाव): नासूर के घाव पर पिसी हुई हल्दी डालने से घाव में उपस्थित कीड़े मर जाते हैं और घाव शीघ्र भर जाता है। 95. फीलपांव(गजचर्म)- 10 ग्राम पारस, 20 ग्राम जीरा, 20 ग्राम हल्दी, 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम सिंदूर, 10 ग्राम आमलासार और 10 ग्राम मैनसिल लें। पहले पारा और गंधक की कज्जली बना लें और फिर बाकी औषधियों को पीस-छानकर गाय के पेशाब में मिलाकर अच्छी तरह से एक दिन तक सुखाएं और साथ ही इसे उलट-पलट कर मिलते रहें। इस तैयार लेप को पैरों पर लेप करने से पैरों का फूलना समाप्त होता है। 96. घाव का निशान मिट जाना : 5-5 ग्राम मैंसिल, मजीठ, लाख, हल्दी, दारूहल्दी को पीसकर और छानकर इसमें 25 ग्राम शहद और 10 ग्राम देशी घी मिलाकर जख्म पर लेप करने से लाभ होता है। 97. फोड़े-फुंसियां: हल्दी, भृंगराज (भांगरा), सेंधानमक और धतूरे के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और गर्म करके लेप करें या आंबाहल्दी, प्याज और घी को गर्म करके बांध लें। इससे फोड़े-फुंसियां ठीक हो जाती हैं। 98. कुष्ठ (कोढ़): हरीदूब, हल्दी और दारूहल्दी को पीसकर लेप करने से `पामा´ खुजली दूर हो जाती है। हल्दी, हरड़, बावची, करंज के बीज, बायबिडंग, सेंधानमक और सरसों को पीसकर लेप करने से `पामा´ `दाद´ और `सफेद कोढ़´ रोग समाप्त हो जाता है। लगभग 100 ग्राम हल्दी को दरदरी (मोटा-मोटा) पीसकर 500 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को उबालने के लिए रख दें, उबलते-उबलते जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उसे छानकर इसमें 100 मिलीलीटर सरसों का तेल डालकर उबालने के लिए रख दें। जब उबलते हुए पानी जल जाये तो इसे ठण्डा करके कोढ़ के रोगी की इस तेल से मालिश करने से लाभ होता है। गोबर, सेंधानमक, हल्दी और शहद को एक साथ पीसकर लगाने से `कच्छु´ (खाज) और `पामा´ ठीक हो जाते हैं। गुड़ में हल्दी मिलाकर गोली बनाकर एक गोली सुबह और एक गोली शाम को गाय के पेशाब के साथ खाने से कोढ़ रोग मिट जाता है। 99. खसरा: 1 से 2 ग्राम पिसी हुई हल्दी को करेले के पत्तों के रस में मिलाकर बच्चे को पिलाने से खसरे का असर कम हो जाता है। 100. फेद दाग: 10-10 ग्राम अर्क की जड़, गंधक, हरताल, कुटकी और हल्दी को लेकर पीस लें, फिर इसे गाय के पेशाब में मि लाकर एक सप्ताह तक लेप करने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।