Beetroot
परिचय : चुकन्दर एक कन्दमूल है। चुकन्दर में `प्रोटीन` भी मिलती है। यह जठर और आंतों को साफ रखने में उपयोगी है। चुकन्दर रक्तवर्द्धक , शक्तिदायक (शरीर मे ताकत देने वाला), शरीर को लाल बनाने वाला और कमजोरी को दूर करने वाला है। चुकन्दर का सेवन करने से शरीर का फीकापन दूर हो जाता है। शरीर लाल बनता है एवं शरीर में एक विशेष प्रकार की शक्ति और चेतना उत्पन्न होती है। इसके अतिरिक्त चुकन्दर दूध पिलाने वाली स्त्रियों के स्तनों में दूध को बढ़ाता है, यह जोड़ों के दर्द को दूर करता है। यह यकृत (जिगर) को शक्ति देता है और दिमाग को तरोताजा रखता है। वैज्ञानिक मतानुसार : चुकन्दर में प्रोटीन 10 प्रतिशत, शर्करा 10 प्रतिशत, स्टार्च 10 प्रतिशत एवं विटामिन `ए` `बी` और `सी` तथा कैल्शियम, लोहा और फास्फोरस होता है। इसके पत्तों में भी विटामिन और क्षार काफी मात्रा में होते हैं। विशेष : चुकन्दर गुणकारी होने पर भी कन्दमूल होने के कारण पचने में कुछ भारी पड़ता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन कभी-कभी पेट में गैस पैदा करता है। अत: कमजोर पाचनशक्ति वालों को चुकन्दर का प्रयोग सोच-विचार कर ही करना चाहिए। रंग : चुकन्दर लाल रंग का होता है। स्वाद : इसका स्वाद कुछ मीठा होता है। स्वरूप : चुकन्दर एक प्रकार की सब्जी है जो एक पेड़ की जड़ होती है। स्वभाव : यह गर्म प्रकृति का होता है। हानिकारक : चुकन्दर का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेचिश (खूनी दस्त) रोग हो जाता है। दोषों को दूर करने वाला : गोश्त चुकन्दर के दोषों को दूर करता है। तुलना : शलगम से चुकन्दर की तुलना की जा सकती है। गुण : चुकन्दर शरीर को शुद्ध और स्वस्थ करता है। यह बलगम को गलाकर बाहर निकालता है तथा गुर्दे के दर्द, झनकबाई और गठिया के लिए लाभदायक होता है। चुकन्दर में पाये जाने वाले विभिन्न तत्व : तत्व मात्रा (ग्राम में) तत्व मात्रा (ग्राम में) प्रोटीन 1.7 प्रतिशत कैल्शियम 0.25 प्रतिशत वसा 0.1 प्रतिशत नियासिन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 13.6 प्रतिशत विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम पानी 83.8 प्रतिशत फास्फोरस 0.06 प्रतिशत विटामिन-बी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम विटामिन-बी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग /100 ग्राम विभिन्न प्रकार के रोगों में उपयोग : 1. जननांगों के रोग: गाजर के लगभग 1 गिलास रस में चुकन्दर का रस मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से स्त्रियों के जननांगों से संबन्धित सारे रोग समाप्त हो जाते हैं। 2. पथरी: चुकन्दर का रस या चुकन्दर को पानी में उबालकर इसका सूप सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है। इसकी मात्रा 3 ग्राम तक दिन में 4 बार है। यह प्रयोग कुछ सप्ताह तक निरन्तर जारी रखें। इस प्रयोग से गुर्दे की सूजन भी दूर हो जाती है। अत: गुर्दे के रोगों में लाभदायक है। इससे पेशाब अधिक मात्रा में आता है। 50 मिलीलीटर गाजर का रस, 50 मिलीलीटर चुकन्दर का रस, 50 मिलीलीटर ककड़ी या खीरा का रस मिलाकर पीने से सभी प्रकार की पथरी गलकर बाहर आ जाती है। चुकन्दर का रस निकालकर या चुकन्दर को पानी में उबालकर उसका सूप 30 मिलीलीटर 2-3 सप्ताह तक दिन में 4 बार बनाकर पीने से पथरी गल जाती है। 3. बलगम: चुकन्दर बलगम को निकालकर श्वास नली (सांस की नली) को साफ रखता है। 4. बालों में रूसी और जुएं: चुकन्दर के पत्तों को पानी में उबालकर सिर धोने से फरास दूर हो जाती है और जुएं भी मर जाते हैं। 5. गंजापन: चुकन्दर के पत्तों का रस निकालकर या पत्तों को पीसकर उसमें हल्दी मिलाकर गंजे सिर पर लगाने से बाल उगने लगते हैं और बालों का टूटकर गिर जाना या बालों का उड़ना भी बंद हो जाता है। 6. बवासीर: चुकन्दर खाने या इसका रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं। 7. गांठ: गांठ के रोगी को शुरुआत के 2 दिन में मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। तीसरे दिन प्रात:काल 1 गिलास पानी में नींबू का रस और 4 चम्मच शहद मिलाकर पिलाएं। दिन में 4 बार एक कप अंगूर का रस तथा मुसम्मी का रस दिन में 1-2 बार पिलाएं। तथा रोगी को शारीरिक श्रम (मेहनत) न करने दें और उसे पूर्ण रूप से आराम करने दें। चौथे दिन से लगातार कुछ दिनों तक आधा गिलास गाजर का रस और आधा चम्मच चुकन्दर का रस मिलाकर दें। सामान्य, हल्का और अंकुरित अन्न ग्रहण करना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों में गांठ पिघल जाएंगी। 8. शारीरिक सौन्दर्य: चुकन्दर और गाजर का रस रोजाना सेवन करने से शरीर में खून तेजी से बनता है और शरीर का सौन्दर्य निखरता है। 9. मानसिक निर्बलता: चुकन्दर का रस रोजाना पीने और सलाद खाने से मानसिक निर्बलता (दिमागी कमजोरी) नष्ट हो जाती है और इसकी स्मरण शक्ति (याददाश्त) भी बढ़ जाती है। 10. स्तनों में दूध की वृद्धि: चुकन्दर का रस रोजाना सेवन करने से स्त्री के स्तनों के दूध में वृद्धि होती है। 11. पाचनशक्ति: चुकन्दर का रस रोजाना सेवन करने से पाचन क्रिया (भोजन पचाने की क्रिया) को अधिक शक्ति मिलती है। 12. कैंसर: चुकन्दर का रस कैंसरनाशक व शक्तिवर्द्धक माना जाता है। चुकन्दर के रस का सेवन करने से वजन भी बढ़ता है। आधा कप चुकन्दर का रस रोजाना दिन में 3 या 4 बार रोगी को देने से खून के कैंसर में बहुत लाभ मिलता है। 13. रक्तविकार: चुकन्दर का रस रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला) होता है और शरीर को लालसुर्ख बनाये रखता है। 14. रक्ताल्पता (खून की कमी): चुकन्दर थेरेपी के तहत पहले दो दिन उपवास रखें। इसके बाद 3 दिन तक किसी भी फल के जूस पर रहें। इसके बाद 200 मिलीलीटर चुकन्दर, 200 मिलीलीटर गाजर व 50 मिलीलीटर पालक का रस दिया जाता है। यह मात्रा एक दिन के लिए होती है। शरीर में खून की कमी होने पर यह प्रयोग बहुत ही लाभकारी होता है। 15. सिर की रूसी: चुकन्दर की जड़ और चुकन्दर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर सिर में मालिश करने से सिर की रूसी कम हो जाती है। 16. कब्ज: चुकन्दर को खाने से कब्ज दूर हो जाती है। 17. कान का दर्द: चुकन्दर के पत्तों के रस को गुनगुना करके बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है। 18. मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां: 1 कप चुकन्दर का रस गर्म करके इसमें थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से रुका हुआ मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है। 19. मूत्ररोग: 1 चुकन्दर का रस, 1 चम्मच आंवले का रस तथा 1 चम्मच चौलाई के साग का रस पीने से मूत्र विकार (पेशाब के रोग) दूर हो जाते हैं। 20. गठिया रोग: घुटने के दर्द को दूर करने के लिए 1 चम्मच पत्तागोभी का रस, 1 चम्मच चुकन्दर का रस और 1 चम्मच गांठगोभी का रस लेकर उसमें थोड़ा-सा कालानमक और पिसी हुई 2 लौंग डालकर सेवन करने से लाभ होता है। 21. निम्नरक्तचाप: लगभग 150 मिलीलीटर चुकन्दर का ताजा रस रोजाना सुबह और शाम पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) में आराम आता है। 22. एनीमिया (रक्ताल्पता): 1 गिलास चुकन्दर का रस निकालकर रोजाना पीना खून की कमी के रोगियों के लिए लाभकारी होता है। 23. सदमा (कोमा): चुकन्दर और एलवा बेर को पानी में मिलाकर तथा इसको छानकर रोगी की नाक में 2-4 बूंदें डालने से सदमे में लाभ मिलता है।
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