परिचय : खजूर के पेड़ पतले व बहुत ऊंचे होते हैं। खजूर के पेड़ नारियल के पेड़ के समान होते हैं। यह 30 से 50 फुट ऊंचे होते हैं और इसके तने तंतुओं से बने 3 फुट लम्बे मटमैले होते हैं। खजूर के पत्ते नोकदार कटे-कटे से 10 से 15 फुट तक लम्बे होते हैं। इसके फूल खुशबूदार और छोटे होते हैं। फल छोटे-छोटे गुच्छों में होते हैं और इसके अन्दर बीज सख्त व दोनों सिरों से गोल होते हैं। खजूर 2 प्रकार के होते हैं- खजूर और पिण्ड खजूर। पिण्ड खजूर का फल खजूर के फल से अधिक गूदेदार व काफी बड़ा होता है। यही फल सूखने पर छुहारा कहलाता है। खजूर एक पौष्टिक मेवा भी है। खजूर के पेड़ के ताजे रस को नीरा और बासी को ताड़ी कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार : खजूर स्वादिष्ट, पौष्टिक, मीठा, शीतल, तृप्तिकारक (इच्छा को शांत करने वाला), स्निग्ध, वात, पित्त और कफ को दूर करने वाला होता है। यह टी.बी, रक्त पित्त, सूजन एवं फेफड़ों की सूजन के लिए लाभकारी होता है। यह शरीर एवं नाड़ी को शक्तिशाली बनाता है। सिर दर्द, बेहोशी, कमजोरी, भ्रम, पेट दर्द, शराब के दोषों को दूर करने के लिए इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। यह दमा, खांसी, बुखार, मूत्र रोग के लिए भी लाभकारी है। यूनानी चिकित्सकों के अनुसार : खजूर गर्म व तर होता है। यह कमजोर जिगर को मजबूत बनाने वाला, थकावट को दूर करने वाला, शरीर को मोटा बनाने वाला, धातुदोष को दूर करने वाला, लकवा और कमर के दर्द को समाप्त करने वाला होता है। यह कामोत्तेजक होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार : खजूर का रसायनिक अध्ययन करने पर पता चला है कि इसमें विभिन्न तत्त्व होते हैं- तत्त्व मात्रा चीनी 67.3 प्रतिशत प्रोटीन 5.0 वसा 2.0 खनिज प्रदार्थ 1.3 कैल्शियम थोड़ी मात्रा लौहा थोड़ी मात्रा फास्फोरस थोड़ी मात्रा विटामिन ए, बी थोड़ी मात्रा पानी 21.1 प्रतिशत विभिन्न भाषाओं में खजूर के नाम : संस्कृत खर्जूर। हिन्दी खजूर, छुहारा, पिडं खजूर। अंग्रेजी डेट। लैटिन फिनिक्स डेक्टीलीफेरा। मराठी खारिक। गुजराती खोरेक। बंगाली खेजूर। रंग : खजूर का रंग काला व लाल होता है। स्वाद : इसका स्वाद मीठा और वाकस होता है। स्वरूप : खजूर दो प्रकार के होते हैं- खजूर और पिण्ड खजूर। खजूर का पेड़ बड़ा होता है व नारियल के पेड़ के समान होता है। इसमें पीले व हल्के लाल रंग के फल लगते हैं। पत्ते नोकदार होते हैं जो पहले हरे, फिर पीले व पकने के बाद लाल हो जाते हैं। mai labhag प्रकृति : खजूर शीतल और ठंडा होता है। हानिकारक : खजूर का अधिक उपयोग करना खून को जला देता है। दोषों को दूर करने वाला : खजूर के साथ बादाम खाने से खजूर में मौजूद दोष दूर होते हैं। तुलना : खजूर की तुलना किशमिश से की जा सकती है। मात्रा : 50 से 70 ग्राम। विभिन्न रोगों में सहायक : 1. सर्दी-जुकाम: खजूर को एक गिलास दूध में अच्छी तरह उबालें और फिर दूध से खूजर निकालकर खाएं और ऊपर से वही दूध पीने से सर्दी-जुकाम में जल्दी लाभ मिलता है। 2. सिर दर्द: खजूर की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लेप करने से सिर दर्द ठीक होता है। 3. शरीर को मोटा करने के लिए: एक कप दूध में 2 खजूर उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध पीएं। इस तरह प्रतिदिन सुबह-शाम कुछ महीनों तक खजूर खाने व दूध पीने से शरीर मोटा होता है। इसे सर्दी के महीने में खाना ज्यादा फायदेमन्द और गुणकारी होता है। 4. बार-बार पेशाब आना: 2-2 छुहारे (खजूर) दिन में 2 बार खाने और रात को सोते समय 2 छुहारे खाकर दूध पीने से बार-बार पेशाब आना बंद होता है। इससे बिस्तर पर पेशाब करने की आदत भी दूर जाती है। 5. गुहेरी (आंख की फुंसी या बिलनी): खजूर की गुठली को घिसकर आंखों की पलकों पर लेप करने से गुहेरी नष्ट होती है। 6. श्वास, दमा: खजूर और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में पान में रखकर दिन में 3 बार खाने से दमा रोग ठीक होता है। खजूर की गुठली का चूर्ण और 3 ग्राम सौंफ का चूर्ण मिलाकर पान के साथ प्रयोग करने से अस्थमा के कारण होने वाली सांस की रुकावट दूर होती है। दमा में खजूर का सेवन करना लाभकारी होता है। 4 खजूर, 2 इलायची एवं 2 चम्मच शहद को खरल में घोटकर सेवन करने से दमा रोग नष्ट होता है। 7. बच्चों का सूखा रोग: खजूर और शहद को बराबर की मात्रा में मिलाकर दिन में 2 बार कुछ हफ्ते तक खाने से सूखा रोग ठीक होता है। 8. घाव: खजूर की गुठली को जलाकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को घाव पर छिड़कें। इससे घाव सूख जाता है। 9. अरुचि: खजूर की चटनी में नींबू का रस मिलाकर खाने से अरुचि दूर होती है। 10. दस्त का बार-बार आना: खजूर की गुठली का चूर्ण बनाकर दही के साथ खाने से अतिसार रोग ठीक होता है। 11. दस्त का बंद होना: खजूर की गुठली को जलाकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 2-2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन करें। इससे दस्त आने का रोग ठीक होता है। खजूर को पानी में रात को भिगोकर रखें दें और सुबह उसी पानी में उसे मसलकर पीएं। इससे मल साफ होता है और मल की रुकावट दूर होती है। 12. रक्तपित्त: खजूर का चूर्ण बनाकर शहद के साथ खाने से रक्तपित्त (खून की उल्टी) का रोग ठीक होता है। 13. कब्ज़: खजूर को गर्म पानी के साथ रात को सोते समय सेवन करने से कब्ज दूर होती है। इससे बवासीर की परेशानी भी दूर होती है। 50 ग्राम खजूर प्रतिदिन खाने से कब्ज समाप्त होती है। कब्ज दूर करने के लिए बच्चों को यह केवल 25 ग्राम ही दें। खजूर को पानी में डालकर रात को रख दें और सुबह मसलकर खाली पेट खाने से पेट साफ होता है। 14. शराब का नशा: खजूर को पानी में भिगोकर मसलकर पीने से शराब का नशा उतर जाता है। 15. खुजली: खजूर की गुठली को जलाकर उसकी राख में कपूर और घी मिलाकर खुजली पर लगाने से खुजली ठीक होती है। 16. धातु की कमजोरी: सर्दी के मौसम में सुबह खजूर को घी में सेंककर खाने और इलायची, चीनी तथा कौंच डालकर उबाला हुआ दूध पीने से वीर्य बढ़ता है। छुहारा से बीज हटाकर इसके गूदे को कूट लें और फिर इसमें बादाम, बलदाने, पिस्ता, चिरौंजी, चीनी मिला लें। अब इसे 8 दिन तक घी में मिलाकर रखें। यह 20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन खाने से धातुपुष्टि होती है और पित्त शांत होता है। 17. कमर दर्द: 5 खजूर को उबालें और इसमें 5 ग्राम मेथी डालकर पीने से कमर दर्द ठीक होता है। 18. गठिया (आमवात): 100 ग्राम खजूर भिगोकर मसलकर पीने से आमवात का दर्द ठीक होता है। 19. हिस्टीरिया: खजूर को कुछ महीनों तक नियमित आहार के तौर पर सेवन करने से स्त्रियों का हिस्टीरिया रोग दूर होता है। 20. लीवर रोग: 4 से 5 खजूर पानी में भिगोकर रात को रखे दें और सुबह उसे मसलकर शहद में मिलाकर लगभग 7 दिन तक पीएं। इससे लीवर का बढ़ना रुक जाता है और जलन शांत होती है। 21. पेट की गैस: खजूर 50 ग्राम, जीरा 10 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालीमिर्च, सोंठ 10 ग्राम, पीपरामूल 5 ग्राम और नीबू का रस 80 मिलीलीटर इन सभी को मिलाकर बारीक पीस लें और इसका सेवन करें। इससे पेट की गैस खत्म होती है। 22. टी.बी रोग: क्षय (टी.बी.) के रोगियों के लिए खजूर का सेवन करना फायदेमंद होता है। खजूर, मुनक्का, चीनी, घी, शहद और पीपर बराबर-बराबर लेकर 30 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन खाने से टी.बी रोग ठीक होता है। इससे खांसी एवं सांस भी ठीक होता है। 23. कफ: प्रतिदिन खाना खाने के बाद 4 या 5 घूंट गर्म पानी के साथ खजूर खाना लाभकारी होता है। इससे कफ पतला होकर खखारने या खांसी के रूप में बाहर निकल जाता है। इससे फेफडे़ साफ होते हैं। इससे सर्दी, जुखाम, खांसी और दमा रोग भी ठीक होता है। 24. दांतों का दर्द: दांतों में किसी प्रकार का दर्द होने पर खजूर की जड़ का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 2 से 3 बार कुल्ला करने से दर्द खत्म होता है। 25. सूखी खांसी: खजूर का सेवन करने से सूखी खांसी ठीक होती है। 26. गैस्ट्रिक (अल्सर): पिण्ड खजूर खाना से गैस्ट्रिक (अल्सर) में लाभ मिलता है। 27. हिचकी का रोग: खजूर की गुठली का चूर्ण 3 ग्राम और 3 ग्राम पिप्पली का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटने से हिचकी दूर होती है। 1 ग्राम खजूर का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से हिचकी नहीं आती है। 28. बवासीर (अर्श): खजूर के बीजों को जलाकर मलद्वार में धूंआ लेने से अर्श (बवासीर) के मस्से सूखकर झड़े जाते हैं। खजूर के पत्तों को जलाकर राख बना लें और यह 2 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 से 3 बार पानी के साथ खाने से खूनी बवासीर ठीक होता है। खजूर के पत्ते को जलाकर राख बना लें और यह 2 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार खाएं। इससे बवासीर से खून गिरना बंद होता है। 29. मासिकधर्म संबंधी परेशानी: पिण्ड खजूर प्रतिदिन 100 ग्राम की मात्रा में 2 महीने तक लगातार सेवन करने से मासिकधर्म नियमित होता है। 30. दस्त में आंव रक्त आना (पेचिश): 6 ग्राम खजूर के फल को 20 ग्राम गाय के दूध से बनी दही में मिलाकर खाने से पेचिश का रोग ठीक होता है। दस्त में आंव व खून आने पर खजूर को दही के साथ खाने से लाभ होता है। 31. मधुमेह का रोग: मधुमेह या ऐसे रोग जिसमें मीठा खाना हानिकारक होता है। ऐसे रोगों को ठीक करने के लिए थोड़ी मात्रा में खजूर का सेवन करना लाभकारी होता है। 32. पेट के कीड़े: खजूर के पत्तों का काढ़ा रात को बनाकर सुबह शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े नश्ट होते हैं। खजूर की पत्तियों का रस 40 मिलीलीटर और शहद 40 ग्राम मिलाकर खाने से पेट के सभी कीड़े खत्म होते हैं। पेट के कीड़े को समाप्त करने के लिए खजूर के पत्तों के बारीक चूर्ण को खजूर के पत्तों के काढ़े में डालकर रात को रख दें और सुबह इसे छानकर 14 से 28 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करें। इससे पेट के कीड़े समाप्त होते हैं। 33. भ्रम एवं रोग भ्रम: सुलेमानी खज़ूर को प्रतिदिन खाने से भ्रम रोग दूर होता है। 34. हृदय रोग: हृदय कमजोर होने पर प्रतिदिन खजूर खाना चाहिए। इससे हृदय को शक्ति मिलती है। 35. निम्नरक्तचाप: 50 ग्राम खजूर को दूध में उबालकर प्रतिदिन पीने से निम्न रक्तचाप की परेशानी दूर होती है और रक्तचाप सामान्य बना रहता है। गुठली रहित खजूर को पानी से साफ करके 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध के साथ उबाल लें। जब दूध के ऊपर भूरे रंग का घी तैरने लगे तब इसे उतारकर पीएं। इसका सेवन प्रतिदिन करने से नम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) की शिकायत दूर होती है। 36. मस्तिष्क से रक्तस्राव: मस्तिष्क से खून स्राव होने पर बार-बार बेहोशी आती रहती है। ऐसे रोग में सुलेमानी खजूर पीसकर शर्बत की तरह बनाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर होती है। 37. शरीर की जलन: शरीर की जलन दूर करने के लिए सुलेमानी खजूर का सेवन करना लाभकारी होता है। 38. थकावट: शारीरिक थकावट को दूर करने के लिए सुलेमानी खजूर का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे शरीर की थकावट दूर होती है। 39. शरीर की सूजन: किसी भी कारण से शरीर में आई सूजन को दूर करने के लिए प्रतिदिन खजूर खाना लाभकारी होता है। इससे शरीर की सूजन दूर होती है। 40. शारीरिक शक्ति का कम होना या खून का कम होना: नियमित 10 से 15 खजूर खाकर ऊपर से एक कप दूध पीने से कुछ दिनों में ही शरीर में स्फूर्ति आ जाती है। इसे बल बढ़ता है, खून बनता है और वीर्य बढ़ता है। खजूर 100 ग्राम और किशमिश व द्राक्ष 50-50 ग्राम प्रतिदिन खाने से कमजोरी दूर होती है और शरीर में नया खून बनता है। यह वीर्य की कमजोरी को भी दूर करता है। भैंस के घी में खजूर के बीज को 5 मिनट तक सेंककर दोपहर को चावल के साथ खाकर एक घंटा आराम करें। इससे कमजोरी दूर होती है और शारीरिक वजन बढ़ता है। देशी खजूर खाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है। खजूर से बीज को निकालकर गूदे में मक्खन भरकर सेवन करने से कमजोरी दूर होती है। खजूर का चूर्ण और असगंध 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर दूध के साथ सेवन करने से कमजोरी दूर होती है। 7 या 8 पिण्ड खजूर को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर दूध के साथ पकाएं और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध बचा रह जाने पर दूध को आंच से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खा लें और ऊपर से दूध को पीएं। इससे शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है। 5-7 खजूर लेकर इनकी गुठली को निकालकर फेंक दें और गूदे को पानी से धोएं। अब लगभग 300 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसमें खजूर के गूदे मिलाकर हल्की आग पर 8 से 10 मिनट तक पकाएं। पक जाने पर दूध में से खजूर को निकालकर चबा-चबाकर खा लें और ऊपर से दूध पीएं। इससे शरीर को जबरदस्त ताकत और मजबूती मिलती है। इससे वजन बढ़ता है, कब्ज, क्षय रोग दूर होता है, शरीर में खून बनता है, खांसी, दमा, पेट और छाती से सम्बंधित सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक सुबह-शाम करना चाहिए।
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