बुधवार, 9 जून 2021

Rose Health benefits


परिचय : गुलाब की खुबसूरती के कारण से गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है। गुलाब एक ऐसा फूल है जिसके बारे में सब जानते हैं। पूरे भारत में गुलाब के पौधे लगाए जाते हैं। देशी गुलाब लाल रंग का होता है। गुलाब के द्वारा बनाएं जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल। गुलाब की अनेक किस्में पाई जाती हैं जिन पर कई रंगों के फूल खिलते हैं। लगभग गुलाब के पौधे की ऊंचाई 120-180 सेंटीमीटर तक होता है। इसके तने में कुछ असमान कांटे लगे होते हैं। गुलाब के तनों में 5 पत्तियां मिली हुई लगी होती है। गुलाबी रंग का गुलाब का फूल अधिक मात्रा में होता है तथा इसके अलावा गुलाब के फूल सफेद तथा पीले रंग के भी होते हैं। गुलाब का फल अंडाकार होता है। मार्च-अप्रैल के महीने में इसके फूल खिलते हैं। इसके फूलों से इत्र व गुलकंद बनाया जाता है। गुलाब के विभिन्न रूपों में कई प्रकार के अर्थ मिलते हैं- लाल गुलाब- मैं तुमसे प्यार करता हूं। लाल और सफेद गुलाब एक साथ रखना- यह एकता को दर्शाता है। सफेद गुलाब- हमारा प्यार पवित्र है। पूरी तरह खिला, भरा-भरा लाल गुलाब- आप बहुत खूबसूरत हैं। गुलाब की जुडी हुई चार पत्तियां- बेस्ट आफ लक। एक पूरे खिले हुए गुलाब के साथ दो कलियां रखना- यह सुरक्षा को दर्शाता है। बंद कली युक्त सफेद गुलाब- इससे यह पता चलता है कि अभी आप बहुत छोटे हैं प्यार करने के लिए। गुलाब की टहनी पर लगी एक बंद कली- यहां किसी का डर नहीं हैं। पीला गुलाब- मै तुमसे प्यार करता हूं पर तुम्हारे दिल में क्या है, मैं नहीं जानता। गुलाब की टहनी पर कांटों के अलावां एक पत्ती भी न हो- इसका मतलब यह होता है कि यहां कुछ नहीं हैं, न डर न आशा। नारंगी गुलाब - मेरा प्यार तुम्हारे लिए अन्नत है जो खत्म नहीं हो सकता। विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत तरुणी, कर्णिका, शतपत्री, चारुकेशर हिन्दी गुलाब मराठी गुलाब गुजराती गुलाब बंगाली गोलाप तेलगू गुलाबा पुवु फारसी गुलसुर्ख अरबी जरंजवीन अंग्रेजी रोज लैटिन रोजासेंटीफोलिया रंग : गुलाब का फूल लाल, गुलाबी और सफेद रंग का होता है। स्वाद : इसके फूल का स्वाद हल्का तीखा और खुशबूदार होता है। स्वरूप : गुलाब के पेड़ फुलवाड़ियों तथा बगिचों में लगाये जाते हैं। यह 2 प्रकार का होता है। एक मौसमी और एक बारहमासी। मौसमी गुलाब का फूल मार्च-अप्रैल में खिलता है और इसमें खुशबू अधिक होती है। बारह महीने गुलाब का फूल बारहों महीने तक खिलता है। प्रकृति : इसकी प्रकृति ठंडी होती है। हानिकारक : गुलाब का अधिक मात्रा में सुघंने से जुकाम हो सकता है। गुलाब के फूल का ज्यादा मात्रा मे सेवन करने से संभोग करने की शक्ति में कमजोरी आती है। जिन रोगियों का पेशाब करने की नली कमजोर हो उन्हें गुलकंद का सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि इससे उन्हें अधिक हानि हो सकती है। दोषों को दूर करने वाला : मिश्री गुलाब के गुणों को सुरक्षित रखता है तथा इसके दोषों को दूर करता है। तुलना : गुलाब की तुलना आक, सौंफ तथा वनफ्सा से की जा सकती है। गुलाब की मात्रा का उपयोग: गुलाब के ताजे फूल 10 ग्राम से 30 ग्राम तक। शुष्क फूलों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम। फूल का काढ़ा 25 से 50 मिलीलीटर। गुलकंद 10-30 ग्राम। गुलाब के फूलों का रस 20-40 ग्राम। गुण : गुलाब का उपयोग करने से दिल, दिमाग और आमाशय की शक्ति में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप इनकी क्रिया भी ठीक प्रकार से होने लगती है। गर्मी से होने वाले उन्माद रोग को ठीक करने के लिए गुलाब का उपयोग करना लाभदायक होता है। यह मन के प्रसन्न करता है तथा पाचन शक्ति की क्रिया को ठीक करता है। आयुर्वेद मतानुसार- आयुर्वेद में गुलाब के गुणों की चर्चा अधिक इसलिए होती है क्योंकि इसके उपयोग से कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं। यह वात-पित्त को नष्ट करता है। यह शरीर की जलन, अधिक प्यास तथा कब्ज को भी नष्ट कर सकता है। गुलाब में विटामिन सी की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है। गर्मी के मौसम में इसके फूलों को पीसकर शर्बत में मिलाकर पीना लाभकारी होता है तथा इसको पीने से हृदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। गुलाब का सेवन करने से चेहरे पर चमक आ जाती है तथा शरीर का खून साफ हो जाता है। गुलाब का फूल जितना दिखने में सुन्दर होता है उसमें उतना ही औषधीय गुण पाए जाते हैं। आयुर्वेदिक मतानुसार गुलाब के रस का स्वाद तीखा, चिकना, कषैला और मीठा होता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है। यह वात-पित्त को नष्ट करने वाला होता है। शरीर में जलन, बदबूदार पसीने आना, खून में खराबी, पाचन शक्ति कमजोर होना, हृदय रोग, वीर्य में शुक्राणु की कमी, भूख न लगना, यकृत तथा मानसिक कष्ट आदि रोग को यह ठीक करता है। यूनानी चिकित्सानुसारः गुलाब की प्रकृति ठंडी और खुश्क होती है। गर्मी के कारण पैदा होने वाले रोग जैसे बुखार, सिर दर्द, बेहोशी तथा दिल की धड़कन बढ़ाने पर यह उपचार करने के लिए लाभकारी होता है। गुलाब के ताजे फूल का सेवन करने से जहां दस्त लगते हैं, वहीं सूखे फूलों के सेवन करने से कब्ज पैदा होती है। गुर्दे, गुदा, गर्भाशय (जरायु), आमाशय, दिल, फेफड़ों व आंतों को इसके सेवन से काफी बल मिलता है। क्षय रोग तथा उससे जुडे़ सभी प्रकार के रोग को ठीक करने के लिए इसका सेवन करना लाभदायक होता है। वैज्ञानिक मतानुसारः गुलाब में गैलिक, टैनिक, ओलियम रोजी, एसिड्स, विटामिन सी तथा तेल पाया जाता है। नजला, सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए इसका सेवन अधिक लाभकारी है। इसके सेवन से शरीर में हडि्डयों के रोग ठीक हो जाते हैं। गुलाब में विटामिन सी की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है और विटामिन सी शरीर में कई रोगों को ठीक करने में अधिक लाभकारी है क्योंकि विटामिन सी रोग के संक्रमण को खत्म करने में उपयोगी है। विभिन्न रोगों में प्रयोग: 1. होंठों का कालापन: गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा ग्लिसरीन अच्छी तरह से मिला लें और इसे दिन में 3-4 बार होठों पर लगाएं इससे होंठों का कालापन दूर होता है। गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिला लें, फिर इसे 10 मिनट तक होंठों पर लगायें इसके बाद होंठों को धो दें। कुछ दिनों तक इस प्रकार से उपचार करने पर होंठों का कालापन दूर हो जाएगा। गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिला लें। इस मिश्रण को रोजाना होठों पर लगाने से होठ सुन्दर बनते हैं और होंठों का कालापन भी दूर हो जाता है। 2. मुंह के छाले: गुलाब के फूलों का काढ़ा बनाकर उससे कई बार गरारा करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। गुलाब के 2 फूलों को पानी में उबालें और इस पानी से कुल्ला करें। इस प्रकार से उपचार कुछ दिनों तक करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। गुलाब के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। मुंह में छाले हो तो गुलाबजल से कुल्ला करें अथवा गुलाब के 2 फूल को 1 गिलास पानी में उबालें और इस पानी को ठण्डा करके इससे कुल्ला करें इससे लाभ मिलेगा। पेट की गर्मी के कारण से मुंह में छाले हो जाए तो गुलाब के सूखे फूलों को रात के समय में 1 गिलास पानी में भिगने के लिए रख दें और सुबह इसे मसलकर छान लें, फिर इस पानी में 2 चम्मच चीनी मिलाकर पीयें। इस प्रकार से उपचार करने से पेट की गर्मी दूर होती है जिसके फलस्वरूप मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं। गुलाब की 10 पंखुड़ी, 3 इलायची, 5 कालीमिर्च तथा 10 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर एक कप पानी में मिलाकर रखें और 4-4 घंटों के बाद इस पानी को पीएं इससे मुंह के छाले ठीक हो जाएंगे। 3. कान का दर्द: गुलाब के फूलों का निकाला हुआ ताजा रस कानों में डालने से कान का दर्द ठीक होता है। 4. होंठों का फटना: गुलाब के एक फूल को पीसकर उसमें थोड़ी सी मलाई मिलाकर इससे होठों पर लेप करें। आधे घंटे के बाद इसे धो लें। कुछ ही दिनों तक यह लगाने से होंठ फटेंगे नहीं और होंठों का रंग बिल्कुल गुलाब जैसा लाल हो जायेगा। 5. दाद: नींबू का रस तथा गुलाब का रस बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। इस रस को प्रतिदिन दाद पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा। 50 ग्राम गुलाबजल में 1 नींबू का रस मिलाकर रोजाना 3 बार दाद पर लगाऐं इससे दाद ठीक हो जाता है। दाद और मुंहासों पर गुलाब का रस लगाएं तथा 1-1 चम्मच दिन 3 बार इसे पीएं इससे दाद ठीक हो जाता है। 6. आंखों के रोग: गुलाब का रस 2-2 बूंद सुबह-शाम आंखों में डालने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं। गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की जलन और किरकिरापन दूर हो जाता है। 50 ग्राम गुलाब जल में 1 ग्राम फिटकरी डालकर 1 से 2 बून्दे रोजाना 2 से 3 बार आंखों में डालने से आंखों के कई प्रकार के रोग जैसे- आंखें लाल होना, आंखों में कीचड़ जमना, आंखों में जलन होना आदि रोग ठीक हो जाते हैं। 7. अतिसार (दस्त): 10 ग्राम गुलाब के फूल और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर दिन में 3 बार खाएं इससे लाभ मिलेगा। अतिसार (दस्त) होने की स्थिति में गुलाब के फूलों के बीच लगने वाले छोटे-छोटे दाने जिसे जीरा कहते हैं उसे दिन में 3 बार 1 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। 8. श्वेतप्रदर: 2 चम्मच शुष्क गुलाब के फूलों का चूर्ण और 1 चम्मच मिश्री को एक साथ मिलाकर दूध के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करें तथा गुलाब के ताजे पिसे हुए फूल को सोते समय योनि में रखें इससे श्वेत प्रदर में जल्दी लाभ मिलेगा। गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें फिर इसमें से लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम (दो बार) दूध के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है। श्वेत प्रदर रोग होने के साथ ही पेशाब में जलन हो तो ऐसी स्थिति में उपचार करने के लिए गुलाब के ताजा फूल और 50 ग्राम मिश्री दोनों को पीसकर, आधा गिलास पानी में मिलाकर रोजाना 10 दिनों तक सेवन करें इससे लाभ मिलेगा। श्वेत प्रदर रोग में गुलाब के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर मिश्री में मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें। 50 ग्राम गुलाब के फूलों की कोमल पंखुड़ियों में मिश्री मिलाकर खाने तथा इसके बाद दूध पीने से श्वेत प्रदर रोग में फायदा मिलता है। 9. प्रदर रोग: गुलाब के ताजे फल में 50 ग्राम मिश्री पीसकर इसे आधा गिलास पानी में मिला लें और फिर इसे पी लें। इस प्रकार से सुबह और शाम रोजाना 10 दिनों तक इस प्रकार से उपचार करने पर प्रदर रोग ठीक हो जाता है। 10. पेट के रोग: भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकंद को रोजाना 2 बार खोन से पेट के सभी रोग ठीक हो जाते हैं। गुलाब 5 ग्राम की मात्रा में तथा मुलहठी 5 ग्राम की मात्रा में लेकर, इसे 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें फिर इसमें से 100 मिलीलीटर काढ़ा पीएं। सुबह-शाम इसका सेवन करें इससे कब्ज तथा पेट के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। सौंफ का रस, पुदीने के रस तथा गुलाब के रस को मिला लें और इसमें से 4-4 बूंदों को पानी में मिलाकर सेवन करें इससे पेट के कई रोग ठीक हो जाएंगे। 11. खुजली: चमेली का तेल, नींबू का रस और गुलाब का रस बराबर मात्रा में मिलाकर जहां पर खुजली हो वहां पर इसे लगाएं इससे खुजली दूर हो जाती है। 12. शीतपित्त: चंदन के तेल तथा गुलाब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर शीतपित्त पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा। गुलाब के रस में थोड़ा सा चंदन का तेल मिलाकर इससे शीतपित्त पर मालिश करें इससे शीतपित्त ठीक होती है। 25 ग्राम गुलाब के जल में 25 ग्राम सिरका मिलाकर शरीर पर लगायें इससे शीत पित्त में बहुत अधिक लाभ मिलता है। चौथाई कप गुलाबजल में एक बूंद चंदन का तेल मिलाकर इससे शरीर की मालिश करें इससे शीतपित्त ठीक हो जाती है। पित्ती उछलने पर गुलाबजल में चंदन का पाऊडर मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है। 13. सिर दर्द: 10 ग्राम गुलाब की पंखुड़ियों को 2 इलायची के साथ चबाकर खाने से सिर दर्द ठीक होता है। गर्मी के कारण से सिर दर्द हो तथा जी मिचलाएं तो सफेद चंदन को गुलाबजल में पीसकर माथे लेप करें इससे लाभ मिलेगा। गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से सिर दर्द में लाभ मिलता है। गुलाबजल की 2-3 बूंद दोनों नथुने (नाक के छेद) में डालने से सिर दर्द कम होता है। बुखार होने के साथ ही सिर दर्द हो तो 2 चम्मच गुलाबजल को इतने ही पानी मिलाकर हर 3 घंटे में 3 बार पीएं इससे सिर दर्द ठीक हो जाता है। 14. आधासीसी (माइग्रेन): आधासीसी (आधे सिर का दर्द) के दर्द की अवस्था में उपचार के लिए 2 दाने इलायची, 1 चम्मच मिश्री और 10 ग्राम गुलाब की पत्तियों को पीसकर सुबह खाली पेट सेवन करें इससे लाभ मिलेगा। आधासीसी के दर्द में 1 ग्राम नौसादर को 12 ग्राम गुलाबजल में मिला लें। इस जल को रोगी के नाक में 4-5 बूंद की मात्रा में डालकर, रोगी नाक से इस दवा को अन्दर की ओर खींचने के लिए कहें इससे फायदा मिलेगा। 15. हैजा: हैजे की अवस्था में आधा कप गुलाबजल में एक नींबू निचोड़कर थोड़ी सी इसमें मिश्री मिला लें और 3-3 घंटे इसे रोगी को पिलाएं इससे हैजा ठीक हो जाएगा। 16. सीने की जलन व जी मिचलाना: 1 कप गुलाबजल को चौथाई कप पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करें इससे सीने की जलन तथा जी मिचलाने की अवस्था में आराम मिलेगा। 17. अम्लपित्त: गुलाबजल में गुलाब का फूल, 1 इलायची और 1 चम्मच धनिये के चूर्ण को मिलाकर पीस लें। भोजन करने के बाद इसे सेवन करें इससे अम्लपित्त रोग में लाभ होता है। 18. धूप से झुलसना: 1 भाग ग्लिसरीन, आधा भाग नींबू का रस और आधा भाग सेब का रस तथा 2 भाग गुलाबजल इन सब को मिलाकर फ्रिज में रख दें। इस लेप को धूप से झुलसी हुई त्वचा पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा। 19. घमौरियां, पसीना: गर्मी के मौसम में शरीर में अलाइयां तथा घमौरियां अधिक निकलती है तथा शरीर से पसीना भी बहुत अधिक निकलता है। इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए नहाते समय 1 बाल्टी पानी में 20 बूंद गुलाबजल डालकर स्नान करें। रात को 4 चम्मच गुलाब का गुलकंद खाकर ऊपर से गर्म दूध पी लें इससे भी लाभ मिलेगा। 20. त्वचा के रोग: पानी में गुलाबजल डालकर प्रतिदिन स्नान करें इससे त्वचा के सभी रोग ठीक हो जाते हैं तथा शारीरिक सौन्दर्य बढ़ता है और इसकी सुगंध से दिमाग को ताजगी मिलती है। 21. बदबूदार पसीना आना: बदबूदार पसीना आने पर गुलाब के फूलों को पीसकर शरीर में लेप करना चाहिए तथा थोड़ी देर बाद स्नान कर लेना चाहिए इससे लाभ मिलेगा। एक बाल्टी पानी में 10 ग्राम गुलाबजल व एक नींबू का रस निचोड़कर स्नान करें इससे शरीर की बदबू दूर होती है। गुलाब की लाल या सफेद पंखुड़ियों के चूर्ण को शरीर पर मलने से पसीना निकलना कम हो जाता है और शरीर की बदबू भी मिट जाती है। 22. स्तनों में दर्द: अगर स्तनों में सूजन हो तो गुलाबजल में रुई भिगोंकर स्तनों पर रखें तथा आधे घंटे तक इसी अवस्था में आराम करें इससे स्तनों का दर्द ठीक हो जाता है तथा सूजन भी दूर हो जाती है। 23. नींद: अच्छी गहरी नींद लेने के लिए पानी में गुलाबजल मिलाकर स्नान करें तथा सोते समय तकिये के किनारे पर 2 बूंद गुलाब का इत्र (प्रफ्यूम) छिड़क दें इससे नींद अच्छी आती है। 24. थकावट: थकान को दूर करने के लिए 4 चम्मच गुलाबजल में 1 बूंद चंदन का तेल मिलाकर इससे शरीर की मालिश करें लाभ मिलेगा। 25. हाथ-पैरों की जलन: गर्मी के कारण हाथ-पैरों में जलन, पेट में गड़बड़ी, एसीडिटी आदि समस्यां हो तो गुलाब का शर्बत बनाकर पीएं इससे लाभ मिलेगा। हथेली और तलुवों में जलन हो तो चंदन पावडर और गुलाबजल मिलाकर इससे हथेली और तलुवों पर लेप करें। 26. पायरिया: गुलाबी रंग का गुलाब फूल खाने से मसूढ़े मजबूत होते हैं। मसूढ़ों से खून और मवाद आना भी बंद हो जाता है तथा पायरिया भी ठीक हो जाता है। गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां चबाकर खाते रहने से मसूड़े और दांत मजबूत होते हैं। इसके सेवन करने से मुंह की बदबू दूर होकर पायरिया की बीमारी ठीक हो जाती है। 27. लू (गर्मी): 1 गिलास ठंडे पानी में 1 चम्मच गुलाबजल मिलाकर उसमें कपड़ा भिगों दें और इसे निचोड़कर सिर पर रखें इससे लू का प्रकोप शांत हो जाता है। गुलाब के गुलकंद का सेवन करने से पूरे शरीर में ठंडक आ जाती है और लू का प्रकोप भी इससे शांत हो जाता है। लू लगने पर गुलकंद और गुलाब का शर्बत पीना चाहिए इससे लाभ मिलेगा। गर्मी से बचने के लिए एक 1 गुलाब के शर्बत में 2 चम्मच गुलकंद मिलाकर सुबह भूखे पेट और शाम को सोते समय पीएं इससे लाभ मिलेगा। 28. चेहरे के कील-मुंहासें: गुलाब के गुलकंद का सेवन प्रतिदिन दो बार करने से कील-मुंहासें ठीक हो जाते हैं तथा इसके साथ ही सिर दर्द, यकृत रोग, कोलाइटिस, चिकन पोक्स व अन्य छूत के रोग, गर्भावस्था के समय में कब्ज की समस्यां तथा स्तनों में दूध की कमी आदि प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। 29. खूनी बवासीर: खूनी बवासीर में गुलाब के 3 ताजा फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है। 30. मासिकधर्म में अधिक खून बहना: अगर मासिकधर्म में खून ज्यादा मात्रा में आ रहा हो तो मासिकधर्म शुरू होने से 20 दिन पहले से ही सुबह-शाम 1-1 चम्मच गुलाब का गुलकंद खाने से लाभ मिलता है। 31. अधिक प्यास लगना:- अगर प्यास बहुत लगती हो तो दिन में 2 बार गुलाब का शर्बत पीना चाहिए। 32. हृदय की कमजोरी: हृदय की कमजोरी को दूर करने के लिए गुलाब का सेवन करना लाभकारी होता है। 33. यकृत के रोग: यकृत (जिगर) बढ़ा हुआ हो और इसमें सूजन तथा दर्द हो रहा हो तो गुलाब के 4 ताजे फूलों को पीसकर यकृत (जिगर) वाले स्थान पर लेप करें इससे लाभ मिलेगा। 34. यौवनशक्तिवर्द्धक: रोजाना 2 गुलाब के ताजे फूलों का सेवन करने से यौवन शक्ति में वृद्धि होती है। 35. स्मरणशक्ति: गुलाब का गुलकंद रोजाना 2-3 बार 3 चम्मच की मात्रा में खाने से स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। गुलाब का इत्र माथे पर लगाने से मन प्रसन्न होता है। गुलाब का तेल बालों में लगाने से दिमाग ठण्डा रहता है। 36. दर्द: गुलाब के उपयोग से किसी भी प्रकार का दर्द ठीक हो जाता है जैसे- हृदय में दर्द, सिर दर्द तथा आमाशय का दर्द आदि। 37. चेहरे की सुन्दरता: गुलाब की ताजा पंखुड़ियों को पानी में उबाल लें और जब भी चेहरा साफ करना हो तब इस पानी से चेहरे को धोएं इससे चेहरे की चमक में वृद्धि होती है तथा ताजगी महसूस होता है। गुलाब की कुछ पंखुड़ियों को पीस लें और चेहरे को साफ करके लेप लगाएं और बीस मिनट बाद चेहरे को धो लें इससे चेहरे पर रोनक आ जाएगी। 38. पुत्रोत्पत्ति: लड़की को अपना मासिकधर्म शुरू होने पर 3 दिन तक लगातार सुबह और शाम सफेद गुलाब के फूलों का गुलकंद बनाकर 125-ग्राम की मात्रा में खाना चाहिए और ऐसे ही लगातार 3 दिन में 750 ग्राम गुलकंद खाने से अधिक लाभ मिलता है। 39. नेत्रज्योति वर्द्धक (आंखों की रोशनी बढ़ने के लिए): गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है तथा आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। आंखों पर गुलाबजल के छीटें मारने या रुई का फोया गुलाबजल में भिगोंकर आंखों पर रखने से आंखों का दर्द ठीक होता है। इसके उपयोग से आंखों की लाली और सूजन भी कम हो जाती है। काले सुरमे के साथ ताजा गुलाब के फूलों के रस को आंखों में डालने से आंखों की जलन कम हो जाती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ जाती है। 40. कब्ज: गुलाब का रस पीने से कब्ज दूर होती है। यह आंतों में छिपे हुए मल को बाहर निकाल देता है। 2-2 चम्मच गुलकंद सुबह-शाम को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन करने से कब्ज पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इससे पेट व आंतों की गर्मी भी शांत होती है। गुलकंद तथा अमलतास के गूदे को 1-1 चम्मच की मात्रा में या गुलकंद को सनाय की पत्ती के साथ सेवन करने से कब्ज दूर होती है। गुलाब की पत्ती, सनाय तथा हर्रे को 3 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर 50 मिलीलीटर पानी में उबालें। उबलने पर जब चौथाई हिस्सा पानी बाकी रह जाए तो रात के समय में हल्का गर्म करके पी जाएं इससे कब्ज शिकायत दूर हो जाती है। 2 बड़े चम्मच गुलकंद, 4 मुनक्का व आधा चम्मच सौंफ को साथ-साथ एक साथ लेकर उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो रात में सोते समय पी लें इससे पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है। सनाय 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, गुलाब के फूल 10 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब पानी 50 ग्राम की मात्रा में बच जाएं तब इस काढ़े को छानकर पी लें इससे कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) पुरी तरह से समाप्त हो जाएगी। गुलाब की पत्तियां 10 ग्राम, सनाय का 1 चम्मच पीसा हुआ चूर्ण, 2 छोटी हरड़ को लेकर दो कप पानी में डालकर उबाल लें। पानी जब एक कप बच जायें, तब इस बनें काढ़े का सेवन करें इससे लाभ मिलेगा। गुलाब 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम, निसोत की छाल 10 ग्राम, हरड़ 10 ग्राम और सोनामाखी 10 ग्राम आदि को 80 ग्राम चीनी में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से साढ़े तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलता है। 41. सांप का जहर: गुलाबजल में चंदन को घिसकर कपूर मिलाकर लेप बना लें और इस लेप को सांप के डंक लगे स्थान पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा। 42. आंखों के चारों ओर कालापन छा जाना: 1 चम्मच देशी गुलाब के फूलों का गुलकंद शाम के समय लें इससे आंखों के चारों ओर का कालापन दूर हो जाता है। 43. योनि रोग: गुलाब का रस लगभग 10 मिलीलीटर और रोगन गुल 10 ग्राम को मिलाकर खाने से योनि की खुजली मिट जाती है। 44. नंपुसकता: 3 बोतल गुलाबजल में 10 ग्राम सोने का बुरादा डालकर मिला लें जब सब गुलाबजल में अच्छी तरह से मिल जाए तब इसके बाद बुरादे को निकाल कर रख लें। इसमें से 0.12 ग्राम या 0.24 ग्राम मलाई को मिलाकर खाने से सहवास करने की शक्ति में वृद्धि होती है। 45. मुंह की दुर्गंध: गुलाब की ताजी पंखड़ियां चबाने से एवं मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ें तथा अन्य करणों से आने वाली मुंह की दुर्गन्ध नष्ट हो जाती है। 46. घाव: घाव पर गुलाब के पंखुड़ियों का चूर्ण डालने और सूजन पर गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर लेप लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है। 47. अरूंषिका (वराही): ताजे गुलाब के फूलों को पीसकर सिर में लेप करने से अरूंषिका रोग ठीक हो जाता है। 48. नकसीर: गुलाब जल में किशमिश के 20 दानों को मिलाकर सेवन करने से नकसीर (नाक से खून बहना) के रोग में आराम मिलता है। 49. मुर्च्छा (बेहोशी): गुलाबजल को रोगी को पिलाने और पंखे से हवा करने से बेहोशी दूर हो जाती है। गुलाब जल के छींटे आंखों पर मारने से गर्मी के कारण होने वाली बेहोशी दूर हो जाती है। 50. हृदय की धड़कन: सफेद गुलाब की पंखड़ियों का रस 10 से 20 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से हृदय की धड़कन में लाभ मिलता है। एक गुलाब के फूल को बासी मुंह चबाकर खा जाएं इससे हृदय की अनियमित धड़कन ठीक हो जाती है। 50 ग्राम गुलाब के सूखे फल, 100 ग्राम मिश्री को एकसाथ मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण के 2-2 चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से दिल का धड़कना सही हो जाता है। यदि दिल बहुत धड़कता हो तो गुलाब के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इस चूर्ण में से 1-1 चम्मच गाय के दूध के साथ दिन में 2 बार सेवन करने इससे लाभ मिलेगा। 51. नहरूआ: 3 ग्राम भुने चने और 3 ग्राम हींग को गुलाब के साथ पीसकर चूर्ण बनाकर लें। यह चूर्ण सुबह-शाम 7 दिन तक सेवन करने से नहरूआ रोग ठीक हो जाता है। 10 ग्राम शुद्ध सुहागा को गुलाब के तेल में मिलाकर तीन दिन तक खाने से नहरूआ रोग नष्ट हो जाता है तथा सूजन मिट जाती है। 52. मिर्गी (अपस्मार): गुलाबजल में लगभग 0.48 ग्राम गोरोचन दिन में 3 बार मिलाकर रोगी को पिलाने से मिर्गी के कारण आने वाले दौरे दूर हो जाते हैं। 53. बच्चों की आंखों के लिए हितकर: अगर आंखों में जलन हो तो गुलाब-जल के छींटे आंखों में मारे अथवा केसर को घोटकर शहद में मिलाकर आंख में लगाएं इससे लाभ मिलेगा। 54. शरीर में सूजन: शरीर में सूजन आने पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों को पीसकर पानी में डालकर पतला करके सारे शरीर पर लेप करें या इससे मालिश करें तथा इसके एक घंटे बाद रोगी को स्नान कराएं इससे फायदा मिलेगा। 55. गुलकंद बनाने की विधि: गुलाब के फूल की पंखुड़ियों में बराबर की मात्रा में चीनी मिलाकर 2 सप्ताह धूप में रखने से गुलकंद बनता है। यदि गुलाब के फूल की ताजी पंखुड़ियां न मिले तो सूखी पंखुड़ियों को साफ करके थोड़ी देर पानी में भिगोकर इसे बना सकते हैं। 56. शरीर की रक्षा करने के लिए: गुलाब के फूल और पत्तियों में विटामिन सी, ई, कैरोटीन, फ्रूट, एसिड वसायुक्त तेल तथा निकोटिनेमाइड पाया जाता है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होता है। गुलाब शरीर की रोगप्रतिरोधक (रोगों से लड़ने की ताकत) शक्ति को बढ़ाता है जिसके फलस्वरूप कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। 57. गुलाब का अन्य उपयोग: गुलाब का फूल सौन्दर्य, स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। गुलाब के फूलों से ठंडक मिलती है। शरीर के रंग-रूप में निखार आ जाता है। यह हृदय के लिए लाभकारी और त्रिदोषनाशक होता है। गुलाब का इत्र उत्तेजक होता है। गुलाबजल को गुलाब के रस के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। गुलाबजल मिठाइयों पर छिड़का जाता है या पानी में खुशबू के लिए डाला जाता है। गुलाबी गुलाब सौन्दर्य, चाहत, खुशी, आवेग, सादगी तथा प्रेम का प्रतीक माना जाता है। लाल और सफेद गुलाब जब एक साथ रखा जाता है तो यह मिलन का प्रतिक होता है। मासिकधर्म के रोग, रजोनिवृत्ति (मेनोपाज) तथा मासिकस्राव आने से पूर्व की समस्याओं (पीएमएस) के समय होने वाले कष्टप्रद लक्षणों को दूर करने के लिए गुलाब का तेल का उपयोग किया जाता है। 25 ग्राम गुलकंद में 5 ग्राम पिसी हुई सौंफ मिलाकर खाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है। नकसीर, मासिकधर्म में अधिक रक्तस्राव होना, पेट और आंखों में जलन आदि रोग को ठीक करने के लिए गुलाब का उपयोग किया जा सकता है। गुलाब आंतों के रुखेपन और कब्ज को दूर करने में उपयोगी है। गर्मी में दिनों में जिन लोगों की त्वचा पर घमौरियां या फुंसियां होती हैं उनके इन कष्टों को दूर करने के लिए गुलाब का उपयोग करना लाभकारी हो सकता है। सफेद गुलाब को रोशनी का फूल, कोमलता, पवित्रता, सौम्यता, आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। सफेद गुलाब की कली लड़कपन का प्रतीक होता है। गुलाब के फूलों का गुलदस्ता तोहफे के रूप में भेंट किया जाता है। आज कल प्रेमियों के बीच गुलाब के फूलों का लेन-देन करने का प्रचलन अधिक है क्योंकि यह प्रेम का प्रतिक होता है।

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