बुधवार, 31 मार्च 2021

Marigold health benefits

 

Marigold or genda phool








परिचय : गेंदे की खूबसूरती और सुगंध सभी को आकर्षित करती है तथा इसके फूलों की मालाओं का अधिक मात्रा में प्रयोग आम जीवन में किया जाता है। इसका पौधा बरसात के मौसम में लगाया जाता है और इसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। गेंदे के पौधे की ऊंचाई 80 से 120 सेमी तक होती है। गेंदे के पत्ते से 2 से 5 सेमी लंबे और कंगूरेदार होते हैं इन पत्तों को मसलने पर अच्छी खुशबू आती है। इसके फूल पीले तथा नारंगी रंग के होते हैं जो अक्टूबर-नवम्बर महीने में लगते हैं। ये आकार में अन्य के फूलों के मुकाबले बड़े और घने होते हैं। गेंदे अनेक जातियां होती है, जिनमें मखमली, जाफरे, हवशी, सुरनाई और हजार अधिक प्रचलित हैं। विभिन्न भाषाओं में नाम : हिन्दी गेंदा संस्कृत झण्डू, स्थूल, पुष्पा मराठी झेण्डू गुजराती गलगोटे बंगाली गेंदा तेलगू बांटिचेट्टु मलयालम चेण्डमल्ली फारसी गुलहजारा अंग्रेजी मैरी गोल्ड रंग : गेंदे का फूल लाल, पीला तथा इसके पत्ते हरे रंग के होते हैं। स्वाद : गेंदे का फूल स्वाद में हल्का तीखा होता है। स्वरूप : यह एक फूल का पेड़ है जो बरसाती मौसम में होता है।इसका फूल हृदय को प्रसन्न कर देता है। प्रकृति : गेदें के फूल की प्रकृति गर्म होती है। हानिकारक : गेंदे के फूल का अधिक मात्रा में सेवन करना गर्म प्रकृति के लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। यह कामशक्ति को घटाता है। गेंदे के फूलों का रस में गंधक मिलाकर सूर्य के प्रकाश रखने पर यह जहरीला पदार्थ बन जाता है। गुण : गेंदे के पत्तों का रस कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है। इसके पत्तों का रस औरतों के स्तनों की सूजन को बढ़ाता है। गेंदे के रस से कुल्ला करने पर दांत दर्द ठीक होता है। गेंदे के पत्ते का रस कालीमिर्च और नमक के साथ मिलाकर पीना बवासीर के रोगी के लिए लाभकारी होता है। गेंदे के फूल की डौण्डी का चूर्ण 10 ग्राम दही के साथ सेवन करने से दमें और खांसी में लाभ होता है। आयुर्वेदिक मतानुसार गेंदा कसैला स्वाद में कडु़वा, बुखार को ठीक करने वाला, संक्रमण को नष्ट करने वाला होता है। इसमें रक्तस्राव को रोकने की विशेष क्षमता होती है। यह रक्तप्रदर, बवासीर तथा रक्तस्राव में विशेष उपयोगी माना जाता है। इसे सामान्य चोट और सूजन पर बांधने से बहुत लाभ होता है। वैज्ञानिक मतानुसार गेंदे के फूलों में हानिकारक कीड़ों, कीटाणुओं को दूर भगाने, उन्हें नष्ट करने का विशेष गुण पाया जाता है। गेंदे का फूल मलेरिया फैलाने वाले एनाफिलीज जाति के मच्छरों को दूर भगाने में काफी प्रभावशाली है। अत: गेंदा मलेरिया जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए औषधि है। गेंदे के पौधे के आसपास हानिकारक कीड़े और मच्छर दिखाई नहीं देते हैं। विभिन्न रोगों में सहायक औषधि : 1. कान में दर्द: गेंदे की पत्ती का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। गेंदे के पत्तों का रस गर्म करके सहनीय (हल्का गर्म) अवस्था में पीड़ित कान में 2-3 बूंद की मात्रा में डालने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है। 2. आंखों के दर्द: गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें फिर आंखों की पलकों को बंद करके इसे पलको के ऊपर रखे इससे आंखों का दर्द दूर हो जाएगा। 3. शरीर में शक्ति तथा वीर्य की मात्रा बढ़ाना: 1 चम्मच गेंदे के बीज और इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम प्रतिदिन सेवन करने से वीर्य की मात्रा में वृद्धि तथा शरीर की शक्ति बढ़ती है। 4. गुदाभ्रंश (कांच निकलना): गेंदे के पत्तों का काढ़ा तैयार करके उससे 2-3 बार गरारे करके कुल्ला करने से यह कष्ट दूर हो जाता है। 5. स्तनों की सूजन: अगर किसी औरत के स्तनों में अचानक सूजन हो जाए तो गेंदे की पत्ती के रस से स्तनों पर मालिश करें इससे सूजन दूर हो जाती है। गेंदे के पत्तों को पीसकर उसका लेप स्तन पर लगायें और उस पर ब्रा पहनकर गर्म सिंकाई करें इससे सूजन कम हो जाती है। 6. दाद: दाद से प्रभावित अंग पर गेंदे के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार रोजाना लगाना चाहिए। 7. चोट, मोच, सूजन: गेंदे के पंचाग (जड़, पत्ता, तना, फूल और फल) का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाएं व मालिश करें। इससे लाभ मिलता है। गेंदा के फूल के पत्तों को पीसकर लेप की तरह शरीर के सूजन वाले भाग पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है। 8. दमा तथा खांसी: गेंदे के बीजों को बराबर मिश्री के साथ पीसकर एक चम्मच की मात्रा में एक कप पानी के साथ 2-3 बार सेवन करने से दमा और खांसी में लाभ मिलता है। 9. फोड़े-फुन्सी, घाव: गेदें के पत्तों को पीसकर 2-3 बार लगाने से फोड़े, फुंसियों तथा घाव में लाभ मिलता है। गेंदा के फूलों को पीसकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है। 10. खूनी बवासीर: गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को 10 ग्राम की मात्रा में थोड़े से घी के साथ पकाकर दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से लाभ मिलता है। 10 ग्राम गेंदे के पत्ते, 2 ग्राम कालीमिर्च को एक साथ पीसकर पीने से बवासीर के रोग में लाभ होता है। 5 से 10 ग्राम गेंदे के फूलों की पंखुड़ियों को घी में भूनकर रोजाना 3 बार रोगी को देने से बवासीर से बहने वाला खून बंद हो जाता है। गेंदे के पत्तों का रस निकालकर पीने से बवासीर में बहने वाला रक्त तुरन्त बंद हो जाता है। रात के समय में 250 ग्राम गेंदे के पत्ते और केले की जड़ को 2 लीटर पानी में भिगों दें और सुबह इसका रस निकाल लें इस रस को 15 से 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करें इससे बवासीर रोग में आराम मिलेगा। खूनी बवासीर में गेंदे के फूलों का 5-10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है। गेंदे के फुल की पंखुड़ियों को पीसकर इसका 10 ग्राम रस निकाल लें। इस रस को गाय के 30 ग्राम घी के साथ मिलाकर प्रतिदिन सूबह-शाम पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है। गेंदे के फूला या पत्तों का रस निकाल कर पीयें। इससे बादी बवासीर के सूजन ठीक होती है। 11. मूत्रविकार (पेशाब के रोग): 10 ग्राम गेंदे के पत्तों को पीसकर उसके रस में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार पीने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आ जाता है। 12. हाथ-पैर फटने पर: गेंदे के पत्तों का रस वैसलीन में मिलाकर 2-3 बार लगाने से फटे-हाथ पैरों में लाभ मिलता है। 13. दातों का दर्द: गेंदे के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करें इससे दांतों के दर्द में तुरन्त आराम मिलेगा। 14. रक्तप्रदर: रक्तप्रदर में गेंदे के फूलों का रस 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके फूलों के 20 ग्राम चूर्ण को 10 ग्राम घी में भूनकर सेवन करने से लाभ होता है। 15. पथरी: गेंदे के पत्तों के 20-30 मिलीलीटर काढ़े को कुछ दिनों तक दिन में दो बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है। 16. कामशक्ति दूर करना: गेंदे के 10 ग्राम बीजों को कूटकर खाने से कामशक्ति समाप्त हो जाती है। 17. मूत्रघात (पेशाब से धातु का आना): गेंदे का रस पीने से पेशाब के संग आने वाला धातु रुक जाता है। 18. नंपुसकता (नामर्दी): गेंदे के बीज 4 ग्राम, मिसरी 4 ग्राम दोनों को पीसकर कुछ दिनों तक खाने से वीर्य स्तंभन शक्ति का विकास होता है। 19. बुखार: गेंदे के फूलों का रस 1 से 2 ग्राम की मात्रा में प्रयोग करने से बुखार में लाभ मिलता है। 20. कान का दर्द: कान में से मवाद निकलने पर और कान में दर्द होने पर गेंदे के पत्तों का रस निकालकर थोड़ा सा गर्म करके कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान में दर्द से आराम आता है। हजारा गेंदे के रस को निकालकर गर्म कर लें। इसे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल के पत्तों को मसलकर उसका रस निकालकर कान में डालने से कान के दर्द में लाभ होता है। 21. योनि का आकार छोटा करना: गेंदे को जलाकर उसकी राख को योनि में रखकर मलना चाहिए लेकिन ध्यान रखें कि उसे कपड़े से छान लें ताकि कोई हानिकारक पदार्थ न रह जाए। ऐसा न करने से मालिश करने से होने वाले लाभ के बजाय योनि के छिल जाने से हानि भी हो सकती है। 22. सिर के फोड़े: गेंदे के पत्तों को मैदा या सूजी के साथ मिलाकर पीठ के फोड़े, विशाक्त फोड़े, सिर के फोड़े और गांठ पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है।

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