गर्भ धारण के लिए उपाय
पति-पत्नी के बीच यौन संबंध का एक लक्ष्य माता-पिता बनना भी होता है। वात्सयायन के कामसूत्र में संभोग की स्थितियों यानी पोजीशंस के बारे में बताया गया है। इसी में ऐसी पोजीशन भी बताई गई हैं, जिनमें संभोग करने से गभीधारण आसान हो जाता है। आज हम आपको कुछ पोजीशंस बताएंगे, जो गर्भधारण में सहायक होती हैं। साथ ही हम आपको कुछ टिप्सभीदेंगे-
गर्भधारण के लिए दो पोजीशन में सेक्स करना फलदायक रहता है-
मिशनरी पोजीशन: इस स्थिति में संभोग के समय पुरुष ऊपर की ओर होता है। इस पोजीशन में संभोग करने से पुरुष का वीर्य सीधे स्त्री के गर्भाशय तक सीधा पहुंचता है। पुरुष के ऊपर रहने से गर्भधारण आसान हो जाता है। इसके विपरीत यदि स्त्री ऊपर की ओर रहती है, तो गर्भधारण की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।
हैंड एण्ड नी पोजीशन (डॉगी स्टाइल): इस पोजीशन में स्त्री घुटनों और हाथ के बल लेट जाती है और पुरुष पीछे की ओर से संभोग करता है। ऐसी स्थिति में वीर्य आसानी से महिला के गर्भाशय तक आसानी से पहुंचता है।
कुछ देर आराम करें
यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो उपर्युक्त दोनों पोजीशंस पर संभोग करने के बाद कुछ देर आराम करें। बेड पर कूदें नहीं। चाहे जितने जरूरी काम क्यों न हों, संभोग के तुरंत बाद बिस्तर से उठने की जरूरत नहीं। यदि आपने मिशनरी पोजीशन में सेक्स किया है, तो संभोग करते समय या फिर संभोग के बाद स्त्री अपनी कमर के नीचे तकिया लगा लें, ताकि वीर्य गुरुत्वाकर्षण बल के जरिए नीचे की ओर आसानी से पहुंच सके। यदि संभोग के समय ही तकिया लगा लिया है तो अच्छा रहता है। ऐसे में कम से कम आधे घंटे तक स्त्री को शांतिपूर्वक लेटे रहना चाहिए।
कुछ लोग मानते हैं कि संभोग के बाद यदि स्त्री पीठ के बल लेटकर अपने पैर ऊपर कर के थोड़ी देर लेटी रहे तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा करना फलदायक हो सकता है। हालांकि यह बात अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है।
कौन स समय सही
कुछ लोगों का मानना है कि दिन के समय सेक्स करने गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है। इसके पीछे उनका तर्क यह होता है कि रात्रि की तुलना में दिन में वीर्य में शुक्राणु की संख्या अधिक होती है।
वहीं हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि गर्भधारण के लिए सेक्स का सही समय शाम पांच से सात बजे के बीच का होता है। इस दौरान वीर्य में शुक्राणु की संख्या करीब 35 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। शाम का यह समय ऐसा होता है, जब महिला के अंडाशय ज्यादा जल्दी क्रिया करते हैं। हालांकि यहां स्त्री को मासिक धर्म का ध्यान रखें।
इन पोजीशन में न करें सेक्स
यदि आप गर्भधारण चाहती हैं, तो इन बातों को जरूर ध्यान रखें, जो आपको नहीं करनी हैं। पहली यह कि संभोग के दौरान महिला ऊपर नहीं हो। ऐसे में शुक्राणु सर्विक्स के पास जमा हो जाते हैं। और थोड़ी ही देर में वापस लौट आते हैं, जिस कारण वो अंडाशय तक पहुंच नहीं पाते।
इसके अलावा बैठकर, बगल में लेटकर और खड़े होकर सेक्स नहीं करें। इन सभी स्थितियों में शुक्राणुओं के गर्भाशय के पास जमा होने की संभावना ज्यादा होती है। हां कई बार वीर्य के निकलते समय शुक्राणु की गति अधिक होती है और ज्यादा संवेग होने के कारण शुक्राणु अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं और गर्भधारण हो जाता है।
पति-पत्नी के बीच यौन संबंध का एक लक्ष्य माता-पिता बनना भी होता है। वात्सयायन के कामसूत्र में संभोग की स्थितियों यानी पोजीशंस के बारे में बताया गया है। इसी में ऐसी पोजीशन भी बताई गई हैं, जिनमें संभोग करने से गभीधारण आसान हो जाता है। आज हम आपको कुछ पोजीशंस बताएंगे, जो गर्भधारण में सहायक होती हैं। साथ ही हम आपको कुछ टिप्सभीदेंगे-
गर्भधारण के लिए दो पोजीशन में सेक्स करना फलदायक रहता है-
मिशनरी पोजीशन: इस स्थिति में संभोग के समय पुरुष ऊपर की ओर होता है। इस पोजीशन में संभोग करने से पुरुष का वीर्य सीधे स्त्री के गर्भाशय तक सीधा पहुंचता है। पुरुष के ऊपर रहने से गर्भधारण आसान हो जाता है। इसके विपरीत यदि स्त्री ऊपर की ओर रहती है, तो गर्भधारण की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।
हैंड एण्ड नी पोजीशन (डॉगी स्टाइल): इस पोजीशन में स्त्री घुटनों और हाथ के बल लेट जाती है और पुरुष पीछे की ओर से संभोग करता है। ऐसी स्थिति में वीर्य आसानी से महिला के गर्भाशय तक आसानी से पहुंचता है।
कुछ देर आराम करें
यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो उपर्युक्त दोनों पोजीशंस पर संभोग करने के बाद कुछ देर आराम करें। बेड पर कूदें नहीं। चाहे जितने जरूरी काम क्यों न हों, संभोग के तुरंत बाद बिस्तर से उठने की जरूरत नहीं। यदि आपने मिशनरी पोजीशन में सेक्स किया है, तो संभोग करते समय या फिर संभोग के बाद स्त्री अपनी कमर के नीचे तकिया लगा लें, ताकि वीर्य गुरुत्वाकर्षण बल के जरिए नीचे की ओर आसानी से पहुंच सके। यदि संभोग के समय ही तकिया लगा लिया है तो अच्छा रहता है। ऐसे में कम से कम आधे घंटे तक स्त्री को शांतिपूर्वक लेटे रहना चाहिए।
कुछ लोग मानते हैं कि संभोग के बाद यदि स्त्री पीठ के बल लेटकर अपने पैर ऊपर कर के थोड़ी देर लेटी रहे तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा करना फलदायक हो सकता है। हालांकि यह बात अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है।
कौन स समय सही
कुछ लोगों का मानना है कि दिन के समय सेक्स करने गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है। इसके पीछे उनका तर्क यह होता है कि रात्रि की तुलना में दिन में वीर्य में शुक्राणु की संख्या अधिक होती है।
वहीं हाल ही में हुए एक शोध में पता चला है कि गर्भधारण के लिए सेक्स का सही समय शाम पांच से सात बजे के बीच का होता है। इस दौरान वीर्य में शुक्राणु की संख्या करीब 35 प्रतिशत तक ज्यादा होती है। शाम का यह समय ऐसा होता है, जब महिला के अंडाशय ज्यादा जल्दी क्रिया करते हैं। हालांकि यहां स्त्री को मासिक धर्म का ध्यान रखें।
इन पोजीशन में न करें सेक्स
यदि आप गर्भधारण चाहती हैं, तो इन बातों को जरूर ध्यान रखें, जो आपको नहीं करनी हैं। पहली यह कि संभोग के दौरान महिला ऊपर नहीं हो। ऐसे में शुक्राणु सर्विक्स के पास जमा हो जाते हैं। और थोड़ी ही देर में वापस लौट आते हैं, जिस कारण वो अंडाशय तक पहुंच नहीं पाते।
इसके अलावा बैठकर, बगल में लेटकर और खड़े होकर सेक्स नहीं करें। इन सभी स्थितियों में शुक्राणुओं के गर्भाशय के पास जमा होने की संभावना ज्यादा होती है। हां कई बार वीर्य के निकलते समय शुक्राणु की गति अधिक होती है और ज्यादा संवेग होने के कारण शुक्राणु अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं और गर्भधारण हो जाता है।
ओवुलेशन पीरियड में सेक्स करें
हर महिला का ओवुलेशन पीरियड उसके मासिक-धर्म के अनुसार हो सकता है। लेकिन सामान्यत: मासिक-धर्म के 16वें और 12वें दिनों का समय ओवुलेशन पीरियड हो सकता है । इस समय सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। जैसे अगर आपके मासिक-धर्म की शुरुआत 30 तारीख को होनी है तो 14 से 18 तारिख का समय ओवुलेशन का समय होगा।
बेटा हो या बेटी, ये आपके संभोग पर निर्भर है!
मां के गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का या है या लड़की ये तो जन्म के बाद ही पता चलता है। ये और बात है कि अल्ट्रासाउंड मशीन के आने के बाद अब लोग जन्म से पहले ही गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगा लेते हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन एक तरह से गर्भ में पल रही कन्या शिशु की हत्या का बड़ा हथियार बन चुका है, जिससे देश में लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है। यदि स्त्रियां प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए अपनाए गए तरीके और उनकी बताई काल गणना के आधार पर पति के साथ शारीरिक संबंध (sex) बनाएं तो वह अपनी इच्छानुसार पुत्र या पुत्री को जन्म दे सकती हैं। शारीरिक संबंध का नियोजन कर दंपत्ति एक पुत्र व एक पुत्री को जन्म देकर अपने परिवार को पूरा कर सकती है।
महिलाएं संभोग काल का विशेष ध्यान रख यह निर्धारित कर सकती हैं कि वह पुरुष शुक्राणु के Y क्रोमोजोम से अपने अंडाणु का निषेचन (sperm egg fertilization) चाहती हैं या X क्रोमोजोम से। पुरुष शुक्राणु के वाई क्रोमोजोम से अंडाणु का निषेचन माता के गर्भ में पुत्र को स्थापित करेगा और एक्स से निषेचन कन्या को। इससे परिवार को अपने हिसाब से संतुलित करने में दंपत्तियों को विशेष मदद मिलेगी और कन्या को गर्भ में मारने के पाप से भी वह बच सकेंगे, जो कि एक विकराल समस्या बनती जा रही है।
पीरियड के पहले दिन से करें संभोग काल का निर्धारिण
औरतें जब पीरियड (menstrual cycle) होती हैं तो उसकी समाप्ति के बाद करीब एक सप्ताह का समय संभोग के लिए सुरक्षित होता है। इस समय शारीरिक संबंध के बावजूद गर्भधारण की संभावना न के बराबर होती है। उसके बाद सम संख्या वाले दिन संभोग करने से पुत्र होने के आसार होते हैं। सम संख्या से हमारा मतलब 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14 वें दिन संभोग करने से है। इस दौरान विषम संख्या के (1, 3, 5,7, 9, 13, 15) दिन संभोग करने से पुत्री पैदा होने की संभावना अधिक होती है।
विशेष सावधानी
याद रहे दिन की गणना करते वक्त ये ध्यान रखें कि एक दिन का मतलब 24 घंटे से है। जैसे कि यदि कोई स्त्री 2 फरवरी को रात 10 बजे periods होती है तो 3 फरवरी रात 10 बजे तक पीरियड का एक दिन कहलाएगा। साधारणत: जब किसी स्त्री को दो फरवरी को किसी भी समय माहवारी होगी तो वह 3 फरवरी को दूसरा दिन मान लेती है। इससे गणना सही नहीं बैठती है।
दूसरी सावधानी यह बरतें कि periodic table की गणना पहले दिन से करें, लेकिन गर्भधारण के लिए संभोग पीरियड खत्म होने के एक सप्ताह बाद करें। एक सप्ताह का समय गर्भधारण से बचने के लिए सुरक्षित काल होता है। अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए पीरियड शुरू होने वाले दिन से गणना कर,8,10, 12 वें, 14 वें और 16 वें दिन संभोग करें। ध्यान रखें कि पुत्र चाहिए तो जब तक गर्भ धारण नहीं होता है तब तक विषम संख्या वाले दिन संभोग करने से बचें। ठीक इसी तरह अगर पुत्री चाहिए तो विषम संख्या वाले दिन संभोग करें और गर्भधारण करने तक सम संख्या वाले दिन शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
मेरा अनुभव
आप इसे विज्ञान से परे मान सकते हैं, लेकिन यह तरीका 90 फीसदी सफल और सही है। बाकी का एक फीसदी ऊपर वाले पर छोड़ दें। वैसे काल गणना की गलती लोग कर जाते हैं। मैंने खुद इस गणना के आधार पर इच्छित संतान की प्राप्ति की है। यही नहीं, मेरे कई रिश्तेदार भी इस सुझाव पर चलकर इच्छानुसार पुत्र और पुत्री को जन्म दे चुके हैं। हां आपको यह बता दूं कि यदि गणना काल में एक घंटे की भी गलती हुई तो परिणाम विपरीत होगा। अत: दिन की गणना का विशेष ध्यान रखें और ऊपर वाले पर भरोसा रखें।
मां के गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का या है या लड़की ये तो जन्म के बाद ही पता चलता है। ये और बात है कि अल्ट्रासाउंड मशीन के आने के बाद अब लोग जन्म से पहले ही गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग का पता लगा लेते हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन एक तरह से गर्भ में पल रही कन्या शिशु की हत्या का बड़ा हथियार बन चुका है, जिससे देश में लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है। यदि स्त्रियां प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए अपनाए गए तरीके और उनकी बताई काल गणना के आधार पर पति के साथ शारीरिक संबंध (sex) बनाएं तो वह अपनी इच्छानुसार पुत्र या पुत्री को जन्म दे सकती हैं। शारीरिक संबंध का नियोजन कर दंपत्ति एक पुत्र व एक पुत्री को जन्म देकर अपने परिवार को पूरा कर सकती है।
महिलाएं संभोग काल का विशेष ध्यान रख यह निर्धारित कर सकती हैं कि वह पुरुष शुक्राणु के Y क्रोमोजोम से अपने अंडाणु का निषेचन (sperm egg fertilization) चाहती हैं या X क्रोमोजोम से। पुरुष शुक्राणु के वाई क्रोमोजोम से अंडाणु का निषेचन माता के गर्भ में पुत्र को स्थापित करेगा और एक्स से निषेचन कन्या को। इससे परिवार को अपने हिसाब से संतुलित करने में दंपत्तियों को विशेष मदद मिलेगी और कन्या को गर्भ में मारने के पाप से भी वह बच सकेंगे, जो कि एक विकराल समस्या बनती जा रही है।
पीरियड के पहले दिन से करें संभोग काल का निर्धारिण
औरतें जब पीरियड (menstrual cycle) होती हैं तो उसकी समाप्ति के बाद करीब एक सप्ताह का समय संभोग के लिए सुरक्षित होता है। इस समय शारीरिक संबंध के बावजूद गर्भधारण की संभावना न के बराबर होती है। उसके बाद सम संख्या वाले दिन संभोग करने से पुत्र होने के आसार होते हैं। सम संख्या से हमारा मतलब 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14 वें दिन संभोग करने से है। इस दौरान विषम संख्या के (1, 3, 5,7, 9, 13, 15) दिन संभोग करने से पुत्री पैदा होने की संभावना अधिक होती है।
विशेष सावधानी
याद रहे दिन की गणना करते वक्त ये ध्यान रखें कि एक दिन का मतलब 24 घंटे से है। जैसे कि यदि कोई स्त्री 2 फरवरी को रात 10 बजे periods होती है तो 3 फरवरी रात 10 बजे तक पीरियड का एक दिन कहलाएगा। साधारणत: जब किसी स्त्री को दो फरवरी को किसी भी समय माहवारी होगी तो वह 3 फरवरी को दूसरा दिन मान लेती है। इससे गणना सही नहीं बैठती है।
दूसरी सावधानी यह बरतें कि periodic table की गणना पहले दिन से करें, लेकिन गर्भधारण के लिए संभोग पीरियड खत्म होने के एक सप्ताह बाद करें। एक सप्ताह का समय गर्भधारण से बचने के लिए सुरक्षित काल होता है। अर्थात पुत्र प्राप्ति के लिए पीरियड शुरू होने वाले दिन से गणना कर,8,10, 12 वें, 14 वें और 16 वें दिन संभोग करें। ध्यान रखें कि पुत्र चाहिए तो जब तक गर्भ धारण नहीं होता है तब तक विषम संख्या वाले दिन संभोग करने से बचें। ठीक इसी तरह अगर पुत्री चाहिए तो विषम संख्या वाले दिन संभोग करें और गर्भधारण करने तक सम संख्या वाले दिन शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
मेरा अनुभव
आप इसे विज्ञान से परे मान सकते हैं, लेकिन यह तरीका 90 फीसदी सफल और सही है। बाकी का एक फीसदी ऊपर वाले पर छोड़ दें। वैसे काल गणना की गलती लोग कर जाते हैं। मैंने खुद इस गणना के आधार पर इच्छित संतान की प्राप्ति की है। यही नहीं, मेरे कई रिश्तेदार भी इस सुझाव पर चलकर इच्छानुसार पुत्र और पुत्री को जन्म दे चुके हैं। हां आपको यह बता दूं कि यदि गणना काल में एक घंटे की भी गलती हुई तो परिणाम विपरीत होगा। अत: दिन की गणना का विशेष ध्यान रखें और ऊपर वाले पर भरोसा रखें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें