परिचय: मुलहठी रेशेदार, गन्धयुक्त और बहुत ही उपयोगी होती है। आमतौर पर लोगइसे मीठी लकड़ी के नाम से जानते हैं। भारत में इसे मुलहठी या मुलेठी के नाम से जाना जाता है। मुलहठी ही एक ऐसी वस्तु है, जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है। पनवाड़ी इसे पान में डालकर देता है। मुलहठी का प्रयोग मधुमेह की औषधि बनाने में किया जाता है। भारत में यह बहुत ही कम मात्रा में होती है इसलिए यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयात की जाती है। मुलहठी की जड़ और रस हमेशा बाजारों में पंसारियों के यहां मिलती हैं। विभिन्न भाषाओं में नाम: हिन्दी मुलहठी, मुलेठी संस्कृत यष्टीमधु बंगाली यष्टिमधु गुजराती जेठोमधु अंग्रेजी लाहकोरिस रूट पंजाबी मुलहठी अरबी असलुस्सूस तेलगु यष्टिमधुकम मराठी जेष्टिमध फारसी बिखेमहक स्वाद: मुलहठी का स्वाद खाने में मीठा होता है। स्वभाव: यह खाने में ठण्डी होती है। मुलहठी में 50 प्रतिशत पानी होता हैं। इसमें मुख्य घटक `ग्लिसराइजिन´ हैं, जिसके कारण यह खाने में मीठा होता है जो 5 से 20 प्रतिशत विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है। मुलहठी में 10 से 14 प्रतिशत तक ग्लाइकोसाइड भी होता है। इसके अतिरिक्त इसमें घावों को शीघ्र भरने वाले विभिन्न घटक सुक्रोज, डेक्स्ट्रोज, स्टार्च, प्रोटीन, वसा, रेजिन, कोसाइड्स, लिक्विरीस्ट्रासाइड्स, आइसोलिक्यिरीस्ट्रोसाइड कुमेरिन, फ्रलेकोनोन, लिक्विरीटिन, आइसोलिक्विरीटिन, अम्वलीफीरोन आदि तत्त्व भी पाये जाते हैं। मुलहठी में ग्लूकोज, स्टीराइड, एस्ट्रोजन, कैल्शियम, पोटैशियम आदि तत्त्व भी मौजूद हैं। हानिकारक: मुलहठी के सेवन के दौरान गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। गुण: मुलहठी खांसी, जुकाम, उल्टी व पित्त को बंद करती है। मुलहठी अम्लता में कमी व क्षतिग्रस्त व्रणों (जख्मों) में लाभकारी है। अम्लोत्तेजक पदार्थ को खाने पर होने वाली पेट की जलन और दर्द, पेप्टिक अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में मुलहठी अच्छा प्रभाव छोड़ती है। मुलहठी का उपयोग कड़वी औषधियों का स्वाद बदलने के लिए किया जाता है। मुलहठी आंखों के लिए लाभदायक, वीर्यवर्धक, बालों को मुलायम, आवाज को सुरीला बनाने वाली और सूजन में लाभकारी है। मुलहठी विष, खून की बीमारियों, प्यास और क्षय (टी.बी.) को समाप्त करती है। विभिन्न रोगों में सहायक: 1. घाव (जख्म): मुलहठी पेट में बन रहे एसिड (तेजाब) को नष्ट करके अल्सर के रोग से बचाती है। पेट के घाव की यह सफल औषधि है। मुलहठी खाने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसका सेवन लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। बीच-बीच में बंद कर दें। मुलहठी को पीसकर घी के साथ चूर्ण के रूप में हर तरह के घावों पर बांधने से शीघ्र लाभ होता है। चाकू आदि के घाव के कारण उत्पन्न तेज दर्द रोगी को बहुत कष्ट देता है। यह दर्द मुलहठी के चूर्ण को घी में मिलाकर थोड़ा गर्म करके लगाने से शीघ्र ही शांत होता है। 2. कफ व खांसी: खांसी होने पर यदि बलगम मीठा व सूखा होता है तो बार-बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। जब तक गले से बलगम नहीं निकल जाता है, तब तक रोगी खांसता ही रहता है। इसके लिए 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर इतना उबाल लें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें। 3 से 4 दिन तक प्रयोग करने से कफ पतला होकर बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है। यक्ष्मा (टी.बी.) की खांसी में मुलहठी चूसने से लाभ होता है। 2 ग्राम मुलहठी पाउडर, 2 ग्राम आंवला पाउडर, 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम खाने से खांसी में लाभ होता है। 3. नपुंसकता (नामर्दी): रोजाना मुलहठी चूसने से नपुंसकता नष्ट हो जाती है। 10 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिश्री मिले गर्म-गर्म दूध को पीने से नपुंसकता का रोग कुछ ही समय में कम हो जाता है। 10-10 ग्राम मुलहठी, विदारीकंद, तज, लौंग, गोखरू, गिलोय और मूसली को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण लगातार 40 दिनों तक सेवन करने से नपुंसकता का रोग दूर हो जाता है। 4. दाह (जलन): मुलहठी और लालचंदन पानी के साथ घिसकर शरीर पर लेप करने से जलन शांत होती है। 5. अम्लपित्त (एसिडिटिज): खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हैं, जलन होती है तो मुलहठी चूसने से लाभ होता है। भोजन से पहले मुलहठी के 3 छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसें, फिर भोजन करें। मुलहठी का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय की अम्लपित्त (एसिडिटीज) समाप्त हो जाती है और पेट दर्द मिट जाता है। 6. कब्ज़, आंव: 125 ग्राम पिसी मुलहठी, 3 चम्मच पिसी सोंठ, 2 चम्मच पिसे गुलाब के सूखे फूल को 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) बाहर निकल जाता है। 5 ग्राम मुलहठी को गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आता है और कब्ज दूर हो जाती है। 7. हिचकी: मुलहठी के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से हिचकी आना बंद हो जाती है। मुलहठी की जड़ के चूर्ण को नाक (नस्य) से सूंघने से हिचकी आना बंद हो जाती है। मुलहठी को चूसने से हिचकी दूर हो जाती है। मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ खाने से हिचकी रुक जाती है। 3 ग्राम पिसी मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है। मुलहठी, शहद और पीपल, मिश्री या सोंठ, गुड़, इन तीनों में से किसी एक को सूंघने से हिचकी मिट जाती है। मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकी में फायदा होता है। 8. उल्टी लाने के लिए: पेट में अम्लता (एसिडिटीज) और पित्त बढ़ने पर जी मिचलाता है, तबीयत में बेचैनी और घबराहट होती है, उल्टी नहीं होती जिसके कारण सिरदर्द शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में उल्टी लाने के लिए 2 कप पानी में 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर उबाल लें। जब पानी आधा कप बचे, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें। फिर राई का 3 ग्राम पिसा चूर्ण इसमें डालकर पीयें। इससे उल्टी हो जाती है। उल्टी होने से पेट में जमा, पित्त या कफ निकल जाता है और तबीयत हल्की हो जाती है। रोगी को बहुत आराम मिलता है। यह तरीका विषाक्त (जहर में), अजीर्ण (भूख का कम होना), अम्लपित्त (एसिडिटीज), खांसी और छाती में कफ जमा होने पर करने से बहुत लाभ मिलता है। 9. अनियमित मासिक-धर्म (ऋतुस्राव): 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए। यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें। फिर इसकी एक खुराक शाम को एक कप चावल के पानी के साथ सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलता है। नोट: मुलहठी को खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। 10. स्तनों में दूध की कमी: 2 चम्मच मुलेठी का चूर्ण और 3 चम्मच शतावर का चूर्ण 1 कप दूध में उबाल लें, जब दूध आधा रह जाये तो आग पर से उतार लें। इसमें से आधा सुबह और आधा शाम को एक कप दूध के साथ सेवन करें। इससे कुछ ही दिनों में स्त्री के स्तनों में दूध अधिक आने लगेगा। प्रसूता (शिशु को जन्म देने वाली महिला) के दूध नहीं आ पाता हो, तो मुलहठी बहुत ही गुणकारी है। गर्म दूध के साथ जीरा और मुलहठी का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दूध से फंकी लेने से लाभ होता है। 11. पेशाब के रोग: पेशाब में जलन, पेशाब रुक-रुककर आना, अधिक आना, घाव और खुजली और पेशाब सम्बंधी समस्त बीमारियों में मुलहठी का प्रयोग लाभदायक है। इसे खाना खाने के बाद रोजाना 4 बार हर 2 घंटे के उंतराल पर चूसते रहना लाभकारी होता है। इसे बच्चे भी आसानी से बिना हिचक ले सकते हैं। 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण 1 कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। 12. हृदय शक्तिवर्धक (शक्ति को बढ़ाने वाला): ज्यादातर शिराओं और धमनियों पर गलत खान-पान, गलत आदतें और काम का अधिक भार पड़ने से कमजोरी आ जाती है, इससे हृदय को हानि पहुंचती है। इस कारण से अनिंद्रा (नींद का न आना), हाई और लोब्लड प्रेशर जैसे रोग हो जाते हैं। ऐसे में मुलहठी का सेवन काफी लाभदायक होता है। 13. फेफड़ों के रोग: मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूजन, सूखी कफ वाली खांसी में लाभ करती है। मुलहठी फेफड़ों को बल देती है। अत: फेफडे़ सम्बंधी रोगों में यह लाभकारी है। इसको पान में डालकर खाने से लाभ होता है। टी.बी. (क्षय) रोग में भी इसका काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है। 14. विष (ज़हर): जहर पी लेने पर शीघ्र ही उल्टी करानी चाहिए। तालु को उंगुली से छूने से तुरन्त उल्टी हो जाती है। यदि उल्टी नहीं आये तो एक गिलास पानी में 2 चम्मच मुलहठी और 2 चम्मच मिश्री को पानी में डालकर उबाल लें। आधा पानी शेष बचने पर छानकर पिलायें। इससे उल्टी होकर जहर बाहर निकल आता है। 15. निकट दृष्टि दोष (पास की नज़र में कमी): निकट दृष्टि को बढ़ाने में मुलहठी का प्रयोग गुणकारी होता है। 1 चम्मच मुलहठी का पाउडर, इतना ही शहद और आधा भाग घी तीनों को मिलाकर 1 गिलास गर्म दूध से सुबह-शाम लेने से निकट दृष्टि दोष (पास से दिखाई न देना) दूर हो जाता है। 16. मांसपेशियों का दर्द: मुलहठी स्नायु (नर्वस स्टिम) संस्थान की कमजोरी को दूर करने के साथ मांसपेशियों का दर्द और ऐंठन को भी दूर करती है। मांसपेशियों के दर्द में मुलहठी के साथ शतावरी और अश्वगंधा को समान रूप से मिलाकर लें। स्नायु दुर्बलता में रोजाना एक बार जटामांसी और मुलहठी का काढ़ा बनाकर लेना चाहिए। 17. गंजापन, रूसी (ऐलोपीका): मुलहठी का पाउडर, दूध और थोड़ी-सी केसर, इन तीनों का पेस्ट बनाकर नियमित रूप से बाल आने तक सिर पर लगायें। इससे बालों का झड़ना और बालों की रूसी आदि में लाभ मिलता है। 18. बाजीकरण (कामोद्दीपन): मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से शुक्र वृद्धि और बाजीकरण होता है। 19. सूखी खांसी: सूखी खांसी में बलगम पैदा करने के लिए 1 चम्मच मुलहठी को शहद के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 ग्राम काढ़ा सुबह-शाम पीने से श्वासनलिका (सांस की नली) साफ हो जाती है। 20. धातुक्षय (वीर्य की कमी): 3 ग्राम मुलहठी की जड़ (मूल) का चूर्ण, 3 ग्राम घी और 2 ग्राम शहद दिन में 3 बार सेवन करने से धातु की कमी दूर हो जाती है। 21. खून के बहने पर: मुलहठी की जड़ का चूर्ण और शर्करा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 से 6 ग्राम चूर्ण को चावल के पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से खून का अधिक बहना कम हो जाता है। 60 ग्राम मुलहठी और 20 ग्राम सोनागेरू को अलग-अलग पीसकर मिला लें। चावलों का धुला हुआ पानी में 4 ग्राम मिश्रण मिलाकर पीने से खून का बहना बंद हो जाता है। 22. आंखों की जलन दूर करना और रोशनी बढ़ाना: मुलहठी के काढे़ से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। इसकी जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है। 23. आंखों की लालिमा: मुलहठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फोहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों की लालिमा मिटती है। 24. सिर में दर्द: किसी भी प्रकार के सिर के दर्द में 10 ग्राम मुलेठी का चूर्ण, 40 ग्राम कलिहारी का चूर्ण तथा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर नासिका में नसवार की तरह सूंघने से लाभ होता है। मुलहठी, मिश्री और घी को घोटकर सूंघने से पित्तज के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है। लगभग डेढ़ ग्राम मुलहठी और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सींगिया का मिलाकर रोगी को सुंघाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है। 25. रंग को साफ करने के लिए: मुलेठी को पानी में पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की रौनक बढ़ती है। 26. बालों के लिए: मुलेठी के बने काढ़े (क्वाथ) से बाल धोने से बाल बढ़ते हैं। मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है। 27. मिर्गी के लिए (अपस्मार): मुलेठी के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से लाभ होता है। लगभग 6 ग्राम मुलहठी के पिसे और छने हुए चूर्ण को 10 ग्राम पेठे के रस में मिलाकर 3 दिन तक रोगी को पिलाने से मिर्गी के दौरे आने बंद हो जाते हैं। लगभग 1.5 मिलीलीटर मुलहठी का काढ़ा, 900 ग्राम गाय का घी और लगभग 16 मिलीलीटर पेठे के रस को मिलाकर घी के साथ लें। इससे मिर्गी के कारण उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है। लगभग 1 से 4 ग्राम मुलहठी (जेठीमधु) के चूर्ण को सुबह-शाम दूध या घी और शहद (असमान मात्रा) की असमान मात्रा के साथ देने से मिर्गी रोग खत्म हो जाता है। 28. प्यास अधिक लगना: मुलहठी को चूसने से प्यास मिट जाती है। मुलहठी में शहद मिलाकर सूंघने से तेज प्यास खत्म हो जाती है तथा थोड़े-थोड़े देर पर लगने वाली प्यास मिट जाती है। 29. हृदय रोग: मुलहठी तथा कुटकी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से दिल के रोग में लाभ होता हैं। 30. रक्तपित्त के कारण उल्टी: मुलहठी, नागरमोथा, इन्द्रजौ और मैनफल आदि को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस 1 चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से रक्तपित जन्य वमन (खूनी उल्टी) मिट जाती है। 3 से 5 ग्राम मुलहठी नियमित सुबह-शाम सेवन करने से रक्तपित्त शांत होता है। इससे खून की कमी तथा खून के विकार दूर हो जाते हैं। 31. खून की उल्टी: रक्तवमन (खून की उल्टी में) में मुलहठी तथा चंदन को अच्छी तरह दूध में पीसकर 1 से 2 चम्मच की मात्रा में रोगी को पिलाने से उल्टी में खून आना बंद हो जाता है। 4 ग्राम मुलहठी का चूर्ण लेकर दूध या घी के साथ रोज सुबह-शाम खायें इससे खून की उल्टी बंद हो जाती है। . 32. पेट में गैस का होना (उदाराध्मान): 2 से 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण पानी और मिश्री के साथ सेवन करने से पेट मे गैस कम हो जाती है। 33. कामला (पीलिया, पाण्डु): पीलिया रोग में 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। 34. वातरक्त: वातरक्त में मुलहठी तथा गंभारी से सिद्ध किए हुए तेल की मालिश करने से लाभ होता है। 35. कमजोरी में : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी मिलाकर 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना 5-6 हफ्ते तक सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है। 36. फोड़े: फोड़े होने पर मुलहठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं। 37. आंत्रवृद्धि: मुलहठी, रास्ना, बरना, एरण्ड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरण्ड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है। 38. आंख आना: मुलहठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखने से आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है। आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है। 39. श्वास का दमा का रोग: 50 ग्राम मुलहठी, 20 ग्राम सनाय और 10 ग्राम सोंठ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से श्वास रोग (दमा) से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 5 ग्राम कालीमिर्च और 1 गांठ अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसे काढे़ को छानकर पीने से दमे के रोग में आराम आता है। 5 ग्राम मुलहठी को 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इस पानी को आधा सुबह तथा आधा शाम को पियें। 3-4 दिन ऐसा करने से कफ पतला होकर निकल जाएगा और खांसी शांत हो जायेगी। 50 ग्राम मुलेठी और 20 ग्राम सोनामुखी (सनाय) को एक साथ मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच मात्रा में सोते समय पानी से लेना चाहिए। इस दवा का सेवन करने से सुबह शौच 2-3 बार भी आ सकती है। इससे हमें घबराना नहीं चाहिए। अधिक बार शौच आने लगे तो हमें दवा की मात्रा आधी कर देनी चाहिए। इससे तेज व पुराने से पुराना दमा आसानी से नष्ट हो जाता है। बलगम सूख जाने पर 10 ग्राम मुलहठी पाउडर को 25 मिलीलीटर पानी में उबालें। फिर इसमें घी, मिश्री और सेंधानमक मिलाकर पीयें। इससे बलगम गलकर बाहर निकल जाता है और खांसी तथा दमे के रोग से शांति मिलती है। 40. मलेरिया का बुखार: 10 ग्राम मुलहठी छिली हुई, 5 ग्राम खुरासानी अजवाइन तथा थोड़ा-सा सेंधानमक को मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है। 41. आंखों के रोग: मुलहठी, पीला गेरू, सेंधानमक, दारूहल्दी और रसौत इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ सिल पर पीस लें। आंखों के बाहर इसका लेप करने से आंखों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। इससे आंखों का दर्द और आंखों की खुजली में विशेष लाभ होता है। 42. दांत निकलना: मुलहठी का बारीक चूर्ण बनाकर बच्चों को खिलायें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं और बार-बार दस्त का आना बंद हो जाता है। 43. खांसी: मुलहठी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी का प्रकोप शांत हो जाता है। मुलहठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से भी खांसी दूर हो जाती है। 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण दिन में 3 बार शहद के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। खांसी में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से राहत मिलती है। मुलहठी का रस ``रब्बेसूस`` काले रंग का होता है। इसे मुंह में रखकर चूसने से खांसी में बहुत लाभ मिलता है। 25-25 ग्राम मुलहठी, काकड़ासिंगी और वंशलोचन, छोटी पीपल, लौंग, छोटी इलायची और 10 ग्राम कालीमिर्च और 8 ग्राम यवाक्षार सभी को एक साथ पीसकर और छानकर रख लें। 1 किलोग्राम मिश्री की चाशनी में इस चूर्ण को मिलाकर खाने से खांसी में लाभ होता है। 40 से 80 ग्राम मुलहठी और जवासे को मिलाकर बने हुए काढ़े को खांसी की शुरूआत में सेवन करने से बलगम के रोग में लाभ होता है। मुलहठी का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती है। गले की आवाज सुरीली हो जाती है। सामान्य ज्वर में तो यह दवा लाभ करती है, क्षय (टी.बी) रोग में ज्वर होने पर भी लाभकारी सिद्ध होता है। मुलहठी का चूर्ण तथा लहसुन की कली शहद के साथ लेने से खांसी में लाभ मिलता है। 5 ग्राम मुलहठी, 5 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम सोंठ तथा 1 छोटी अदरक की गांठ को लेकर 1 कप पानी में उबाल लें फिर इसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीयें। इससे सूखी खांसी बंद हो जाती है। सावधानी: खांसी का वेग रोकने से विभिन्न रोग हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं। दमा का रोग। हृदय रोग। हिचकी। अरुचि। नेत्र रोग। 44. आमाशय (पेट) का जख्म: मुलहठी की जड़ को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को 4-4 ग्राम के रूप में दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें या पकाकर बने काढ़े को 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना शहद के साथ मिलाकर पीयें। इससे आमाशय का जख्म (पेट का जख्म) ठीक हो जाता है। 45. गुदा चिरना: 60 ग्राम मीठा आंवला, 60 ग्राम मुलहठी और 60 ग्राम कच्ची हरड़ को पीसकर पाउडर बना लें। इसके बाद 450 ग्राम मुनक्का, 650 ग्राम बादाम और 680 ग्राम गुलकंद के गिरियों (बीज) को पीस लें और उसमें पाउडर डालकर दुबारा अच्छी तरह से पीसें। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध या पानी के साथ रात को सोते समय खायें। इससे गुदा चिरना ठीक हो जाता है। 46. गुदा पाक: मुलहठी को पीसकर घी के साथ मिलाकर मलहम बना लें। उस मलहम को बच्चे के गुदा पर लगायें। रोजाना 2 से 3 बार गुदा पाक पर लगाने से गुदा पाक में जल्द आराम मिलता है। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम रसोत को लें तथा शंख को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना लें। इन तीनों को मिलाकर पानी के साथ पीसकर गुदा पाक पर लगाएं। इससे जलन व खुजली में आराम मिलता है। 47. रतौंधी (रात में न दिखाई देना): 3 ग्राम मुलहठी, 8 ग्राम आंवले का रस और 3 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को एक साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) का रोग दूर हो जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। 48. जीभ की जलन और सूजन: जीभ की सूजन व जलन में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से लाभ होता है। 49. गर्भाशय का सुदृढ़ होना: जिन स्त्रियों को गर्भपात का भय रहता हो उन्हें मुलहठी पंच, तृण तथा कमल की जड़ का चूर्ण गर्भावस्था के दौरान सभी महीनों में 1-1 सप्ताह दूध में पकाकर और उसमें घी डालकर पीना चाहिए। 50. वमन (उल्टी): उल्टी होने पर मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखने से उल्टी होना बंद हो जाती है। मुलहठी और लालचंदन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है। 51. गर्भवती महिला के बुखार: मुलहठी, लालचंदन, खस की जड़, अनन्तमूल तथा कमल के पत्ते- पांचों औषधियों का काढ़ा बना लें। इस काढ़े को शहद तथा खांड के साथ पिलाने से गर्भवती स्त्री का बुखार दूर हो जाता है। 52. मुंह के छाले: मुलहठी के चूर्ण को फूले हुए कत्था के साथ मिलाकर छाले पर लगाएं और लार बाहर टपकने दें। इससे मुंह की गन्दगी खत्म होकर मुंह के छाले दूर होते हैं। मुलहठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से मुंह के छाले सूख जाते हैं। 53. मुंह का रोग: मुलहठी को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को मुंह के छाले में लगाने से छाले व मुंह के अन्य रोगों में आराम मिलता है। मुंह के दाने, छाले व होठ फटने पर लोध, पतंग, मुलहठी तथा लाख का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर लगाने से लाभ होता है। मुलहठी, पिपरमिंट, छोटी इलायची, लौंग, जावित्री तथा कपूर को बारीक पीस लें, फिर इसे पानी साथ मिलाकर छोटी-छोटी लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की गोली बनाकर रखें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली मुंह में रखकर चूसने से गले की खरास दूर होती है, आवाज साफ होती है व जीभ रोग ठीक होते हैं। 54. मुंह की दुर्गन्ध: मुलैठी को चबाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है। 55. मासिकस्राव संबन्धी परेशानियां: आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग 1 महीने तक मुलहठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं। 56. कर्णमूल प्रदाह (कान की सूजन): मुलहठी (जेठीमधु) के टुकड़े को मुंह में रखकर चूसने से कान की सूजन में आराम आता है। मुलहठी के काढ़े को तीसी में मिलाकर रोजाना 40 ग्राम 3-4 बार रोगी को पिलाने से कान की सूजन में पूरी तरह आराम आता है। 57. भोजन नली (खाने की नली) में जलन: 1 से 4 ग्राम मुलेठी (जेठीमधु) का चूर्ण दूध या देशी घी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे आमाशय की अम्लता (एसिडिटीज) दूर होकर खाने की नली की सूजन मिटती है। 58. प्रदर रोग: लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मुलेहठी, नीलकमल, शंखजीरा, काला नमक को लेकर एक साथ मिला लें। इसमें 25 ग्राम दही और शहद मिलाकर सेवन करने से वातज प्रदर रोग ठीक हो जाता है। 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण और 1 चम्मच पिसी हुई मिश्री को चावल के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है। मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम लेकर पानी के साथ नियमित सुबह-शाम लें। इससे श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में आराम पहुंचता है। 50 ग्राम मुलहठी को पीसकर रख लें। फिर इसे 2-2 ग्राम लेकर पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे प्रदर रोग में लाभ होता है। 5 ग्राम मुलहठी की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर मिट जाता है। 59. लू का लगना: 4 चम्मच पिसी हुई मुलहठी को पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से लू से राहत प्राप्त होती है। 60. गोली लगने पर: गोली लगे रोगी के घाव को सही करने के लिए मुलहठी को पीसकर घी के साथ मिलाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है। 61. जुकाम: गुलबनफ्शा, मुलहठी और देशी अजवायन को बराबर लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग डेढ़-डेढ़ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से नजला, जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है। 62. स्तनों की घुण्डी का फटना: मुलहठी को बारीक पीसकर स्तनों की घुण्डी के जख्मों पर दिन में 3 बार लगाने से लाभ होता है। 63. टीके से होने वाले दोष: मुलहठी को पीसकर घी में मिलाकर जहां टीका पक गया है वहां लेप करें। इससे पके हुए टीके का घाव सही हो जाता है। 64. गुल्म (वायु का गोला): मुलहठी, चंदन और मुनक्का को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे पित्त की गुल्म (गैस का गोला) दूर होती है। 65. श्वेतप्रदर: मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी नष्ट हो जाती है। 66. उंगुलबेल (डिठौन): मुलहठी को अच्छी तरह से पीसकर घी के साथ उंगुली पर रखने से उंगुली का दर्द कम होता है। 67. स्तनों के घाव: मुलहठी, नीम, हल्दी, सम्हालू तथा धाय के फूल इन सभी को बारीक पीसकर लेप बना लें। इस लेप को स्त्री के स्तनों पर लगाने से स्तनों के घाव भर जाते हैं। 68. पेट में दर्द: आधा चम्मच मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण और 1 चम्मच सौंफ के चूर्ण को पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है। मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे पेट और आंतों की ऐंठन व क्षोभ से उत्पन्न दर्द में लाभ मिलता है। 69. चित्त भ्रम: मुंह में मुलेठी को रखकर चूसने से चित्त भ्रम में आराम मिलता है। 70. बांझपन: मुलहठी, कंघी, खिरैटी, खांड, बड़ के उंकुर और नागकेशर को लेकर एक साथ बारीक पीस लें, फिर इसे शहद, दूध और देशी घी में मिलाकर सेवन करने से बांझ स्त्री को भी लड़के की प्राप्ति हो जाती हैं। 71. दिल की धड़कन: लगभग 4 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को सुबह-शाम घी या शहद के साथ सेवन करने से दिल के सारे रोगों में लाभ होता है। 72. उपदंश (सिफलिस): मुलहठी, खस, मंजीठ, गेरू, रसौत, पद्माख, चंदन और कमल इन दोनों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करने से पित्तज उपदंश में मिलता है। 73. दिल की कमजोरी: 5 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को दूध या घी के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से दिल की कमजोरी दूर हो जाती है। 74. हृदय दर्द: हृदय में थोड़ा-सा दर्द मालूम होते ही मुलेठी तथा कुटकी का चूर्ण लेकर पीस लें। फिर लगभग आधा चुटकी चूर्ण गुनगुने पानी से लेने से हृदय का दर्द कम हो जाता है। 75. शीतला (मसूरिका): मुलहठी, बहेड़ा, आंवला, मूर्वा, दारूहल्दी की छाल, नीलकमल, खस, लोध्र और मजीठ को बराबर लेकर पीस लें। इसे आंखों के ऊपर या आंखों में लगाने से मसूरिका (छोटी माता) ठीक हो जाती है। 76. खसरा: मुलहठी, गिलोय, अनार के दाने और किशमिश को बराबर लेकर और उन्हें पीस लें, फिर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर दिन में 2-3 बार बच्चे को खिलाएं। इससे खसरे का असर कम होता है। बच्चे को ज्यादा जुकाम और खांसी होने पर सितोपलादि चूर्ण, थोड़ी सी मुलहठी के चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार चटाने से बहुत आराम आता है। 77. बच्चों का बुखार: 5-5 ग्राम दारूहल्दी, मुलेठी, कटेरी, हल्दी और इन्द्रजौ को एक साथ मिलाकर काढ़ा बना लें, फिर इसे छानकर बच्चे को पिलाने से बुखार में आराम आता है। 78. होठों का फटना: `वातज´ रोग में लोहबान, राल, गूगल, देवदारू तथा मुलेठी को बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर रख लें, फिर इस चूर्ण को धीरे-धीरे होठों पर लगाने से फटे होठ ठीक हो जाते हैं। 79. खून की कमी: लगभग आधा ग्राम मुलहठी का चूर्ण रोजाना सेवन करने से खून में वृद्धि होती है। 80. छोटे बच्चों के मुंह से लार टपकना: सारिवा, तिल, लोध और मुलहठी का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से मुंह साफ करने से बच्चों के मुंह से लार टपकना बंद हो जाता है। 81. आग से जलने पर: मुलेठी और चंदन को पानी के साथ घिसकर शरीर के जले हुए भाग पर लेप करने से ठंडक मिलती है। 82. बालरोग (बच्चों के रोग): शंख, मुलहठी और रसौत को पीसकर लेप करने से `गुदा-पाक´ रोग दूर हो जाता है। अगर बच्चे को खांसी हो तो खत्मी, मुलहठी, उन्नाव और शक्कर को मिलाकर पिलाने से आराम आता है। शंख, सफेद सुरमा और मुलहठी को बारीक पीसकर रख लें, फिर इस चूर्ण को पानी में मिलाकर गुदा के जख्म को अच्छी तरह से साफ करके उस पर लेप करने से `अहिपूतन´ नाम का रोग समाप्त हो जाता है। 83. त्वचा का सूखकर मोटा और सख्त हो जाना: भिलावे की वजह से यदि त्वचा की सूजन हो गई हो तो मुलेठी और तिल को दूध के साथ पीसकर लगाने से आराम आता है। 84. सूखा रोग (रिकेट्स): लगभग 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम इलायची, 3 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम तुलसी के पत्ते, 3 ग्राम बंशलोचन, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को तुलसी के रस में मिलाकर लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की गोली बना लें। 1-1 गोली मां के दूध के साथ नियमित 3-4 बार बच्चे को देने से सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है। 85. छोटे बच्चों के फोडे़, घाव, नासूर: मुलेठी, कड़वे नीम के पत्ते, दारूहल्दी को कूट-पीसकर घी में मिलाकर मरहम बना लें। इस मरहम के लगाने से घाव (जख्म) अन्दर से भर जाता है। अगर घाव में खराबी हो, किसी भी दवाई से आराम न हुआ हो तो नीम के पत्ते डालकर पानी उबाल लें और उससे घाव को धोकर ऊपर से यह मरहम लगा दीजिये। घाव चाहे जैसा भी हो, फोड़ा, नासूर या किसी भी प्रकार का घाव हो। यह मलहम कुछ दिनों तक लगातार लगाने से और घाव को धोने से आराम हो जाएगा। अगर फोड़ा फूटकर बहता हो तो कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर और शहद में मिलाकर लगाना चाहिए। 86. नाड़ी का दर्द: 100 ग्राम मुलहठी को पीस लें और रात को सोते समय इसको गर्म दूध के साथ लें। इससे स्नायु के रोग में लाभ होता है। 87. स्वर यंत्र में जलन होने पर: मुलहठी (जेठीमधु) का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से स्वरयंत्र शोथ (गले में सूजन) ठीक हो जाती है। 88. शिशु के गुदा में घाव होना: शिशु की गुदा के मल-मूत्र को अच्छी तरह से साफ न करने से खुजली और घाव हो जाते हैं तथा मवाद बहने लगता है। इस रोग में शंख, सफेद सुरमा और मुलेठी को बारीक पीसकर पानी मिलाकर लेप करने से आराम आ जाता है। 89. शरीर को शक्तिशाली बनाना: मुलहठी के चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख दें और रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 मिलीलीटर दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है। 90. बच्चों की नाभि का पकना: हल्दी, घोघ, फूल प्रियंगु और मुलेठी को पानी में पीसकर लुगदी सी बना लें और पीछे कलईदार बर्तन में काले तिल का तेल और लुग्दी मिलाकर तेल पका लें। इस तेल को नाभि पर धीरे-धीरे लगाने और इन्ही चारों दवाओं को बारीक पीसकर लगाने से नाभि-पाक (टुंडी का पकना) में आराम हो जाता है। 91. गले की सूजन: 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम मुलहठी, 5 ग्राम लौंग, 5 ग्राम हरड़ और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ धीरे-धीरे चाटने से पुरानी खांसी और पुराने जुकाम के कारण गले की खराबी, सिर दर्द, गले की खराश आदि रोग दूर हो जाते हैं। कूट, मोथा, एलुआ, धनिया, इलायची और मुलहठी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर 1 चम्मच चूर्ण लेकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से गले के हर प्रकार के रोग दूर होते हैं। 92. स्वर भंग (गले का बैठ जाना): मुलहठी को चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है और गला भी साफ हो जाता है। मुलेठी के आधे चम्मच चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। 3 ग्राम मुलहठी की जड़ का चूर्ण और 250 मिलीलीटर दूध को अनुपात से दिन में 2 बार लेना चाहिए और मुलहठी को समय-समय पर चूसते रहना चाहिए। इससे बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज भी साफ हो जाती है। मुलहठी को मुंह में रखकर उसका रस चूसना चाहिए, थोड़ी-थोड़ी मुलहठी को मुंह में रखकर चूसने से भी गले में आराम आता है। पान में मुलहठी डालकर रात को सोते समय खायें और सो जायें। सुबह उठने पर आवाज साफ हो जायेगी। सोते समय 1 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को मुंह में रखकर कुछ देर चबाते रहें या फिर सिर्फ मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह सोकर उठने पर गला जरूर साफ हो जायेगा। अगर मुलहठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर मुंह में रखा जाये तो और भी अच्छा रहेगा इससे सुबह गला खुलने के अलावा गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है। 93. पेट और आंतों के घाव: पेट और आंतों के घाव में मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इसे लगातार करते रहने से अल्सर कुछ ही हफ्तों में भर जायेंगें। इस प्रयोग के समय मिर्च मसालों नहीं खाना चाहिए।
Heal without pills. No more medicine only natural herbs helps to regain your body with some easy steps.Body mechanism ko samj kar insaan ek healthy life ji sakta hai .Hamara target hai sahi knowledge dena health related issue par aur usko easily cure kar dena with the help of natural herbs.
रविवार, 19 अप्रैल 2020
Herb Mulethi or Licorice
परिचय: मुलहठी रेशेदार, गन्धयुक्त और बहुत ही उपयोगी होती है। आमतौर पर लोगइसे मीठी लकड़ी के नाम से जानते हैं। भारत में इसे मुलहठी या मुलेठी के नाम से जाना जाता है। मुलहठी ही एक ऐसी वस्तु है, जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है। पनवाड़ी इसे पान में डालकर देता है। मुलहठी का प्रयोग मधुमेह की औषधि बनाने में किया जाता है। भारत में यह बहुत ही कम मात्रा में होती है इसलिए यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयात की जाती है। मुलहठी की जड़ और रस हमेशा बाजारों में पंसारियों के यहां मिलती हैं। विभिन्न भाषाओं में नाम: हिन्दी मुलहठी, मुलेठी संस्कृत यष्टीमधु बंगाली यष्टिमधु गुजराती जेठोमधु अंग्रेजी लाहकोरिस रूट पंजाबी मुलहठी अरबी असलुस्सूस तेलगु यष्टिमधुकम मराठी जेष्टिमध फारसी बिखेमहक स्वाद: मुलहठी का स्वाद खाने में मीठा होता है। स्वभाव: यह खाने में ठण्डी होती है। मुलहठी में 50 प्रतिशत पानी होता हैं। इसमें मुख्य घटक `ग्लिसराइजिन´ हैं, जिसके कारण यह खाने में मीठा होता है जो 5 से 20 प्रतिशत विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है। मुलहठी में 10 से 14 प्रतिशत तक ग्लाइकोसाइड भी होता है। इसके अतिरिक्त इसमें घावों को शीघ्र भरने वाले विभिन्न घटक सुक्रोज, डेक्स्ट्रोज, स्टार्च, प्रोटीन, वसा, रेजिन, कोसाइड्स, लिक्विरीस्ट्रासाइड्स, आइसोलिक्यिरीस्ट्रोसाइड कुमेरिन, फ्रलेकोनोन, लिक्विरीटिन, आइसोलिक्विरीटिन, अम्वलीफीरोन आदि तत्त्व भी पाये जाते हैं। मुलहठी में ग्लूकोज, स्टीराइड, एस्ट्रोजन, कैल्शियम, पोटैशियम आदि तत्त्व भी मौजूद हैं। हानिकारक: मुलहठी के सेवन के दौरान गर्म प्रकृति के पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। गुण: मुलहठी खांसी, जुकाम, उल्टी व पित्त को बंद करती है। मुलहठी अम्लता में कमी व क्षतिग्रस्त व्रणों (जख्मों) में लाभकारी है। अम्लोत्तेजक पदार्थ को खाने पर होने वाली पेट की जलन और दर्द, पेप्टिक अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में मुलहठी अच्छा प्रभाव छोड़ती है। मुलहठी का उपयोग कड़वी औषधियों का स्वाद बदलने के लिए किया जाता है। मुलहठी आंखों के लिए लाभदायक, वीर्यवर्धक, बालों को मुलायम, आवाज को सुरीला बनाने वाली और सूजन में लाभकारी है। मुलहठी विष, खून की बीमारियों, प्यास और क्षय (टी.बी.) को समाप्त करती है। विभिन्न रोगों में सहायक: 1. घाव (जख्म): मुलहठी पेट में बन रहे एसिड (तेजाब) को नष्ट करके अल्सर के रोग से बचाती है। पेट के घाव की यह सफल औषधि है। मुलहठी खाने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। इसका सेवन लंबे समय तक नहीं करना चाहिए। बीच-बीच में बंद कर दें। मुलहठी को पीसकर घी के साथ चूर्ण के रूप में हर तरह के घावों पर बांधने से शीघ्र लाभ होता है। चाकू आदि के घाव के कारण उत्पन्न तेज दर्द रोगी को बहुत कष्ट देता है। यह दर्द मुलहठी के चूर्ण को घी में मिलाकर थोड़ा गर्म करके लगाने से शीघ्र ही शांत होता है। 2. कफ व खांसी: खांसी होने पर यदि बलगम मीठा व सूखा होता है तो बार-बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। जब तक गले से बलगम नहीं निकल जाता है, तब तक रोगी खांसता ही रहता है। इसके लिए 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर इतना उबाल लें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें। 3 से 4 दिन तक प्रयोग करने से कफ पतला होकर बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है। यक्ष्मा (टी.बी.) की खांसी में मुलहठी चूसने से लाभ होता है। 2 ग्राम मुलहठी पाउडर, 2 ग्राम आंवला पाउडर, 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम खाने से खांसी में लाभ होता है। 3. नपुंसकता (नामर्दी): रोजाना मुलहठी चूसने से नपुंसकता नष्ट हो जाती है। 10 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिश्री मिले गर्म-गर्म दूध को पीने से नपुंसकता का रोग कुछ ही समय में कम हो जाता है। 10-10 ग्राम मुलहठी, विदारीकंद, तज, लौंग, गोखरू, गिलोय और मूसली को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण लगातार 40 दिनों तक सेवन करने से नपुंसकता का रोग दूर हो जाता है। 4. दाह (जलन): मुलहठी और लालचंदन पानी के साथ घिसकर शरीर पर लेप करने से जलन शांत होती है। 5. अम्लपित्त (एसिडिटिज): खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हैं, जलन होती है तो मुलहठी चूसने से लाभ होता है। भोजन से पहले मुलहठी के 3 छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसें, फिर भोजन करें। मुलहठी का चूर्ण 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय की अम्लपित्त (एसिडिटीज) समाप्त हो जाती है और पेट दर्द मिट जाता है। 6. कब्ज़, आंव: 125 ग्राम पिसी मुलहठी, 3 चम्मच पिसी सोंठ, 2 चम्मच पिसे गुलाब के सूखे फूल को 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) बाहर निकल जाता है। 5 ग्राम मुलहठी को गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आता है और कब्ज दूर हो जाती है। 7. हिचकी: मुलहठी के चूर्ण को शहद के साथ चाटने से हिचकी आना बंद हो जाती है। मुलहठी की जड़ के चूर्ण को नाक (नस्य) से सूंघने से हिचकी आना बंद हो जाती है। मुलहठी को चूसने से हिचकी दूर हो जाती है। मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ खाने से हिचकी रुक जाती है। 3 ग्राम पिसी मुलहठी को शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है। मुलहठी, शहद और पीपल, मिश्री या सोंठ, गुड़, इन तीनों में से किसी एक को सूंघने से हिचकी मिट जाती है। मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकी में फायदा होता है। 8. उल्टी लाने के लिए: पेट में अम्लता (एसिडिटीज) और पित्त बढ़ने पर जी मिचलाता है, तबीयत में बेचैनी और घबराहट होती है, उल्टी नहीं होती जिसके कारण सिरदर्द शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में उल्टी लाने के लिए 2 कप पानी में 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर उबाल लें। जब पानी आधा कप बचे, तब इसे उतारकर ठंडा कर लें। फिर राई का 3 ग्राम पिसा चूर्ण इसमें डालकर पीयें। इससे उल्टी हो जाती है। उल्टी होने से पेट में जमा, पित्त या कफ निकल जाता है और तबीयत हल्की हो जाती है। रोगी को बहुत आराम मिलता है। यह तरीका विषाक्त (जहर में), अजीर्ण (भूख का कम होना), अम्लपित्त (एसिडिटीज), खांसी और छाती में कफ जमा होने पर करने से बहुत लाभ मिलता है। 9. अनियमित मासिक-धर्म (ऋतुस्राव): 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए। यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें। फिर इसकी एक खुराक शाम को एक कप चावल के पानी के साथ सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलता है। नोट: मुलहठी को खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। 10. स्तनों में दूध की कमी: 2 चम्मच मुलेठी का चूर्ण और 3 चम्मच शतावर का चूर्ण 1 कप दूध में उबाल लें, जब दूध आधा रह जाये तो आग पर से उतार लें। इसमें से आधा सुबह और आधा शाम को एक कप दूध के साथ सेवन करें। इससे कुछ ही दिनों में स्त्री के स्तनों में दूध अधिक आने लगेगा। प्रसूता (शिशु को जन्म देने वाली महिला) के दूध नहीं आ पाता हो, तो मुलहठी बहुत ही गुणकारी है। गर्म दूध के साथ जीरा और मुलहठी का पाउडर बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दूध से फंकी लेने से लाभ होता है। 11. पेशाब के रोग: पेशाब में जलन, पेशाब रुक-रुककर आना, अधिक आना, घाव और खुजली और पेशाब सम्बंधी समस्त बीमारियों में मुलहठी का प्रयोग लाभदायक है। इसे खाना खाने के बाद रोजाना 4 बार हर 2 घंटे के उंतराल पर चूसते रहना लाभकारी होता है। इसे बच्चे भी आसानी से बिना हिचक ले सकते हैं। 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण 1 कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। 12. हृदय शक्तिवर्धक (शक्ति को बढ़ाने वाला): ज्यादातर शिराओं और धमनियों पर गलत खान-पान, गलत आदतें और काम का अधिक भार पड़ने से कमजोरी आ जाती है, इससे हृदय को हानि पहुंचती है। इस कारण से अनिंद्रा (नींद का न आना), हाई और लोब्लड प्रेशर जैसे रोग हो जाते हैं। ऐसे में मुलहठी का सेवन काफी लाभदायक होता है। 13. फेफड़ों के रोग: मुलहठी फेफड़ों की सूजन, गले में खराश, सूजन, सूखी कफ वाली खांसी में लाभ करती है। मुलहठी फेफड़ों को बल देती है। अत: फेफडे़ सम्बंधी रोगों में यह लाभकारी है। इसको पान में डालकर खाने से लाभ होता है। टी.बी. (क्षय) रोग में भी इसका काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है। 14. विष (ज़हर): जहर पी लेने पर शीघ्र ही उल्टी करानी चाहिए। तालु को उंगुली से छूने से तुरन्त उल्टी हो जाती है। यदि उल्टी नहीं आये तो एक गिलास पानी में 2 चम्मच मुलहठी और 2 चम्मच मिश्री को पानी में डालकर उबाल लें। आधा पानी शेष बचने पर छानकर पिलायें। इससे उल्टी होकर जहर बाहर निकल आता है। 15. निकट दृष्टि दोष (पास की नज़र में कमी): निकट दृष्टि को बढ़ाने में मुलहठी का प्रयोग गुणकारी होता है। 1 चम्मच मुलहठी का पाउडर, इतना ही शहद और आधा भाग घी तीनों को मिलाकर 1 गिलास गर्म दूध से सुबह-शाम लेने से निकट दृष्टि दोष (पास से दिखाई न देना) दूर हो जाता है। 16. मांसपेशियों का दर्द: मुलहठी स्नायु (नर्वस स्टिम) संस्थान की कमजोरी को दूर करने के साथ मांसपेशियों का दर्द और ऐंठन को भी दूर करती है। मांसपेशियों के दर्द में मुलहठी के साथ शतावरी और अश्वगंधा को समान रूप से मिलाकर लें। स्नायु दुर्बलता में रोजाना एक बार जटामांसी और मुलहठी का काढ़ा बनाकर लेना चाहिए। 17. गंजापन, रूसी (ऐलोपीका): मुलहठी का पाउडर, दूध और थोड़ी-सी केसर, इन तीनों का पेस्ट बनाकर नियमित रूप से बाल आने तक सिर पर लगायें। इससे बालों का झड़ना और बालों की रूसी आदि में लाभ मिलता है। 18. बाजीकरण (कामोद्दीपन): मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से शुक्र वृद्धि और बाजीकरण होता है। 19. सूखी खांसी: सूखी खांसी में बलगम पैदा करने के लिए 1 चम्मच मुलहठी को शहद के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए। इसका 20-25 ग्राम काढ़ा सुबह-शाम पीने से श्वासनलिका (सांस की नली) साफ हो जाती है। 20. धातुक्षय (वीर्य की कमी): 3 ग्राम मुलहठी की जड़ (मूल) का चूर्ण, 3 ग्राम घी और 2 ग्राम शहद दिन में 3 बार सेवन करने से धातु की कमी दूर हो जाती है। 21. खून के बहने पर: मुलहठी की जड़ का चूर्ण और शर्करा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस 3 से 6 ग्राम चूर्ण को चावल के पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से खून का अधिक बहना कम हो जाता है। 60 ग्राम मुलहठी और 20 ग्राम सोनागेरू को अलग-अलग पीसकर मिला लें। चावलों का धुला हुआ पानी में 4 ग्राम मिश्रण मिलाकर पीने से खून का बहना बंद हो जाता है। 22. आंखों की जलन दूर करना और रोशनी बढ़ाना: मुलहठी के काढे़ से आंखों को धोने से आंखों के रोग दूर होते हैं। इसकी जड़ के चूर्ण में बराबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है। 23. आंखों की लालिमा: मुलहठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फोहा भिगोकर आंखों पर बांधने से आंखों की लालिमा मिटती है। 24. सिर में दर्द: किसी भी प्रकार के सिर के दर्द में 10 ग्राम मुलेठी का चूर्ण, 40 ग्राम कलिहारी का चूर्ण तथा थोड़ा सा सरसों का तेल मिलाकर नासिका में नसवार की तरह सूंघने से लाभ होता है। मुलहठी, मिश्री और घी को घोटकर सूंघने से पित्तज के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है। लगभग डेढ़ ग्राम मुलहठी और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सींगिया का मिलाकर रोगी को सुंघाने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है। 25. रंग को साफ करने के लिए: मुलेठी को पानी में पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की रौनक बढ़ती है। 26. बालों के लिए: मुलेठी के बने काढ़े (क्वाथ) से बाल धोने से बाल बढ़ते हैं। मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है। 27. मिर्गी के लिए (अपस्मार): मुलेठी के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से लाभ होता है। लगभग 6 ग्राम मुलहठी के पिसे और छने हुए चूर्ण को 10 ग्राम पेठे के रस में मिलाकर 3 दिन तक रोगी को पिलाने से मिर्गी के दौरे आने बंद हो जाते हैं। लगभग 1.5 मिलीलीटर मुलहठी का काढ़ा, 900 ग्राम गाय का घी और लगभग 16 मिलीलीटर पेठे के रस को मिलाकर घी के साथ लें। इससे मिर्गी के कारण उत्पन्न दर्द दूर हो जाता है। लगभग 1 से 4 ग्राम मुलहठी (जेठीमधु) के चूर्ण को सुबह-शाम दूध या घी और शहद (असमान मात्रा) की असमान मात्रा के साथ देने से मिर्गी रोग खत्म हो जाता है। 28. प्यास अधिक लगना: मुलहठी को चूसने से प्यास मिट जाती है। मुलहठी में शहद मिलाकर सूंघने से तेज प्यास खत्म हो जाती है तथा थोड़े-थोड़े देर पर लगने वाली प्यास मिट जाती है। 29. हृदय रोग: मुलहठी तथा कुटकी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से दिल के रोग में लाभ होता हैं। 30. रक्तपित्त के कारण उल्टी: मुलहठी, नागरमोथा, इन्द्रजौ और मैनफल आदि को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस 1 चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से रक्तपित जन्य वमन (खूनी उल्टी) मिट जाती है। 3 से 5 ग्राम मुलहठी नियमित सुबह-शाम सेवन करने से रक्तपित्त शांत होता है। इससे खून की कमी तथा खून के विकार दूर हो जाते हैं। 31. खून की उल्टी: रक्तवमन (खून की उल्टी में) में मुलहठी तथा चंदन को अच्छी तरह दूध में पीसकर 1 से 2 चम्मच की मात्रा में रोगी को पिलाने से उल्टी में खून आना बंद हो जाता है। 4 ग्राम मुलहठी का चूर्ण लेकर दूध या घी के साथ रोज सुबह-शाम खायें इससे खून की उल्टी बंद हो जाती है। . 32. पेट में गैस का होना (उदाराध्मान): 2 से 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण पानी और मिश्री के साथ सेवन करने से पेट मे गैस कम हो जाती है। 33. कामला (पीलिया, पाण्डु): पीलिया रोग में 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। 34. वातरक्त: वातरक्त में मुलहठी तथा गंभारी से सिद्ध किए हुए तेल की मालिश करने से लाभ होता है। 35. कमजोरी में : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण आधा चम्मच शहद और एक चम्मच घी मिलाकर 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम रोजाना 5-6 हफ्ते तक सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है। 36. फोड़े: फोड़े होने पर मुलहठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं। 37. आंत्रवृद्धि: मुलहठी, रास्ना, बरना, एरण्ड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरण्ड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है। 38. आंख आना: मुलहठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखने से आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है। आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है। 39. श्वास का दमा का रोग: 50 ग्राम मुलहठी, 20 ग्राम सनाय और 10 ग्राम सोंठ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से श्वास रोग (दमा) से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। 10 ग्राम मुलहठी का चूर्ण, 5 ग्राम कालीमिर्च और 1 गांठ अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसे काढे़ को छानकर पीने से दमे के रोग में आराम आता है। 5 ग्राम मुलहठी को 1 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इस पानी को आधा सुबह तथा आधा शाम को पियें। 3-4 दिन ऐसा करने से कफ पतला होकर निकल जाएगा और खांसी शांत हो जायेगी। 50 ग्राम मुलेठी और 20 ग्राम सोनामुखी (सनाय) को एक साथ मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच मात्रा में सोते समय पानी से लेना चाहिए। इस दवा का सेवन करने से सुबह शौच 2-3 बार भी आ सकती है। इससे हमें घबराना नहीं चाहिए। अधिक बार शौच आने लगे तो हमें दवा की मात्रा आधी कर देनी चाहिए। इससे तेज व पुराने से पुराना दमा आसानी से नष्ट हो जाता है। बलगम सूख जाने पर 10 ग्राम मुलहठी पाउडर को 25 मिलीलीटर पानी में उबालें। फिर इसमें घी, मिश्री और सेंधानमक मिलाकर पीयें। इससे बलगम गलकर बाहर निकल जाता है और खांसी तथा दमे के रोग से शांति मिलती है। 40. मलेरिया का बुखार: 10 ग्राम मुलहठी छिली हुई, 5 ग्राम खुरासानी अजवाइन तथा थोड़ा-सा सेंधानमक को मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है। 41. आंखों के रोग: मुलहठी, पीला गेरू, सेंधानमक, दारूहल्दी और रसौत इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ सिल पर पीस लें। आंखों के बाहर इसका लेप करने से आंखों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं। इससे आंखों का दर्द और आंखों की खुजली में विशेष लाभ होता है। 42. दांत निकलना: मुलहठी का बारीक चूर्ण बनाकर बच्चों को खिलायें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं और बार-बार दस्त का आना बंद हो जाता है। 43. खांसी: मुलहठी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी का प्रकोप शांत हो जाता है। मुलहठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से भी खांसी दूर हो जाती है। 3 ग्राम मुलहठी का चूर्ण दिन में 3 बार शहद के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है। खांसी में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से राहत मिलती है। मुलहठी का रस ``रब्बेसूस`` काले रंग का होता है। इसे मुंह में रखकर चूसने से खांसी में बहुत लाभ मिलता है। 25-25 ग्राम मुलहठी, काकड़ासिंगी और वंशलोचन, छोटी पीपल, लौंग, छोटी इलायची और 10 ग्राम कालीमिर्च और 8 ग्राम यवाक्षार सभी को एक साथ पीसकर और छानकर रख लें। 1 किलोग्राम मिश्री की चाशनी में इस चूर्ण को मिलाकर खाने से खांसी में लाभ होता है। 40 से 80 ग्राम मुलहठी और जवासे को मिलाकर बने हुए काढ़े को खांसी की शुरूआत में सेवन करने से बलगम के रोग में लाभ होता है। मुलहठी का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इससे सभी प्रकार की खांसी दूर हो जाती है। गले की आवाज सुरीली हो जाती है। सामान्य ज्वर में तो यह दवा लाभ करती है, क्षय (टी.बी) रोग में ज्वर होने पर भी लाभकारी सिद्ध होता है। मुलहठी का चूर्ण तथा लहसुन की कली शहद के साथ लेने से खांसी में लाभ मिलता है। 5 ग्राम मुलहठी, 5 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम सोंठ तथा 1 छोटी अदरक की गांठ को लेकर 1 कप पानी में उबाल लें फिर इसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीयें। इससे सूखी खांसी बंद हो जाती है। सावधानी: खांसी का वेग रोकने से विभिन्न रोग हो सकते हैं जो निम्नलिखित हैं। दमा का रोग। हृदय रोग। हिचकी। अरुचि। नेत्र रोग। 44. आमाशय (पेट) का जख्म: मुलहठी की जड़ को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण को 4-4 ग्राम के रूप में दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें या पकाकर बने काढ़े को 40 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना शहद के साथ मिलाकर पीयें। इससे आमाशय का जख्म (पेट का जख्म) ठीक हो जाता है। 45. गुदा चिरना: 60 ग्राम मीठा आंवला, 60 ग्राम मुलहठी और 60 ग्राम कच्ची हरड़ को पीसकर पाउडर बना लें। इसके बाद 450 ग्राम मुनक्का, 650 ग्राम बादाम और 680 ग्राम गुलकंद के गिरियों (बीज) को पीस लें और उसमें पाउडर डालकर दुबारा अच्छी तरह से पीसें। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध या पानी के साथ रात को सोते समय खायें। इससे गुदा चिरना ठीक हो जाता है। 46. गुदा पाक: मुलहठी को पीसकर घी के साथ मिलाकर मलहम बना लें। उस मलहम को बच्चे के गुदा पर लगायें। रोजाना 2 से 3 बार गुदा पाक पर लगाने से गुदा पाक में जल्द आराम मिलता है। 5 ग्राम मुलहठी और 5 ग्राम रसोत को लें तथा शंख को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना लें। इन तीनों को मिलाकर पानी के साथ पीसकर गुदा पाक पर लगाएं। इससे जलन व खुजली में आराम मिलता है। 47. रतौंधी (रात में न दिखाई देना): 3 ग्राम मुलहठी, 8 ग्राम आंवले का रस और 3 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को एक साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से रतौंधी (रात में न दिखाई देना) का रोग दूर हो जाता है और आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। 48. जीभ की जलन और सूजन: जीभ की सूजन व जलन में मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से लाभ होता है। 49. गर्भाशय का सुदृढ़ होना: जिन स्त्रियों को गर्भपात का भय रहता हो उन्हें मुलहठी पंच, तृण तथा कमल की जड़ का चूर्ण गर्भावस्था के दौरान सभी महीनों में 1-1 सप्ताह दूध में पकाकर और उसमें घी डालकर पीना चाहिए। 50. वमन (उल्टी): उल्टी होने पर मुलहठी का टुकड़ा मुंह में रखने से उल्टी होना बंद हो जाती है। मुलहठी और लालचंदन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है। 51. गर्भवती महिला के बुखार: मुलहठी, लालचंदन, खस की जड़, अनन्तमूल तथा कमल के पत्ते- पांचों औषधियों का काढ़ा बना लें। इस काढ़े को शहद तथा खांड के साथ पिलाने से गर्भवती स्त्री का बुखार दूर हो जाता है। 52. मुंह के छाले: मुलहठी के चूर्ण को फूले हुए कत्था के साथ मिलाकर छाले पर लगाएं और लार बाहर टपकने दें। इससे मुंह की गन्दगी खत्म होकर मुंह के छाले दूर होते हैं। मुलहठी का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से मुंह के छाले सूख जाते हैं। 53. मुंह का रोग: मुलहठी को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को मुंह के छाले में लगाने से छाले व मुंह के अन्य रोगों में आराम मिलता है। मुंह के दाने, छाले व होठ फटने पर लोध, पतंग, मुलहठी तथा लाख का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर लगाने से लाभ होता है। मुलहठी, पिपरमिंट, छोटी इलायची, लौंग, जावित्री तथा कपूर को बारीक पीस लें, फिर इसे पानी साथ मिलाकर छोटी-छोटी लगभग 1 ग्राम के चौथाई भाग की गोली बनाकर रखें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली मुंह में रखकर चूसने से गले की खरास दूर होती है, आवाज साफ होती है व जीभ रोग ठीक होते हैं। 54. मुंह की दुर्गन्ध: मुलैठी को चबाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है। 55. मासिकस्राव संबन्धी परेशानियां: आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग 1 महीने तक मुलहठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं। 56. कर्णमूल प्रदाह (कान की सूजन): मुलहठी (जेठीमधु) के टुकड़े को मुंह में रखकर चूसने से कान की सूजन में आराम आता है। मुलहठी के काढ़े को तीसी में मिलाकर रोजाना 40 ग्राम 3-4 बार रोगी को पिलाने से कान की सूजन में पूरी तरह आराम आता है। 57. भोजन नली (खाने की नली) में जलन: 1 से 4 ग्राम मुलेठी (जेठीमधु) का चूर्ण दूध या देशी घी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे आमाशय की अम्लता (एसिडिटीज) दूर होकर खाने की नली की सूजन मिटती है। 58. प्रदर रोग: लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मुलेहठी, नीलकमल, शंखजीरा, काला नमक को लेकर एक साथ मिला लें। इसमें 25 ग्राम दही और शहद मिलाकर सेवन करने से वातज प्रदर रोग ठीक हो जाता है। 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण और 1 चम्मच पिसी हुई मिश्री को चावल के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है। मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम लेकर पानी के साथ नियमित सुबह-शाम लें। इससे श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में आराम पहुंचता है। 50 ग्राम मुलहठी को पीसकर रख लें। फिर इसे 2-2 ग्राम लेकर पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे प्रदर रोग में लाभ होता है। 5 ग्राम मुलहठी की जड़ के चूर्ण में मिश्री मिलाकर हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर मिट जाता है। 59. लू का लगना: 4 चम्मच पिसी हुई मुलहठी को पानी में घोलकर रोगी को पिलाने से लू से राहत प्राप्त होती है। 60. गोली लगने पर: गोली लगे रोगी के घाव को सही करने के लिए मुलहठी को पीसकर घी के साथ मिलाकर सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है। 61. जुकाम: गुलबनफ्शा, मुलहठी और देशी अजवायन को बराबर लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग डेढ़-डेढ़ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से नजला, जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है। 62. स्तनों की घुण्डी का फटना: मुलहठी को बारीक पीसकर स्तनों की घुण्डी के जख्मों पर दिन में 3 बार लगाने से लाभ होता है। 63. टीके से होने वाले दोष: मुलहठी को पीसकर घी में मिलाकर जहां टीका पक गया है वहां लेप करें। इससे पके हुए टीके का घाव सही हो जाता है। 64. गुल्म (वायु का गोला): मुलहठी, चंदन और मुनक्का को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे पित्त की गुल्म (गैस का गोला) दूर होती है। 65. श्वेतप्रदर: मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी नष्ट हो जाती है। 66. उंगुलबेल (डिठौन): मुलहठी को अच्छी तरह से पीसकर घी के साथ उंगुली पर रखने से उंगुली का दर्द कम होता है। 67. स्तनों के घाव: मुलहठी, नीम, हल्दी, सम्हालू तथा धाय के फूल इन सभी को बारीक पीसकर लेप बना लें। इस लेप को स्त्री के स्तनों पर लगाने से स्तनों के घाव भर जाते हैं। 68. पेट में दर्द: आधा चम्मच मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण और 1 चम्मच सौंफ के चूर्ण को पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है। मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे पेट और आंतों की ऐंठन व क्षोभ से उत्पन्न दर्द में लाभ मिलता है। 69. चित्त भ्रम: मुंह में मुलेठी को रखकर चूसने से चित्त भ्रम में आराम मिलता है। 70. बांझपन: मुलहठी, कंघी, खिरैटी, खांड, बड़ के उंकुर और नागकेशर को लेकर एक साथ बारीक पीस लें, फिर इसे शहद, दूध और देशी घी में मिलाकर सेवन करने से बांझ स्त्री को भी लड़के की प्राप्ति हो जाती हैं। 71. दिल की धड़कन: लगभग 4 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को सुबह-शाम घी या शहद के साथ सेवन करने से दिल के सारे रोगों में लाभ होता है। 72. उपदंश (सिफलिस): मुलहठी, खस, मंजीठ, गेरू, रसौत, पद्माख, चंदन और कमल इन दोनों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करने से पित्तज उपदंश में मिलता है। 73. दिल की कमजोरी: 5 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को दूध या घी के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से दिल की कमजोरी दूर हो जाती है। 74. हृदय दर्द: हृदय में थोड़ा-सा दर्द मालूम होते ही मुलेठी तथा कुटकी का चूर्ण लेकर पीस लें। फिर लगभग आधा चुटकी चूर्ण गुनगुने पानी से लेने से हृदय का दर्द कम हो जाता है। 75. शीतला (मसूरिका): मुलहठी, बहेड़ा, आंवला, मूर्वा, दारूहल्दी की छाल, नीलकमल, खस, लोध्र और मजीठ को बराबर लेकर पीस लें। इसे आंखों के ऊपर या आंखों में लगाने से मसूरिका (छोटी माता) ठीक हो जाती है। 76. खसरा: मुलहठी, गिलोय, अनार के दाने और किशमिश को बराबर लेकर और उन्हें पीस लें, फिर उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाकर दिन में 2-3 बार बच्चे को खिलाएं। इससे खसरे का असर कम होता है। बच्चे को ज्यादा जुकाम और खांसी होने पर सितोपलादि चूर्ण, थोड़ी सी मुलहठी के चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार चटाने से बहुत आराम आता है। 77. बच्चों का बुखार: 5-5 ग्राम दारूहल्दी, मुलेठी, कटेरी, हल्दी और इन्द्रजौ को एक साथ मिलाकर काढ़ा बना लें, फिर इसे छानकर बच्चे को पिलाने से बुखार में आराम आता है। 78. होठों का फटना: `वातज´ रोग में लोहबान, राल, गूगल, देवदारू तथा मुलेठी को बराबर मात्रा मे लेकर पीसकर रख लें, फिर इस चूर्ण को धीरे-धीरे होठों पर लगाने से फटे होठ ठीक हो जाते हैं। 79. खून की कमी: लगभग आधा ग्राम मुलहठी का चूर्ण रोजाना सेवन करने से खून में वृद्धि होती है। 80. छोटे बच्चों के मुंह से लार टपकना: सारिवा, तिल, लोध और मुलहठी का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से मुंह साफ करने से बच्चों के मुंह से लार टपकना बंद हो जाता है। 81. आग से जलने पर: मुलेठी और चंदन को पानी के साथ घिसकर शरीर के जले हुए भाग पर लेप करने से ठंडक मिलती है। 82. बालरोग (बच्चों के रोग): शंख, मुलहठी और रसौत को पीसकर लेप करने से `गुदा-पाक´ रोग दूर हो जाता है। अगर बच्चे को खांसी हो तो खत्मी, मुलहठी, उन्नाव और शक्कर को मिलाकर पिलाने से आराम आता है। शंख, सफेद सुरमा और मुलहठी को बारीक पीसकर रख लें, फिर इस चूर्ण को पानी में मिलाकर गुदा के जख्म को अच्छी तरह से साफ करके उस पर लेप करने से `अहिपूतन´ नाम का रोग समाप्त हो जाता है। 83. त्वचा का सूखकर मोटा और सख्त हो जाना: भिलावे की वजह से यदि त्वचा की सूजन हो गई हो तो मुलेठी और तिल को दूध के साथ पीसकर लगाने से आराम आता है। 84. सूखा रोग (रिकेट्स): लगभग 6 ग्राम मुलहठी, 3 ग्राम इलायची, 3 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम तुलसी के पत्ते, 3 ग्राम बंशलोचन, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को तुलसी के रस में मिलाकर लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की गोली बना लें। 1-1 गोली मां के दूध के साथ नियमित 3-4 बार बच्चे को देने से सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है। 85. छोटे बच्चों के फोडे़, घाव, नासूर: मुलेठी, कड़वे नीम के पत्ते, दारूहल्दी को कूट-पीसकर घी में मिलाकर मरहम बना लें। इस मरहम के लगाने से घाव (जख्म) अन्दर से भर जाता है। अगर घाव में खराबी हो, किसी भी दवाई से आराम न हुआ हो तो नीम के पत्ते डालकर पानी उबाल लें और उससे घाव को धोकर ऊपर से यह मरहम लगा दीजिये। घाव चाहे जैसा भी हो, फोड़ा, नासूर या किसी भी प्रकार का घाव हो। यह मलहम कुछ दिनों तक लगातार लगाने से और घाव को धोने से आराम हो जाएगा। अगर फोड़ा फूटकर बहता हो तो कड़वे नीम के पत्तों को पीसकर और शहद में मिलाकर लगाना चाहिए। 86. नाड़ी का दर्द: 100 ग्राम मुलहठी को पीस लें और रात को सोते समय इसको गर्म दूध के साथ लें। इससे स्नायु के रोग में लाभ होता है। 87. स्वर यंत्र में जलन होने पर: मुलहठी (जेठीमधु) का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से स्वरयंत्र शोथ (गले में सूजन) ठीक हो जाती है। 88. शिशु के गुदा में घाव होना: शिशु की गुदा के मल-मूत्र को अच्छी तरह से साफ न करने से खुजली और घाव हो जाते हैं तथा मवाद बहने लगता है। इस रोग में शंख, सफेद सुरमा और मुलेठी को बारीक पीसकर पानी मिलाकर लेप करने से आराम आ जाता है। 89. शरीर को शक्तिशाली बनाना: मुलहठी के चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख दें और रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 मिलीलीटर दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है। 90. बच्चों की नाभि का पकना: हल्दी, घोघ, फूल प्रियंगु और मुलेठी को पानी में पीसकर लुगदी सी बना लें और पीछे कलईदार बर्तन में काले तिल का तेल और लुग्दी मिलाकर तेल पका लें। इस तेल को नाभि पर धीरे-धीरे लगाने और इन्ही चारों दवाओं को बारीक पीसकर लगाने से नाभि-पाक (टुंडी का पकना) में आराम हो जाता है। 91. गले की सूजन: 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम मुलहठी, 5 ग्राम लौंग, 5 ग्राम हरड़ और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ धीरे-धीरे चाटने से पुरानी खांसी और पुराने जुकाम के कारण गले की खराबी, सिर दर्द, गले की खराश आदि रोग दूर हो जाते हैं। कूट, मोथा, एलुआ, धनिया, इलायची और मुलहठी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर 1 चम्मच चूर्ण लेकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से गले के हर प्रकार के रोग दूर होते हैं। 92. स्वर भंग (गले का बैठ जाना): मुलहठी को चूसने से बैठी हुई आवाज खुल जाती है और गला भी साफ हो जाता है। मुलेठी के आधे चम्मच चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। 3 ग्राम मुलहठी की जड़ का चूर्ण और 250 मिलीलीटर दूध को अनुपात से दिन में 2 बार लेना चाहिए और मुलहठी को समय-समय पर चूसते रहना चाहिए। इससे बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज भी साफ हो जाती है। मुलहठी को मुंह में रखकर उसका रस चूसना चाहिए, थोड़ी-थोड़ी मुलहठी को मुंह में रखकर चूसने से भी गले में आराम आता है। पान में मुलहठी डालकर रात को सोते समय खायें और सो जायें। सुबह उठने पर आवाज साफ हो जायेगी। सोते समय 1 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को मुंह में रखकर कुछ देर चबाते रहें या फिर सिर्फ मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह सोकर उठने पर गला जरूर साफ हो जायेगा। अगर मुलहठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर मुंह में रखा जाये तो और भी अच्छा रहेगा इससे सुबह गला खुलने के अलावा गले का दर्द और सूजन भी दूर होती है। 93. पेट और आंतों के घाव: पेट और आंतों के घाव में मुलहठी की जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इसे लगातार करते रहने से अल्सर कुछ ही हफ्तों में भर जायेंगें। इस प्रयोग के समय मिर्च मसालों नहीं खाना चाहिए।
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