परिचय: मेथी की खेती लगभग सभी प्रदेशों में की जाती है। मेथी के पत्तों से सब्जी बनायी जाती है। इसके बीजों का उपयोग आहार के लिए विभिन्न व्यंजनों में तथा औषधि के रूप में बहुत अधिक किया जाता है। मेथी के फूल एवं फल जनवरी से मार्च के महीनों में लगते हैं। मेथी के पौधे एक फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते छोटे और गोल-गोल होते हैं। मेथी के दाने को मेथी दाना कहते हैं। यह जगंलों में भी पाई जाती है। जंगलों में पायी जाने वाली मेथी कम गुण वाली होती है। राजस्थान में मेथी के दानों की सब्जी बनाई जाती है, सब्जी के अलावा मेथी के पत्तों से ढोकले, मुठिए और गोटे भी बनाये जाते हैं। कुछ लोग मूंग और मेथी के दानों का मिश्रित साग बनाते हैं। इसके अलावा कच्चे आम के टुकड़े करके उसमें पिसी हुई मेथी और अन्य मसाले मिलाकर अचार बनाये जाते हैं। यह अचार स्वादिष्ट और गुणकारी होता है। सर्दी के मौसम में मेथी ज्यादातर सभी घरों में सेवन की जाती है। विभिन्न भाषाओं में नाम: संस्कृत मेथिका, मेथिनी, पीतबीजा हिन्दी मेथी मराठी मेथी गुजराती मेथी बंगाली मेथी पंजाबी मेथी अंग्रेजी फेनुग्रीक लैटिन ट्राइगोनेला फीनुम ग्रीकम तेलगू मेन्तुलु कन्नड़ मेथयक, मेन्तिया तमिल वेंडयम मलयालम वेन्तियम फारसी शमलिह रंग: मेथी लाली लिए हुए हल्के पीले रंग की होती है। स्वाद: इसका स्वाद खाने में कड़वा और तीखा होता है। स्वरूप: मेथी का पौधा 30 से 60 सेमी तक ऊंचा होता है। इन पौधों पर छोटे-छोटे पतों वाली मेथी पैदा होती है। इसके पौधों की कलियों में छोटे-छोटे दाने होते हैं। मेथी को किसी भी मौसम में घर के बाहर लॉन या आंगन में आसानी से उगाया जा सकता है। इसके पत्ते संयुक्त पत्तों के साथ 1.5 सेमी से 4.5 सेमी लंबे होते हैं तथा फूल सफेद या हल्के पीले रंग के होते हैं। मेथी की फलियां 7.5 से 10 सेमी लंबी होती हैं इसकी फलियों में 10 से 20 पीले रंग के बीज होते हैं। मेथी के फूल एवं फल जनवरी से मार्च के महीनों में लगते हैं। स्वभाव: मेथी खाने में गर्म होती है। हानिकारक: जिनकी प्रकृति गर्म हो और शरीर के किसी भी अंग से खून गिरता हो, जैसे- खूनी बवासीर, नाक से खून का गिरना (नकसीर), पेशाब में खून आना, मासिक-धर्म में अधिक खून आना और कई दिनों तक आते रहना आदि रोग हो, उन्हें तेज गर्मी के मौसम में मेथी का प्रयोग कम और सावधानी से करना चाहिए। मेथी का प्रभाव गर्म होता है। अत: इसे सर्दी के मौसम में सेवन करना अधिक लाभदायक है। मेथी अधिक मात्रा में खाने से पित्त बढ़ती है, इसलिए इसका सेवन मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। दोषों को दूर करने वाला: घी, मेथी के गुणों को सुरक्षित रखकर उसके दोषों को दूर करती है। तुलना: मेथी की तुलना अलसी के साथ की जा सकती है। मात्रा: इसके दानों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम तक ले सकते हैं। गुण: मेथी की सब्जी को खाने से खून में शुद्धता आती है, वात रोग में मेथी का आटा छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है, इसके सेवन से वायु (गैस), कफ (बलगम) और ज्वर (बुखार) दूर होता है। यह पेट के कीड़े, दर्द, जोड़ों के दर्द (सन्धिवात), पेट में वायु की गांठ, कमर का दर्द और शारीरिक पीड़ा को दूर करती है। दिल के लिए यह काफी लाभदायक होती है। मेथी में पाचनशक्ति और कामवासना बढ़ाने की शक्ति होती है। इससे स्त्रियों की कमजोरी दूर होती है, शक्ति आती है और भूख बढ़ती है। बच्चे के जन्म (प्रसूति) होने के बाद गर्भाशय में कोई कमी रह गई हो, गर्भाशय ठीक से संकुचित न हुआ हो तो मेथी को पकाकर खाने से लाभ होता है। दस्त, बदहजमी (भोजन का न पचना), अरुचि (भोजन का मन न करना) और सन्धिवात (जोड़ों का दर्द) में मेथी के लड्डूओं को सेवन किया जाता है। घरेलू औषधि के रूप में मेथी बहुत उपयोगी है। मेथी वात (गैस), कफ (बलगम) और ज्वर (बुखार) का नाश करती है, रक्तपित्त और अरुचि को मिटाती है, भूख को बढ़ाती है तथा मल को रोकती है। मेथी हृदय के लिए लाभकारी तथा बलवर्द्धक है। यह खांसी, सूजन, बादी बवासीर, कृमि (कीड़े) और वीर्य का नाश करती है, पेशाब लाती है, बंद हुए मासिक-धर्म को फिर से जारी करती है, स्वभाव को कोमल करती है, सर्दी से होने वाली बीमारी, मिर्गी, लकवा और फालिज इत्यादि में हितकर है। मेथी का काढ़ा कान के दर्द को मिटाता है। मेथी गर्भाशय संकोचक, स्तन एवं प्रसव पीड़ा को नष्ट करती है। मेथी भूख को बढ़ाती है तथा नपुंसकता, कमजोरी, गठिया (जोड़ों का दर्द), मधुमेह, बाल रोग, कब्ज, अनिद्रा (नींद का कम आना), मोटापा, रक्तातिसार तथा जलन आदि रोगों के लिए यह काफी हितकारी होती है। गुण: मेथी चिकनी और भारी होती है। वैज्ञानिक मतानुसार मेथी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मेथी की पित्तयों में पानी 81.8 प्रतिशत, रेशे 1.01 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में तथा अल्प मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन ए, बी, सी भी पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केलाइड्स, गोंद, लेसीथिन, स्थिर तेल, एलब्युमिन प्रोटीन, पीले रंग के रंजक पदार्थ पाए जाते हैं। सूखे पंचांग में तो प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसमें खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा कम करने का विशेष गुण होने के कारण डायबिटीज में ये बहुत गुणकारी होते हैं। मेथी के बीजों में मुख्य तौर से वाष्पशील व स्थिर तेल, प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च, शर्करा, म्यूसिलेज, खनिज पदार्थ, एल्कोलायड व विटामिन पाये जाते हैं। बीजों का गन्धयुक्त कड़वा स्वाद इसमें पाये जाने वाले `ऑलिबोरेजिन´ के कारण होता है। एक रिचर्स के अनुसार इसके दानों में पानी 7.0 से 11.0 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 27.7 से 38.6 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 3.4 से 6.8 प्रतिशत, पेट्रोलियम ईथर 5.2 से 8.2 प्रतिशत, एल्कोहल 16.6 से 24.8 प्रतिशत व अम्ल अघुलनशील राख 0.2 से 2.3 प्रतिशत पाया जाता है। मेथी के दानों में विटामिन `ए`, `सी´ और नियासीन´ अधिक मात्रा में होता है। मेथी में पाए जाने वाले तत्त्व: तत्त्व मात्रा(ग्राम में) तत्त्व मात्रा (ग्राम में) प्रोटीन 4.9 प्रतिशत अन्य खनिज पदार्थ 1.6 प्रतिशत वसा 0.9 प्रतिशत कैल्शियम 0.47 प्रतिशत कार्बोहाइड्ट 9.8 प्रतिशत फॉस्फोरस 0.05 प्रतिशत पानी 81.8 प्रतिशत लौह 16.9 मिलीग्राम /100 ग्राम विटामिन-ए 3900 आई.यू /100 ग्राम विटामिन-बी 70 आई.यू /100 ग्राम विभिन्न रोगों में सहायक: 1. शरीर की जलन: मेथी के पत्तों को अच्छी तरह पीसकर पानी में घोलकर पी जाएं, और शरीर पर लेप करें। इससे शारीरिक जलन में राहत मिलती है। शरीर में कहीं भी जलन, दाह, भभका हो तो जलन वाले स्थान पर दाना मेथी के पत्ते या मेथी दाना को पानी में चटनी की तरह पीसकर लेप करें अथवा 4 चम्मच दाना मेथी 2 कप पानी में भिगोकर, छानकर रोजाना 2 बार पिलाने से आंतरिक जलन दूर हो जाती है। शरीर में जलन होने पर मेथी के पत्तों को ठंडाई के जैसे पीस लें और पानी में घोलकर पी जायें। इससे शरीर की जलन और भभका शांत हो जाता है। 2. आमातिसार (अमिबिक प्रवाहिका): मेथी के पत्तों को घी में तलकर खाने और 4 चम्मच रस 1 चम्मच मिश्री के साथ खाने से आमातिसार रोग में शीघ्र लाभ मिलता है। मेथी के पत्तों को घी में तलकर खाने से आमातिसार दूर हो जाता है। 60 मिलीलीटर मेथी के पत्तों का रस और 6 ग्राम शक्कर को मिलाकर पीना चाहिए या मेथी का चूर्ण 1 चम्मच, 100 ग्राम दही या छाछ में स्वादानुसार सेंधानमक और भुना जीरा मिलाकर सुबह-शाम पीने से आमातिसार दूर होता है। 50 मिलीलीटर मेथी के पत्तों का रस निकालकर रोजाना 2-3 बार सेवन करने से आमातिसार का रोग समाप्त हो जाता है। 4 ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम छाछ में मिलाकर सेवन करने से जीर्ण आमातिसार में लाभ होता है। 3. वायु विकार: मेथी को घी में भूनकर पीस लें, फिर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर 10 दिन सुबह खाने से वात की पीड़ा में लाभ होता है। मेथी के पत्तों की भुजिया या सूखा साग बनाकर खाने से पेट के वात-विकार और सर्दी में लाभ होता है। 4 चम्मच दाना मेथी को सेंककर और पीसकर 1 गिलास पानी में उबालकर रोजाना पीने से घुटनों के दर्द में लाभ मिलता है। मेथी के पत्तों के पकौड़े बनाकर खाने से वायु विकार दूर हो जाता है। मेथी की सब्जी और मेथी के साथ बनी दूसरी सब्जियां खाने से बहुत लाभ होता है। 2 चम्मच कुटी हुई मेथी गर्म पानी के साथ लेने से वात-कफ के कारण होने वाला शरीर का दर्द ठीक हो जाता है। गुड़ में मेथी-पाक बनाकर खाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है। मेथी दाने को बारीक पीसकर उसमें सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है जोकि वात रोग, पेट दर्द तथा जोड़ों के दर्द में लाभदायक है। मेथी को घी में भूनकर, पीसकर, छोटे-छोटे लड्डू बनाकर 10 दिन सुबह-शाम खाने से वात रोग में लाभ होता है। मेथी के पत्तों की भुजिया या सूखा साग बनाकर खाने से पेट के वात-विकार और आंतों की सर्दी में लाभ होता है। पिसी हुई दाना मेथी 100 ग्राम, गोंद (जो लड्डूओं में डालते हैं) 30 ग्राम, बूरा 250 ग्राम। सबसे पहले मेथी रात को दूध में भिगोयें। दूध इतना हो कि मेथी सोख लें। सुबह इसे कढ़ाही में सेंक लें। गोंद को घी में तलकर पीस लें। इन दोनों को बूरे में मिला लें। रोजाना 2 चम्मच फंकी गर्म दूध से लें। यह वायु और वात रोगों में लाभकारी है। 15-20 मिलीलीटर मेथी का रस पीने से वायु विकार (गैस) से उत्पन्न उदरशूल (पेट का दर्द) तुरन्त दूर हो जाता है। मेथी वायुनाशक, पित्तनाशक और पौष्टिक होती है। मेथी का रस पीने या सब्जी बनाकर सेवन करने से वायु विकार और पित्त विकार में आराम मिलता है। 4. पेट दर्द और भूख लगना: मेथी के दाने को गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट दर्द ठीक हो जाता है, भूख अच्छी लगने लगती है और कमर दर्द में लाभ होता है। 5. पेट की सर्दी तथा वायु विकार: मेथी के हरे पतों की पकौड़ी खाने से पेट की सर्दी और गैस की बीमारी ठीक हो जाती है। 6. चोट और सूजन: इसके पत्तों को पीसकर लेप करने से दर्द में आराम मिलता है। मेथी के पत्तों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से चोट की सूजन मिटती है। 7. कब्ज: मेथी की सब्जी सुबह-शाम खाने से कब्ज समाप्त होती है। सोते समय 1 चम्मच मेथी के साबुत दाने पानी से खाने से कब्ज दूर होगी। 1-1 चम्मच मोटा-मोटा पिसा हुआ दाना मेथी, ईसबगोल और चीनी को मिलाकर रात को गर्म दूध से फंकी लेने से कब्ज दूर हो जाती है। यदि आंतों की कमजोरी से पेट में कब्ज हो तो सुबह-शाम 1-1 चम्मच मेथी दाने का चूर्ण पानी के साथ कुछ दिनों तक लेने से आंतों तथा यकृत (जिगर) को ताकत मिलती है तथा कब्ज दूर होती है। 2 चम्मच दाना मेथी को पानी के साथ लेने पर यह पेट की आंतों को अन्दर से गीला करके, मुलायम बनाकर, रगड़कर जमे हुए मल को निकालेगी और मल की गांठों को बनने से रोककर पेट को साफ करती है। आंतों की कमजोरी से पेट में कब्ज बनती है, इसलिए यकृत (जिगर) को मजबूत बनाने और रोग मुक्त करने के लिए 1-1 चम्मच मेथी पाउडर पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से कब्ज में राहत मिलती है। कब्ज, पेट में अल्सर हो तो 1 कप पानी में मेथी के पत्तों को उबालकर, शहद में घोलकर सुबह-शाम को पीने से लाभ होता है। मेथी की नर्म पत्तियों की सब्जी बनाकर खाने से कब्ज में राहत मिलती है, खून साफ होता है, शरीर में शक्ति बढ़ती है और बवासीर रोग में लाभ मिलता है। 3-3 ग्राम मेथी के पिसे हुए चूर्ण को सुबह-शाम गुड़ या पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिट जाती है और लीवर (जिगर) को मजबूत बनता है। पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति यदि मेथी दानों का साग खाएं तो दस्त साफ आता है। 100 ग्राम दाना मेथी को मोटा-मोटा कूटकर 50 ग्राम भुनी हुई छोटी हरड़ पीसकर मिला लें। इसे 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से कब्ज और पेट दर्द में लाभ होता है। 8. कमर दर्द: मेथी दाने के लड्डू बनाकर 3 हफ्ते तक सुबह-शाम सेवन करने और मेथी के तेल को दर्द वाले अंग पर मलते रहने से कमर दर्द में पूरा आराम मिलता है। 2 चम्मच दाना मेथी और 2 छुहारे (गुठली निकाले हुए) को 1 गिलास पानी में उबालकर छान लें। रात को सोते समय छुहारे और मेथी खाकर पानी पीने से कमर दर्द में लाभ होता है। पानी में 5 खजूर उबालकर उसमें 5 ग्राम मेथी का पाउडर डालकर सुबह-शाम पीने से कमर दर्द में आराम मिलता है। 300 ग्राम दाना मेथी को 300 मिलीलीटर दूध में रात को भिगो दें। सुबह धूप में सुखाकर बारीक पीस लें, फिर इसे 60 ग्राम देशी घी में भूनकर रख लें। इसके बाद 300 ग्राम गेहूं का आटा 60 ग्राम घी में भूने, जब इसका रंग लाल-सा हो जाये तो आग से उतार लें। फिर इन दोनों एक साथ लेकर इसमें 2 किलो चीनी डालकर चाशनी बनायें। इस चाशनी में पीपल, कालीमिर्च, सोंठ, अजवायन और कुलंजन प्रत्येक 12-12 ग्राम पीसकर डाल दें। इस मिश्रण की 15-15 ग्राम के लड्डू बनाकर एक लड्डू सुबह भूखे पेट और एक लड्डू रात को सोते समच खाकर गर्म दूध पियें। इस प्रकार 6 सप्ताह तक लड्डू खाने से वायु के कारण उत्पन्न कमर दर्द ठीक हो जाता है। इसके साथ ही कब्ज, आंव (एक प्रकार का सफेद चिकना पदार्थ जो मल के द्वारा बाहर निकलता है) दूर हो जाती है। मेथी को पीसकर कमर पर उसकी पट्टी बांधने और उसकी सब्जी खाने से कमर दर्द ठीक हो जाता है। 9. बालों की रूसी और खुश्की: मेथी के दानों को पानी में पीसकर बालों में सोते समय लेप लगाने से रूसी तथा खुश्की आदि रोग दूर होते हैं। 10. सर्दी-जुकाम: मेथी के पत्तों की सब्जी सुबह-शाम खाने और इसके बीज 1 चम्मच गर्म दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से सर्दी-जुकाम के सारे कष्टों में आराम मिलता है। जिन्हें सर्दी-जुकाम की शिकायत रहती हो, उन्हें मेथी की सब्जी ज्यादा-से ज्यादा सेवन करने से लाभ मिलता है। यह कमजोर व्यक्तियों के लिए गुणकारी होता है। 11. गले की सूजन, दर्द, टॉन्सिल: मेथी दाने के काढ़े से दिन में 3-4 बार गरारे (कुल्ला) करने से गले की सूजन, दर्द और टॉन्सिल्स (गांठों) में लाभ मिलता है। 12. स्तनों के आकार में वृद्धि: स्त्री के स्तन यदि अविकसित रह गए हो, तो मेथी की सब्जी और मेथी दानों के चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करते रहने से स्तनों के आकार में वृद्धि होगी। जिन महिलाओं के स्तनों में कम दूध आता हो, वह भी इसका प्रयोग करके लाभ उठा सकती हैं। 13. गठिया रोग (जोड़ों के दर्द में): मेथी के दानों का चूर्ण 1 चम्मच सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से जोड़ों का दर्द, लकवा और कमर दर्द दूर हो जाता है। मेथी की सब्जी खाने से खून में सफाई और शुद्धता आती है, वात रोग में मेथी का आटा छाछ में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है, इसके सेवन से वायु (गैस), कफ (बलगम) और बुखार (ज्वर) दूर होता है। यह पेट के कीड़े, दर्द, सन्धिवात (गठिया), पेट में वायु गोले, कमर का दर्द और शारीरिक पीड़ा को दूर करता है। 50-50 ग्राम मेथी और सूखा आंवला, 10 ग्राम काला नमक को मिलाकर बारीक पीस लें। इसे 2 चम्मच लेकर पानी से 2 बार फंकी के रूप में लेने से गैस निकालकर वात व गठिया में लाभ होता है। मेथी, सोंठ और हल्दी को बराबर मात्रा में मिलाकर, पीसकर रोजाना सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी से 2-2 चम्मच फंकी लेने से गठिया रोग में लाभ होता है। रोजाना सुबह-भूखे पेट 1 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी में 1 ग्राम कलौंजी मिलाकर रोजाना एक बार फंकी लेते रहने से 2 सप्ताह में ही घुटनों के दर्द में लाभ होता है। दाना मेथी हमेशा सुबह खाली पेट, दोपहर में तथा रात को भोजन के बाद आधा चम्मच पानी के साथ फांकने से घुटनों के सभी जोड़ मजबूत होते हैं और घुटनों का दर्द व एड़ी का दर्द दूर होता है। हल्दी, गुड़, पिसी दाना मेथी और पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करके इनका गर्म-गर्म लेप रात को घुटनों पर लगाकर पट्टी बांधें। इस पट्टी को सुबह ही खोलें। इससे घुटनों का दर्द दूर होता है। 4 चम्मच दाना मेथी रात को 1 गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छानकर गुनगुना गर्म करके पीयें। भीगी मेथी को गीले कपडे़ में पोटली बांधकर रख दें। 24 घण्टे बाद पोटली को खोलें। इसमें अंकुर निकल आएंगे। फिर अंकुरित मेथी को खायें। नमक-मिर्च अन्य चीज न मिलायें। ऐसा कुछ महीने करते रहे। इससे वात, गठिया और घुटनों के दर्द आदि में लाभ होगा। 100 ग्राम दाना मेथी को पीसकर स्वादानुसार इसमें 20 ग्राम पिसी कालीमिर्च और 10 ग्राम सेंधानमक मिलाकर 2 चम्मच सुबह-शाम खाने के बाद पानी के द्वारा फंकी लेने से वात रोग, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और पेट दर्द में लाभ होता है। मेथी को पीसकर उसकी फंकी लेने से 40 दिन के अन्दर बुढ़ापे के कारण उत्पन्न घुटनों के दर्द में आराम मिलता है। 10 ग्राम मेथी के दानों को पीसकर हल्के गर्म पानी के साथ खाने से गठिया रोग (जोड़ों का दर्द) ठीक होता है। मेथी के 30 ग्राम दानों को रात में पानी में डालकर रखें, सुबह जल्दी उठकर दानों को थोड़ा-सा मसलकर, पानी को छानकर थोड़ा-सा गर्म करके पीने से गठिया रोग (जोड़ों का दर्द) में बहुत लाभ होता है। 14. आग से जलने पर: मेथी के दानों को पानी के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन शांत होती है और जलने के जख्म भी नहीं बनते हैं। 15. श्वेतप्रदर: मेथी के चूर्ण के पानी में भीगे हुए कपड़े को योनि में रखने से श्वेतप्रदर नष्ट होता है। 5 चम्मच दाना मेथी को 1 किलो पानी में उबालकर, छान लें बाद में उसमें चौथाई चम्मच हल्दी मिलाकर डूश देने से प्रदर ठीक हो जाता है। रात को 4 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को सफेद और साफ भीगे हुए पतले कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर योनि में रखें। लगभग 4 घंटे बाद या जब भी किसी तरह का कष्ट हो, पोटली बाहर निकाल लें। इससे श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है। 4 चम्मच कुटी हुई दाना मेथी को 1 गिलास पानी में भिगो दें, फिर इस पानी छानकर योनि को धोयें। इससे श्वेत प्रदर के रोग में आराम आता है। मेथी को पकाकर या मेथी के लड्डू खाने से श्वेतप्रदर से छुटकारा मिल जाता है। इससे शरीर हृष्ट-पुष्ट बना रहता है तथा गर्भाशय की गन्दगी बाहर निकल जाती है। गर्भाशय कमजोर होने पर योनि से पानी की तरह पतला स्राव होता हो तो गुड़ व मेथी का चूर्ण 1-1 चम्मच मिलाकर कुछ दिनों तक खाने से प्रदर बंद हो जाता है। 16. बिगड़ा जुकाम (नजला): 3 ग्राम मेथी और अलसी के चूर्ण को 175 ग्राम पानी में उबालें, जब यह चौथाई शेष बचे तो इसे उतारकर छान लें। इसे पीने से सभी प्रकार का बिगड़ा जुकाम, जुकाम से उत्पन्न बुखार में आराम मिलता है। 17. मासिक धर्म न आना (अनार्तव), दमा, खांसी: 4 चम्मच मेथी को 1 गिलास पानी में उबालें, जब पानी की मात्रा आधी रह जाए तो इस पानी का सेवन करने से मासिक-धर्म का न आना, दमा और खांसी आदि रोगों में लाभ मिलता है। 4 चम्मच दाना मेथी को 1 गिलास पानी में उबाल लें जब पानी आधा रह जाये तो छानकर गर्म-गर्म ही पीयें। इससे मासिक-धर्म खुलकर आयेगा। मासिक-धर्म के समय होने वाला दर्द नहीं होगा, और आराम मिलेगा। मासिक-धर्म का सौन्दर्य पर भी प्रभाव पड़ता है। मासिक-धर्म नहीं आने से, देर से आने से, दर्द के साथ आने पर चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ जाते हैं। ऊपर बताये अनुसार मेथी का पानी पीने से मासिक-धर्म नियमित आयेगा तथा इसके विकार ठीक हो जाएंगे। 18. बच्चे की उत्पत्ति (प्रजनन) के बाद गर्भाशय की शुद्धि के लिए:- प्रजनन के बाद में मेथी को अन्य चीजों के साथ मिलाकर स्त्री को खिलाने से गर्भाशय शुद्ध होता है, भूख लगने लगती है और दस्त साफ आता है। 19. भूख न लगने पर: यदि भूख न लगती हो या कम खाना खाने से ही पेट भर जाता हो तो 7 ग्राम दाना मेथी में थोड़ा-सा घी डालकर सेंके। मेथी जब लाल होने लग जाए तब उतार लें और ठंडी होने पर पीस लें। फिर इसे 5 ग्राम लेकर शहद में मिलाकर लगभग 45 दिनों तक सेवन करें। इससे अच्छी भूख लगेगी। मेथी के पत्तों का साग खाने से भूख तेज होती है। रोजाना मेथी से छोंकी गई दाल या साग-सब्जी खाने से भूख बढ़ जाती है, मुंह का स्वाद सुधर जाता है और भोजन के प्रति रुचि होती है। 20. भूख व निंद्रा के लिए: मेथी दाना का सेवन कई रूप में किया जा सकता है, सब्जी, दाल, खट्टी-मीठी टमाटर, दही वाली मेथी, पापड़ मेथी, हरी मेथी की दाल भाजी, मेथी की रोटी, कोफते, कच्ची मेथी का सलाद। इसे खाने भूख और नींद बढ़ती है। 21. खूनी बवासीर: 4 चम्मच मेथी को 1 गिलास पानी के साथ या दूध में उबालकर सेवन करने से बवासीर में खून आना बंद हो जाता है। 4 चम्मच दाना मेथी और 1 गिलास पानी मिलाकर दोनों का काढ़ा बनायें। इसे रोजाना 2 बार पीने से बवासीर में खून आना बंद हो जाता है। यह खूनी पेचिश में लाभकारी है। 22. बदन दर्द: 2 ग्राम मेथी चूर्ण, 2 ग्राम जीरा चूर्ण गर्म दूध के साथ सेवन करने से बदन दर्द में आराम होता है। 23. बालों की रूसी: नहाने के आधा घंटे के पहले मेथी को पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से रूसी में कमी होती है। नारियल के तेल में मेथी के पिसे हुए चूर्ण को उबालकर रोजाना सिर पर मालिश करने से रूसी नष्ट होती है। बालों को मुलायम और चमकदार रखने के लिए मेथी को पानी में पीसकर रोजाना सिर पर लगाने से रूसी खत्म हो जाती है। 24. आंखों के नीचे कालापन होना: मेथी के दानों को अच्छी तरह धो लें फिर इसको पीसकर आंखों के नीचे लेप कर लें। ऐसा करने से कालापन दूर हो जाता है। 25. एनीमिया (खून की कमी या रक्ताल्पता): मेथी की सब्जी बनाकर खाने से खून साफ होता है और खून में वृद्धि होती है क्योंकि मेथी के अन्दर आयरन प्रचुर मात्रा में होता है। इसलिए एनीमिया या खून की कमी में यह बहुत उपयोगी होती है। मेथी, पालक, बथुआ आदि रोजाना सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है। 26. कॉड लीवर ऑयल: मेथी को कॉड लीवर ऑयल इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी रासायनिक संरचना में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूम्लियो एलब्युमिन पदार्थ पाये जाते हैं। कॉड लीवर ऑयल के समान गुण दाना मेथी के हलवे में मिलते हैं। दाना मेथी का हलवा बनाकर खायें और दूध पियें। यह कॉड लीवर ऑयल के समान लाभ देता है। 27. निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर): अदरक, लहसुन, गर्म मसाला आदि डालकर बनाई गई मेथी की सब्जी खाने से निम्न रक्तचाप वाले रोगियों को लाभ मिलता है। 5 ग्राम से 20 ग्राम मेथी के बीजों का चूर्ण बनाकर गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से शरीर में बल की वृद्धि होती है और निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) सामान्य हो जाता है। 28. एंजाइना का दर्द: मेथी के 1 चम्मच बीजों को डेढ़ कप पानी में उबालकर छान लें इसे दिन में 2 बार पीने से एंजाइना के रोग से छुटकारा मिलता है। 29. मर्दाना शक्तिवर्धक: पिसी दाना मेथी और पिसा हुआ सूखा धनिया बराबर मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच रोजाना रात को गर्म दूध से लें। इसे लगातार 1 से 2 महीने तक लेने से मर्दाना शक्ति बढ़ती है। मेथी सेक्स की कमजोरी को दूर करती है। मेथी के लड्डू या 1 चम्मच पिसी मेथी 2 चम्मच शहद के साथ भी ले सकते हैं। 30. नींद का कम आना: दाना मेथी का एक इंच मोटा तकिया बनाकर, सिर के नीचे लगाकर सोयें। इससे गहरी नींद आयेगी। 31. स्तनों का दूध सुखाना हो, स्तनों में सूजन, या दर्द: मेथी की हरी पत्तियां पीसकर लेप बना लें। इस लेप को स्तनों पर लगा करके 3 घंटे बाद धोने से स्तनों की सूजन, दर्द आदि रोग दूर होते हैं। 32. स्तन के सौन्दर्य के लिए: जिन स्त्रियों के स्तन किसी कारण से छोटे रह गये हैं और वह इन्हें उभारना चाहती है तो उन्हें मेथी के दानों का सेवन करना चाहिए क्योंकि मेथी में डायस्जेनिन हार्मोन होता है जो स्तनों को विकसित करता है। स्तनों को मोटा करने के लिए दाना मेथी की सब्जी खाये या दाना मेथी में पानी डालकर पीसकर स्तनों पर मालिश करें। 33. मासिक-धर्म में अधिक खून का आना: 1 चम्मच दाना मेथी को एक गिलास दूध में डालकर इसे एक उबाल आने तक उबालें, फिर दूध ठंडा करके छान लें। मेथी खायें और दूध में स्वादानुसार पिसी मिश्री मिलाकर रोजाना 2 बार पीयें। इससे मासिक-धर्म में अधिक खून का आना तथा शरीर के किसी भी अंग से खून का बहना बंद हो जाता है। 34. रजोनिवृति: रजोनिवृति के बाद उत्पन्न रोगों में मेथी खाने से लाभ मिलता है। 35. शिशु-जन्म के बाद (प्रसवोपरान्त): शक्ति को बढ़ाने के लिए भी मेथी का प्रयोग किया जाता है। प्रसव के बाद महिलाओं का शरीर आमतौर पर शिथिल हो जाता है। मेथी फिटनेस को बनाये रखने के लिए काफी लाभदायक है। मेथी के सेवन से गर्भाशय शुद्ध होकर अपनी स्थिति में सिकुड़ जाता है। दाना मेथी के सेवन से 3 दिन में ही स्तनों में दूध बढ़ जाता है। 30 ग्राम पिसी हुई मेथी आधा किलो दूध में रात को भिगो दें। दूसरे दिन सुबह एक साफ बर्तन में 50 ग्राम घी डालकर गर्म करें और उसमें वह दूध व भीगी मेथी डालकर पकायें, बाद में उतारकर स्वादानुसार गुड़ डालकर हिलायें। हल्की गर्म रहने पर खायें। इस प्रकार 21 दिन तक खायें। इससे यदि स्तनों में दूध नहीं आता हो तो आने लगेगा, कम है तो मात्रा बढ़ जायेगी। दूध दोषमुक्त होकर शुद्ध हो जायेगा। गर्भाशय का संकोचन होगा। मेथी के लड्डू, मेथी-पाक या हलवा खाने से तंतुओं को शक्ति मिलती है और दर्द दूर होता है। 36. पित्त विकार, सुस्ती, जी मिचलाना: मेथी के पत्तों के साग को घी में तलकर खाने से लाभ मिलता है। 37. मोटापा दूर करने के लिए: दाना मेथी या मेथी के हरे पत्ते किसी भी रूप में सेवन करते रहने से शरीर सुडौल रहता है। मोटापा नहीं बढ़ता है और पेट पतला रहता है। छाती चौड़ी होती है और कमजोरी नहीं आती है। 38. छाती में दर्द: 3 चम्मच दाना मेथी को पीसकर 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें। उबलने के बाद जब पानी तीन-चौथाई शेष बचे तो इसे छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर सोते समय पीने से लाभ मिलता है। 39. श्वेतसार (बादी बनाने वाले खाद्य पदार्थ): कुछ खाद्य-पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें खाने से आमवात, (जोड़ों का दर्द) बढ़ता है, जैसे-आलू, चावल, भिण्डी, अरबी, फूलगोभी, उड़द की दाल, बेसन से बनी सब्जियां- कढ़ी, गट्टे आदि। इनके सेवन से होने वाले दर्द को मेथी दूर करती है। खाद्य-पदार्थों से बादी करने वाला दोष दूर करने के लिए 5 बघार (मेथीदाना, कलौंजी, जीरा, सौंफ और राई) बराबर मात्रा में मिलाकर हल्का-सा पीसकर मोटा बारीक कर लें। बादी पैदा करने वाली सब्जियों में यह 5 चीजों से बनाया `पांच बघार´ का छोंक लगायें। सब्जी में जितनी मात्रा में जीरा डाला जाता है, उतनी मात्रा में यह पंच बघार लें। इससे सब्जियों का बादीपन दूर होता है। 40. गठिया, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका: एक चम्मच दाना मेथी सुबह-शाम पानी से फंकी लेने से लाभ होता है। एक चम्मच दाना मेथी कूटकर, 25 ग्राम गुड़ एक गिलास पानी में उबालकर रोजाना दो बार पीने से लाभ इन विकारों में लाभ मिलता है। अंकुरित मेथी रोजाना दो बार खाने से भी लाभ होता है। गठिया, (जोड़ों के दर्द) के दूर होने के बाद यदि दिल की कमजोरी प्रतीत हो तो 1-1 चम्मच मेथी और सोंठ का चूर्ण दिन में 2 बार गुड़ में मिलाकर खाने से लाभ होता है। इसके सेवन के समय खटाई का सेवन कम-से-कम करना चाहिए। 41. आमवात (जोड़ों का दर्द): एक गिलास पानी में 3 चम्मच दाना मेथी रात को भिगो दें, सुबह उठकर इसे तेज उबालकर छानकर पियें। इससे आंव (एक तरह का सफेद चिकना मल) बाहर निकल जायेगा और आमवात (जोड़ों के दर्द) में लाभ मिलता है। मेथी और सोंठ का चूर्ण 4-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से जीर्ण आमवात (जोड़ों के दर्द) में लाभ होता है। 1 चम्मच दाना मेथी की फंकी गर्म दूध के साथ लेने से पेट की चिकनाई साफ होकर वायु का असर कम हो जाता है। 100 ग्राम दाना मेथी को सेंककर बारीक पीस लें और इसमें 25 ग्राम काला नमक मिलाकर रोजाना 2 चम्मच गर्म पानी के साथ फंकी लें, इससे जोड़ों के दर्द में आराम आता है। 2 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को 1 गिलास पानी में उबालकर, छानकर, उसमें स्वादानुसार पिसी कालीमिर्च, सेंधानमक डालकर रोजाना 2 बार पीने से आमवात (जोड़ों का दर्द) में आराम मिलता है। 42. वातरोग: 100 ग्राम दाना मेथी, नारियल, मूंगफली या सरसों को पीस लें और अच्छी तरह उबालकर, छानकर शीशी में भर लें और जोड़ों में जहां-जहां दर्द हो, मालिश करें। 2 चम्मच दाना मेथी की सुबह-शाम पानी से फंकी के साथ लेने से आराम मिलता है। यह प्रयोग 3-4 महीने तक करें। इसके प्रयोग के समय घी-तेल कम से कम लें। पिसी मेथी, सोंठ और गुड़ बराबर मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच सुबह-शाम खाने से वात (गैस) में लाभ होता है। दाना मेथी, हल्दी, सोंठ 50-50 ग्राम और 25 ग्राम अश्वगंधा को बराबर लेकर पीस लें। इसे सुबह नाश्ते के बाद तथा रात को खाने के आधा घंटे बाद गर्म पानी के साथ इस मिश्रण की 1-1 चम्मच फंकी लेने से कमर-दर्द, गठिया, जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। 43. बलगम: 10 ग्राम दाना मेथी, 15 ग्राम कालीमिर्च, 50 ग्राम शक्कर, 100 ग्राम की बादाम गिरी को पीसकर मिला लें। रोजाना गर्म दूध से रात को सोते समय 1 चम्मच फंकी लेने से खांसी, दमा में बलगम, जुकाम, साइनोसाइटिस और कब्ज सभी में लाभ होता है। इसका सेवन ठंडी प्रकृति वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है। 44. खांसी: 2 कप पानी में 2 चम्मच दाना मेथी उबाल-छानकर, उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से बलगम वाली खांसी, सांस का रोग, छाती का भारीपन, दर्द, कफ (बलगम) का प्रकोप, दमा आदि में लाभ मिलता है। जिन्हें हमेशा जुकाम-खांसी बनी रहती हो, उन्हें तिल या सरसों के तेल में गर्म मसाला, अदरक और लहसुन डालकर बनाई मेथी की सब्जी का सेवन रोजाना करना चाहिए। 2 चम्मच मेथी को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इसे छानकर पीयें। इससे बुखार, उल्टी, कफ-खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया और गले की खरास दूर होती है। 1 चम्मच मेथी के दानों को 1 कप पानी में उबालें। पानी जब आधा रह जाए तो उसे छानकर पीने से खांसी मे लाभ होता है। 45. टॉन्सिल: 1 गिलास पानी में 2 चम्मच दाना मेथी उबालकर व छानकर रोजाना सुबह और शाम गरारे करने से लाभ होता है। 46. बुखार: ज्वर (बुखार) होने पर मेथी की हरी पत्तियों की सब्जी खायें तथा 4 दिन तक पिसी हुई, दरदरी दाना मेथी की 1-1 चम्मच फंकी पानी से 3 बार लें। 47. तेज बुखार: बुखार जब तेज (102 डिग्री से अधिक) हो तो 3 चम्मच दाना मेथी 2 कप पानी में उबाल लें फिर पानी आधा रहने पर छानकर रोजाना 3 बार पियें। इससे तेज ज्वर (बुखार) ठीक हो जायेगा। मेथी की यह चाय ज्वर (बुखार) को कम कर देती है। 48. हड्डी के टूटने पर: यदि हमारे शरीर के अन्दर के किसी भी भाग की हड्डी टूट गई हो और वह जुड़ने की सामर्थ्य हो तो मेथी के दानों का सेवन करने से लाभ मिलता है। यह हाथ-पैर के एक-एक जोड़ के दर्द को ठीक करती है। 49. बूंद-बूंद पेशाब का आना: मेथी के दानों का पाउडर बनाकर 1-1 चम्मच मेथी और शहद को मिलाकर रात को सोते समय खा लें। पेशाब खुलकर आयेगा और शीघ्र ही लाभ मिलेगा। 50. पेशाब का अधिक आना: मेथी की भाजी के 100 मिलीलीटर रस में या 40 मिलीलीटर हरे पत्ते वाले मेथी के रस में डेढ़ ग्राम कत्था तथा 3 ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना 1 सप्ताह सेवन करने से लाभ मिलता है। मेथी का साग रोजाना खाने से पेशाब का बार-बार आना ठीक हो जाता है। दाना मेथी व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर 2 चम्मच दिन में 2 बार सेवन करने से लाभ मिलता है। हरी पत्ती वाली मेथी का 1 कप रस रोजाना पीने से लाभ मिलता है। यह रोग कई कारणों से भी हो जाता है। जैसे: मूत्राशय में मूत्र धारण शक्ति का कमजोर पड़ जाना, जिगर में कमजोरी होने पर घी, तेल, शक्कर (चीनी) के सेवन करते रहने से मूत्रतंत्र पर बोझ पड़ता है, इससे मूत्राशय को नुकसान होता है। ऐसी स्थिति बनने पर घी, तेल, चीनी आदि का सेवन कम से कम करना चाहिए। यदि बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता हो, जलन भी होती है तो रोगी को रोजाना मेथी का साग खिलायें। इससे बार-बार पेशाब जाने की समस्या से छुटकारा तो मिलेगा ही, आंव (एक तरह का सफेद चिकना मल) की शिकायत भी ठीक हो जाएगी। सहायक उपचार के रूप में रोगी को अंगूर खिलाये व शाम को पालक की सब्जी खिलाने से आराम मिलता है। 51. स्नायविक दौर्बल्य (नर्वस सिस्टम): 20 ग्राम दाना मेथी, हल्दी और सोंठ 10-10 ग्राम पीसकर रख लें, फिर 1 चम्मच सुबह-शाम पानी से लेने से लाभ होता है। 2 चम्मच दाना मेथी की फंकी पानी के साथ लेने से शरीर का दर्द दूर होता है। हरी पत्ती वाली मेथी की सब्जी और मेथी के लड्डू खाने से शरीर का दर्द, वायु के दर्द और साइटिका में लाभ मिलता है। रोजाना दाना मेथी या हरी पत्ती वाली मेथी की सब्जी खाने से वायु का दर्द ठीक हो जाता है। 52. पाचन संस्थान के रोग के लिए: मेथी पाचन संस्थान (पाचनतंत्र) को ठीक रखती है। मेथी के खाने से पेट के कृमि (कीड़े) नष्ट होते हैं, भूख बढ़ती है, कब्ज दूर होता है, पेट साफ होता है, पेट की आंव को पतलाकर बाहर निकालती है। पेट और आंतों की सूजन को ठीक करती है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर करती है। दाना मेथी 4 घंटे पानी में भिगोकर उसी पानी में उसकी सब्जी बनाकर रोजाना खाने से गैस, अपच, वात में आराम मिलता है। मेथी यकृत, आमाशय और नाड़ी-संस्थान पर अपना काफी अच्छा प्रभाव छोड़ती है। मेथी पेट से सम्बंधित विकारों को दूर करती है। 53. ऑव (दस्त के ऑव आना): 4 चम्मच पिसी मेथी एक कप मीठे दही में मिलाकर रोजाना सुबह खाने से मल के साथ ऑव आना बंद हो जाता है। 2 चम्मच पिसी दाना मेथी को 1 कप दही में मिलाकर 2 बार खाने से दस्त बंद हो जाते हैं। मेथी के पत्तों की सब्जी घी में छोंककर खाने से दस्त बंद हो जाते हैं। 100 मिलीलीटर मेथी के पत्तों के रस में 2 चम्मच चीनी डालकर पीने से दस्त और दस्त के साथ आंव का आना बंद हो जाता है। उल्टी, दस्त हो तो दाना मेथी की फंकी गर्म दूध से 3 बार रोजाना लेने से लाभ होता है। 2 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा शेष बचे तो इसे छानकर फीका पानी ही सुबह भूखे पेट तथा रात को सोते समय 1 महीने तक रोजाना पीने से इन लाभ मिलता है। पतले-दुबले शरीर वाले और जिनका शरीर रूक्ष (रूखा) हो, वे सभी इसका प्रयोग अति सावधानी से थोडे़ से समय तक ही करें। 54. कृमि (कीड़े): बच्चों के पेट में कीड़े हो जाने पर उन्हें मेथी का 2 चम्मच पानी रोजाना पिलाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। 55. गले में छाले में हो जाने पर: 1 किलो पानी में 2 चम्मच दाना मेथी डालकर हल्की आग पर अच्छी तरह उबलने पर पानी को छान लें, इस पानी से गरारे करने से गले के छाले दूर हो जाएंगें, यदि टॉन्सिल्स में सूजन हो या वे पक गये हो तो वे भी ठीक हो जाते हैं। मसूढ़ों में से खून आता हो तो खून निकलना बंद हो जाता है। 56. पेट दर्द: 3 चम्मच दाना मेथी को 1 गिलास पानी में उबालकर पानी पीने से या 2 चम्मच गर्म पानी से मेथी के चूर्ण की फंकी लेने से पेट की गैस, पेट में ऐंठन तथा दर्द आदि में लाभ होता है। दाना मेथी और अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें स्वादानुसार कालानमक मिलाकर गर्म पानी से 2 बार फंकी लें। इससे पेट का दर्द ठीक हो जाता है। मेथी के दानों को पीसकर 1 चम्मच सुबह-शाम गर्म पानी के साथ लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है। मेथी के हरे पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाने से पेट का दर्द और वायु विकार ठीक हो जाते हैं। 57. पेट दर्द, दस्त में: दाना मेथी, अजवायन, हरड़, जीरा प्रत्येक 50-50 ग्राम, 40 ग्राम काला नमक और 250 ग्राम सौंफ को एक साथ पीसकर रख लें। सुबह-शाम भोजन के बाद इसे 2 चम्मच भर लेकर पानी से फंकी लें। इससे पेट दर्द और दस्त ठीक हो जाते हैं। 58. अम्लपित्त (एसिडिटिज): 100 मिलीलीटर मेथी के पत्तों का रस और इतना ही पानी मिलाकर पीने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) में लाभ होता है। 59. यकृत से सम्बंधी रोग: यकृत (जिगर) की कार्यक्षमता में वृद्धि करने के लिए सुबह नाश्ते में उबले हुए मेथी के बीजों को खाने से आराम मिलता है। यह अपच (भोजन का न पचना) को भी दूर करता है। 60. आमाशय में घाव होने पर: 2 चम्मच दाना मेथी को 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाये तो पानी को छानकर पियें तथा उबली हुई मेथी खायें। चाय की तरह गर्म-गर्म यह काढ़ा दिन में 3 बार, सुबह नाश्ते से आधा घंटे पहले, दोपहर में भोजन से आधा घण्टे पहले और रात में सोने से आधा घंटा पहले लेने से लाभ होता है। यदि पीने में कठिनाई हो तो इसमें थोड़ा गर्म दूध और देशी खांड़ मिलाकर चाय के रूप में भी लिया जा सकता है। 1 सप्ताह से लेकर 1 से 2 महीने तक इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। 61. भूख, पेट-दर्द होने पर: दाना मेथी की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से पेट-दर्द ठीक होता है और भूख खुलकर लगती है। 62. गैस: दाना मेथी और अजवायन को बराबर मात्रा में पीसकर लेकर पीस लें। यह मिश्रण एक चम्मच लेकर इसमें 5 बूंद कलौंजी के तेल को मिला लें। इसे सुबह खाली पेट और रात को सोते समय तक तक उपयोग करें जब तक लाभ न हो, रोजाना पानी से फंकी लेते रहें। खाने में अरबी और आलू का सेवन न करें। इससे पेट की गैस में बहुत बहुत लाभ होता है। 1 चम्मच पिसी हुई मेथी और 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना सुबह भूखे पेट 10 दिन खाने से पेट में गैस का बनना बंद हो जाती है। मेथी का साग खाने से पेट की गैस में लाभ होता है। 100 ग्राम मेथी के दानों को भूनकर इसमें 25 ग्राम काला नमक मिलाकर बारीक पीस लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण खाना खाने के बाद सुबह-शाम पानी के साथ लेने से लाभ होता है। दाना मेथी, अर्जुन की छाल, खैर और आंवला को बराबर लेकर पीस लें। इसे 1-1 चम्मच ठंडे पानी से सुबह खाली पेट फंकी की तरह लेने से पेट की गैस में आराम मिलता है। इससे पेट का भारीपन दूर होता है और भूख लगने भी लगने लगती है। 20 ग्राम मेथी को रोजाना सुबह के समय खाने से वायु (गैस) के विकार दूर हो जाते हैं। 63. अपच: मेथी के हरे पत्ते उबालकर, दही में रायता बनाकर सुबह और दोपहर में खाने से बदहजमी (भोजन का न पचना) के रोग में लाभ होता है। 64. बवासीर (अर्श) : रोजाना मेथी की सब्जी का सेवन करने से वायु (गैस), कफ (बलगम) और बवासीर में लाभ होता है। 20 ग्राम मेथी के दानों को 300 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं, इस काढ़े को छानकर दूध के साथ पियें। इससे बवासीर रोग नष्ट होता है तथा रक्तस्राव (खून का बहाना) भी बंद होता है। 65. रोग-निरोधक, शक्तिवर्धक: मेथी में कोलाइन तत्त्व होता है, जो विचार शक्ति को बढ़ाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो रोग-प्रनिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। 2 चम्मच दाना मेथी 1 गिलास पानी में 5 घंटे तक भिगोयें और फिर इतना उबाल लें कि चौथाई मात्रा में रह जाये। इसे छानकर 2 चम्मच भर लेकर शहद के साथ 1 बार रोजाना पियें। इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है और शरीर शक्तिशाली होता है। मेथी में लोहा होता है जो शरीर को शक्ति देता है और खून बढ़ाता है। मेथी के पत्तों की सब्जी भी खाने से लाभ होता है। 100 ग्राम दाना मेथी को घी में भून लें और दरदरा (मोटा-मोटा) कर लें। इसे 1-1 चम्मच भर लेकर दिन में 3 बार पानी से फंकी लें। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होगी और वीर्य पुष्ट होगा। 1-1 किलो दाना मेथी और गेहूं को मिलाकर पीस लें फिर इसे 2 चम्मच की मात्रा में 2 महीने तक नियमित सुबह-शाम दूध के साथ फंकी लें। इससे शरीर मजबूत होता है। 1 चम्मच दाना मेथी की फंकी पानी से 2 बार लेने से स्नायविक दुर्बलता, कमजोरी और सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है। 66. कील-मुंहासे, झुर्रियां: दाना मेथी को इतने दूध में भिगोयें कि वह दूध को सोख ले। इस दूध को चेहरे पर लगाने से त्वचा का सूखापन दूर होकर त्वचा कोमल हो जाती है। मेथी के पत्ते पीसकर लगाने से भी लाभ होता है। स्नान से आधा घंटा पहले मेथी की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लेप करें। इससे चेहरे की झुर्रियां और सूखापन दूर होगा। गर्मी से होने वाले त्वचा के रोग, फोडे़-फुन्सियों में भी इससे लाभ मिलता है। मेथी की हरी पत्तियों की चटनी को रात पर चेहरे पर लेप लगाकर सुबह धो लेने से मुंहासे, कालापन, सूखापन और झुर्रियां दूर हो जाती हैं और चेहरे का रंग साफ होता है। 67. सोराइसिस: सोराइसिस रोग में मेथी का सेवन करना लाभदायक होता है। 68. फोड़े-फुंसी: दाना मेथी को पानी में भिगो दें, फिर इसे पीसकर इसमें थोड़ा-सा घी या तेल मिलाकर रख लें। इसके बाद इसे गर्म करके पोटली बनाकर बांधने से फोड़े-फुंसी में लाभ मिलता है। 69. गर्दन में दर्द: मेथी के दानों को पीसकर पानी में लेप बना लें। इस लेप को दिन में 3 बार गर्दन पर लगाने से गर्दन के दर्द में लाभ होता है। 1 चम्मच दाना मेथी की फंकी रोजाना पानी से सुबह-शाम लेने से गर्दन का दर्द दूर हो जाता है। 70. गले में सूजन, टान्सिल व खराश होने पर: 1 गिलास पानी में 3 चम्मच दाना मेथी डालकर उबाल लें, फिर इस उबले हुए पानी को छानकर गरारे करें। उबली हुई दाना-मेथी पर स्वादानुसार नमक, कालीमिर्च डालकर खाने से आराम मिलता है। 71. बाल टूटना: हरी पत्तों वाली मेथी की सब्जी खायें तथा 1 चम्मच दाना मेथी की फंकी रोजाना पानी से लें। इससे बाल टूटना बंद हो जाते हैं। मेथी के बीजों या मेथी की पत्तियों का पेस्ट बनाकर सिर में लगायें और सूखने पर बालों को धो लें। इससे बालों का झड़ना रुकता है। इसके साथ ही बालों का रूखापन भी दूर होता है। मेथी के बीज को पीसकर बालों में लेप करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है। 72. बाल काले करने के तरीके: 50 ग्राम पिसी हुई दाना मेथी या 50 ग्राम मेथी के पत्ते, तिल या नारियल के 100 मिलीलीटर तेल में डालकर 4 दिन रखें। फिर छान लें। इस तेल को बालों पर लगायें। इससे बाल काले और चमकदार रहेंगे। 5 चम्मच दाना मेथी को 1 गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को छानकर बाल भिगोकर आधे घंटे बाद धो लें, इससे फरास और बाल गिरना बंद होता है। इससे गंज के स्थान पर बाल आते हैं तथा बाल लंबे, काले और मुलायम हो जाते हैं। 50 ग्राम दाना मेथी रात को पानी में भिगोयें। सुबह मेथी को पीसकर बालों पर लेप करके आधे घंटे बाद धो लें ऐसा रोजाना करते रहने से बाल काले हो जाते हैं। 73. फरास: 2 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को आधा कप खट्टी छाछ या दही में मिलाकर सिर पर मलें और 15 मिनट बाद सिर धो लें। इसे सप्ताह में 3 बार करें। इससे सिर की फरास दूर हो जाती है और बाल गिराना बंद हो जाते हैं। दाना मेथी भिगोकर, पीसकर या मेथी के ताजा हरे पत्ते पीसकर बालों की जड़ों में लेप करें। आधा घंटे बाद धोयें। इससे फरास दूर हो जाती है। बाल टूटना बंद होकर बाल घने होते हैं तथा बाल काले और चमकदार होते हैं। 2 चम्मच पिसी हुई मेथी और आधा कप दूध को मिलाकर सिर पर मलें, फिर सिर धोयें। इससे फरास दूर हो जाती है और बाल गिरना बंद हो जाते हैं। दाना मेथी, मेहंदी, त्रिफला, मुल्तानी मिट्टी सबको पीसकर पानी डालकर पेस्ट बना लें और सिर में लगायें। 1 घंटें बाद सिर धोयें। शुरुआत में सप्ताह में 2 बार, बाद में एक बार इसी प्रकार सिर धो लें। ऐसा करने से बालों का झड़ना बंद हो जायेगा। सरसों या नारियल के 100 मिलीलीटर तेल में 25 ग्राम पिसी हुई दाना मेथी, 15 ग्राम नीम की पत्तियों का रस या सूखी पत्तियों का पाउडर डालें, उनमें पिसी हुई 5 लौंग और 3 ग्राम दवा के काम आने वाला कपूर मिलायें। इनको उबाल लें, जब नीम की पत्ती का रस जल जाये तो छानकर शीशी में भर लें। इसे सप्ताह में 2 बार लगायें। इससे फरास जमना और बालों का गिरना बंद हो जाता है। 74. रूखे बाल: 4 चम्मच एरण्डी तेल, 4 मसले हुए आलू, 2 चम्मच मेथी पाउडर, 2 चम्मच भृंगराज बूटी का पाउडर और 2 चम्मच शिकाकाई पाडडर का गाढ़ा घोल बनाकर बालों और सिर में लगा लें। एक घंटे तक लगा रहने दें और फिर धोंयें। इससे बालों का रूखापन दूर होता है। 4 बड़े चम्मच दही में 3 चम्मच पिसे हुए मेथी दानों को भिगो दें, आधा घंटा भीगने के बाद सिर की त्वचा पर लगाकर आधा घंटा लगायें रखें, फिर बालों को धों लें। इससे बाल मुलायम हो जाएंगें। 4 चम्मच मेथी पाउडर, 1 नींबू का रस, 1 केला मसला हुए लें। इन सबको मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे सिर पर लगाकर सूखने के बाद धोयें। इससे बाल साफ, मुलायम और चमकदार हो जायेंगे। 75. गंजापन: दाना मेथी को पीसकर सिर में गंजेपन के स्थान पर रोजाना लेप करने से बाल उग जाते हैं। 76. बालों का कंडीशनर: 70 ग्राम मेथी की हरी पत्तियों को रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह पानी छानकर निकाल दें और पत्तियों को बिना पानी डालकर पीस लें। इसमें 35 ग्राम दही मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बालों पर और बालों की जड़ों में लगायें। इसे लगाने के 20 मिनट बाद धोयें। इस प्राकृतिक कंडीशनर से बाल मुलायम हो जायेंगे तथा फरास भी निकल जायेगी। मेथी और दही की मात्रा पेस्ट जैसा बनाने के लिए आवश्यकतानुसार घटा-बढ़ा लें। 77. धूम्रपान छोड़ने के लिए: 125 ग्राम दाना मेथी को रात को 1 कप पानी में 2 चम्मच नमक घोलकर भिगो दें। सुबह पानी छानकर फेंक दें तथा दाना मेथी पर 2 नींबू निचोड़कर धूप में सुखा लें या सेंक लें। धूम्रपान करने, तम्बाकू, जर्दा खाने की इच्छा होने पर आधा चम्मच मेथी मुंह में लेकर चूसते रहें। कुछ समय बाद मेथी खा जायें। इससे धूम्रपान की आदत छूट जायेगी। इससे धूम्रपान तो छूटेगा ही, साथ ही नस-नाड़ियों के अवरोध दूर होकर आंखों का तेज तथा उत्साह बढ़ेगा और स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा। 78. गले में खराश, सूजन, अल्सर: मेथी के पत्तों को उबाल-छानकर पानी से गरारे करने से लाभ होता है। 79. गलगण्ड या घेंघा (गोइटर): 100 ग्राम मेथी दरदरी (मोटी-सी) पीस लें। इस पाउडर में स्वादानुसार नमक मिलाकर एक चम्मच रोजाना 3 बार पानी से फंकी लेने से गलगण्ड में लाभ होता है। 80. लू लगना: थोडे़ से मेथी के सूखे पत्ते 1 गिलास पानी में कम से कम 4 घंटे तक भीगने दें, फिर इसे मसलकर छान लें। इसके बाद इसे शहद के साथ पीने से लू का प्रभाव दूर हो जाता है। मेथी की सूखी भाजी ठंडे पानी में भिगोकर रख दें और अच्छी तरह भीग जाने पर उसे मसलकर पानी को छान लें। उसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर पीने से लू में लाभ होता है। मेथी के पत्तों को पानी में भिगोकर कुछ घंटे रखें, फिर उन पत्तों को मसलकर, पानी को कपड़े में छानकर, उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से लू का प्रकोप समाप्त हो जाता है। मेथी के पत्तों को पीसकर शरीर पर लेप की तरह मलने से और लगभग 10 ग्राम मिश्री के साथ घोटकर पीने से शरीर को ठंडक पहुंचती है और लू नहीं लगती है। 81. मुंह में दुर्गंध होने पर: 2 चम्मच मेथी दानों को 1 गिलास पानी में उबालकर पानी छान लें। फिर मेथी दानों को खाकर आधे पानी से कुल्ला करें और बचा हुआ आधा पानी पीने से मुंह की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। 82. पायरिया: दाना मेथी को भिगोकर पानी छानकर पी जायें तथा मेथी और मिश्री को मिलाकर खायें। इससे पायरिया में लाभ होता है। 83. प्रसव के समय की परेशानी: 1 किलो दाना मेथी को पीसकर देशी घी में भून लें। फिर इसमें 1 किलो गुड़ और दुबारा घी डालकर भूने। जब गुड़, मेथी, घी मिलकर एक से हो जाये तो ठंडा करके 20-20 ग्राम के लड्डू बना बना लें। यदि गर्भवती स्त्री 8 वें महीने से रोजाना सुबह एक लड्डू लगातार खाये तो 9वें महीने के बाद बच्चे का जन्म बिना किसी कष्ट के आसानी से हो जाता है। 84. सूतिका रोग: 1 किलो मेथी को बारीक पीसकर उसमें 2 किलो घी और 12 गुना दूध मिलाकर आग की धीमी आग पर उबालकर शहद जैसा गाढ़ा बनाएं। उसके पश्चात उसमें 3 गुनी शक्कर डालकर मेथीपाक तैयार कर लें। इस मेथीपाक को प्रतिदिन सुबह 40 ग्राम तक सेवन करने से हर प्रकार के वायु (गैस) रोग नष्ट होते हैं। शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और वीर्य में वृद्धि होती है। इसके सेवन से सूतिका रोग भी दूर हो जाता है। 85. वातदर्द: मेथी को घी में भूनें और पीसकर आटा बना लें। इसके बाद गुड़ और घी की चाशनी बनाकर उसमें मेथी का आटा डालकर मिला लें और चूल्हे से उतारकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें। रोजाना सुबह यह 1-1 लड्डू खाने से वात रोग से जकड़े हुए अंग 1 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं और हाथ-पैरों में होने वाला वातदर्द दूर होता है। 86. स्तनों में दूध बढ़ाना: 30 ग्राम मेथी का आटा रात में 200 मिलीलीटर दूध में भिगोकर रख दें। सुबह-सुबह एक बर्तन में 50 ग्राम घी लेकर चूल्हे पर रखें। घी जब अच्छी तरह गर्म हो जाए तब उसमें दूध में भिगोया हुआ मेथी का आटा डालें तथा उसे हिलाकर एक रस करके बर्तन को चूल्हे से नीचे उतार लें। उसमें लाल गन्ने के 20 ग्राम गुड़ को मिलाकर अच्छी तरह हिलाएं। गर्भवत्ती महिलाओं को इसे 21 दिनों तक खिलाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। मेथी के बीज को बारीक पीसकर पेस्ट बनाकर रोजाना सुबह-शाम स्त्री के स्तनों में लगाने से स्तनों में दूध की बढ़ोत्तरी होती है। 20 ग्राम की मात्रा में मेथी को लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर 250 मिलीलीटर दूध में अच्छी तरह से पकायें जब दूध लगभग 60 ग्राम यानी CGचौथाई बच जाये तब इसमें मिश्री मिलायें। इसे प्रसूता स्त्री को पिलाने से लाभ होता है। शिशु को स्तनपान (दूध का सेवन) कराने वाली नवयुवतियों को रोजाना मेथी का रस या मेथी की सब्जी का सेवन करना चाहिए। मेथी के रस के सेवन से स्तनों में दूध का विकास होता है। 87. घाव: मेथी के दानों या पत्तों को बारीक पीसकर लेप करने से जख्म की जलन तथा सूजन मिटती है। मेथी को पीसकर फोड़े के घाव पर लगाने से रोगी का घाव ठीक हो जाता है। आधा ग्राम से 10 ग्राम मेथी को सुबह-शाम खाने से घाव की वजह से होने वाला दर्द ठीक हो जाता है। 88. अफारा: 250 ग्राम मेथी और 250 ग्राम सोया को लेकर तवे पर सेंक लें, फिर इसे मोटा-मोटा कूटकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से, लार की अधिकता, अफारा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारे आने का रोग मिट जाता है। 89. प्रदर: लगभग 3 ग्राम मेथी का चूर्ण थोड़े गुड़ और घी में मिलाकर सुबह-शाम के समय चबाकर खाने से और मेथी के आटे की पोटली बनाकर स्त्रियों की योनि में रखने से प्रदर रोग में अच्छा लाभ होता है, इस पोटली के साथ एक लंबा धागा बांधकर रखे जो योनि से बाहर लटकता रहे, ताकि पोटली को सरलतापूर्वक योनि से बाहर निकाला जा सके। मेथी का चूर्ण बनाकर उसमें थोडे़ सी मात्रा में घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है। मेथी बीज को पीसकर गर्भाशय के मुंह पर रखने से सफेद प्रदर में लाभ मिलता है। 90. खूनी दस्त: मेथी के पत्तों के रस में काली द्राक्ष पीसकर पानी में मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में बहुत लाभ होता है। मेथी के बीजों को भूनकर, फिर उसका पेस्ट बनाकर रोजाना सेवन करने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) का रोग दूर हो जाता है।
Heal without pills. No more medicine only natural herbs helps to regain your body with some easy steps.Body mechanism ko samj kar insaan ek healthy life ji sakta hai .Hamara target hai sahi knowledge dena health related issue par aur usko easily cure kar dena with the help of natural herbs.
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