रविवार, 19 अप्रैल 2020

Herb Ashwagandha

अश्वगंधा (Ashwagandha or Withania Somnifera)

विवरण

जड़ी-बूटियों या पंसारी की दुकान में आसानी से मिलने वाली अश्वगंधा बड़े काम की चीज है। वैसे यह तो यह एक जंगली पौधा है, मगर इसके औषधीय गुण काफी सारे हैं। आयुर्वेद और यूनानी मेडीसीन में अश्वगंधा को विशेष स्थान प्राप्त है। आमतौर पर अश्वगंधा को यौन शक्ति बढ़ाने की सबसे कारगर दवा के रुप में जाना जाता है। मगर आयुर्वेद में इसका उपयोग कई तरह की बिमारियों के इलाज में किया जाता है।
अश्वगंधा की कच्चे जड़ से अश्व यानि घोड़े के समान गंध आती है, इसलिए इसका नाम अश्वगंधा रखा गया है। इसे असगंध बराहकर्णी, आसंघ, आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे विंटर चेरी (Winter Cherry) कहते हैं।
अश्वगंधा वैसे तो यह पूरे भारत में पाया जाता है, मगर पश्चिमी मध्य-प्रदेश के मंदसौर जिले तथा नागौर (राजस्थान) में पायी जाने वाली अश्वगंधा सबसे गुणकारी होती है। अश्वगंधा के पौधे के जड़ और बीज का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं के रुप में किया जाता है। आयुर्वेदिक और यूनानी मेडिसीन में इसे अश्वगंधा को “Indian Ginseng भी कहा जाता है जिसका अर्थ है अंदर की ताकत बढ़ाने वाली रसायन।
अश्वगंधा एक बलवर्धक रसायन है। आचार्य चरक ने भी अश्वगंधा को उत्कृष्ट बलवर्द्धक माना है। वहीं सुश्रुत के अनुसार, यह औषधि किसी भी प्रकार की कमजोरी को कम करती है। इसका इस्तेमाल गठिया (Arthritis), तनाव, नींद में कमी, ट्यूमर, टीबी, दमा, स्किन की बीमारी, कफ-वात दमा, पीठ की दर्द, मासिक धर्म में गड़बड़ी, उच्च रक्तचाप, लीवर की समस्या समेत कई तरह की बिमारियों के दवा में किया जाता है।

फायदे

अश्वगंधा के औषधीय गुण (Medicinal Benefits of Ashwagandha)
यौन शक्ति बढ़ाने या पुष्टि-बलवर्धन की इससे कारगर दवा आयुर्वेद में और कोई नहीं है। अश्वगंधा का चूर्ण 15 दिन दूध, घी या पानी के साथ लेने पर यह शरीर को पुष्ट करता है। यह पुरुषों में वीर्य (Sperm) को ताकतवर बनाता है और वीर्य की संख्या को भी बढ़ाने में भी मदद करती है। यह एक प्रकार से कामोत्तेजक (Stimulator) की भूमिका निभाता है परंतु इसका कोई साइड इफेक्ट शरीर पर नहीं देखा गया है। यह एजिंग को रोकने का भी काम करती है  और आयु बढ़ाती है। इसके सेवन से पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ती है।
अवसाद-तनाव दूर करने और मानसिक शक्ति बढ़ाने में .
आयुर्वेद चिकित्सा में ऐसे कई प्रमाण मिले हैं जिसमें अश्वगंधा के चूर्ण को लंबी सांस के साथ सूंघने या भोजन के साथ खाने से अवसाद और तनाव दूर होते हैं। इसके अलावा यह मस्तिष्क की स्मरण शक्ति को बढ़ाने और चित्त को शांत करने में भी काफी काम करता है। मस्तिष्क की एक बीमारी है Cerebellar Ataxia, जिसमें अश्वगंधा के सेवन से बीमारी ठीक होती है और मस्तिष्क में संतुलन बना रहता है।
डायबिटीज (Ashwagandha for Diabetes)
अश्वगंधा के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर कम होता है और यह मधुमेह की बीमारी को नियंत्रण में रखती है। इसके चूर्ण खाने से कोलेस्ट्रॉल भी कम होती है।
गठिया (Ashwagandha for Arthritis)
मेडिकल रिसर्च से पता चला है कि अश्वगंधा का एक खास सप्लीमेंट Articulin-F और दूसरी जड़ी-बूटियों के साथ मिला कर सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।
पर्किंसंस की बीमारी (Ashwagandha for Parkinson’s Disease)
पर्किसंस एक दिमागी बीमारी है। जिसमें मस्तिष्क को संकेत देने वाले न्यूरॉन नष्ट हो जाते हैं और मरीज दिमागी रुप से कमजोर होने के कारण अपने शरीर पर कंट्रोल नहीं रख पाता है। शोध से पता चला है कि अश्वगंधा और कई अन्य जड़ी-बूटियों के सेवन से यह बीमारी कम होती है और मस्तिष्क में न्यूरॉन बनने लगते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर (Ashwagandha for High Blood Pressure)
इसके सेवन से रक्तचाप में कमी आती है। हालांकि कम रक्तचाप (Low Blood Pressure) वाले इसके सेवन से परहेज करें।
कैंसर और ट्यूमर (Ashwagandha for Cancer and Tumor)
शोध से पता चला है कि अश्वगंधा की जड़ में कुछ ऐसे तत्व भी हैं जिसमें कैंसर के ट्यूमर की वृद्धि को रोकने की पर्याप्त क्षमता होती है। इसकी जड़ में अल्कोहल के गुण होते हैं जो शरीर पर कोई टॉक्सिन नहीं छोड़ता है और इसमें ट्यूमर के ग्रोथ को रोकने की क्षमता होती है। अश्वगंधा कैंसर से छुटकारा दिलाने में बहुत सहायक होता है।
वात विकार (Ashwagandha for Gastric Problems)
इसके सेवन से किसी भी तरह के वात के विकार की बीमारी खत्म होती है। अश्वगंधा चूर्ण दो भाग, सोंठ एक भाग तथा मिश्री तीन भाग अनुपात में मिलाकर सुबह-शाम खाने के बाद गर्म पानी के साथ लें। यह संधिवात, गैस तथा पेट की और बीमारियों को खत्म करता है।
कफ-खांसी और दमा (Ashwagandha for Cough and Asthma)
कफ-खांसी और दमा में अश्वगंधा रामबाण की तरह काम करता है। इसके चूर्ण को गर्म दूध के साथ सेवन करें काफी आराम मिलेगा।
अनिद्रा-रोग में (Ashwagandha for Insomnia)
अश्वगंधा स्वाभाविक नींद लाने के लिए एक अच्छी दवा है, जिन्हें गहरी नींद नहीं आती या फिर जो नींद नहीं आने के रोग से परेशान हैं उन्हें इसका खीर पाक बनाकर सेवन करना चाहिए।
स्त्री रोगों में (Ashwagandha for Gynecological Problems)
श्वेत प्रदर में इसका चूर्ण 2 ग्राम के साथ, 1/2 ग्राम वंशलोचन मिलाकर सेवन करें। अल्प विकसित स्तनों के विकास के लिए शतावरी चूर्ण के साथ सेवन करना चाहिए।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए (Ashwagandha for Eye Sight)
यदि अश्वगंधा, मुलहठी और आंवला तीनों को समान मात्रा लेकर चूर्ण बनाकर एक चम्मच नियमित रूप से सेवन किया जाये तो आंखों की रोशनी बढ़ती है।
और भी बीमारियों में आता है काम (Ashwagandha for other Health Problems)
1. टीबी (Tuberculosis)
2. लीवर की बीमारी(Liver problems)
3. सूजन (inflammation)
4. रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने में (Increasing Immune System)
5. एजिंग को कम करने में (Anti-Aging)

सावधानी

सावधानी और साइड इफेक्ट (Precautions and Side Effect of Ashwagandha)
पेट का अल्सर (Abdomen Ulcer)
अगर आपको पेट के अल्सर की बीमारी है तो इसका सेवन नहीं करें। इसके सेवन से पेट की आंतों में खासकर Gastrointestinal (GI) Tract में सूजन हो सकती है।
सर्जरी (Surgery)
अश्वगंधा सेंट्रल नर्वस सिस्टम के कार्य़क्षमता में कमी लाती है। ऐलोपैथी चिकित्सकों के अनुसार सर्जरी से पहले एनेस्थेसिया(बेहोशी की दवा) देने के दौरान अगर रक्त में अश्वगंधा रहे तो यह नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकता है। इसलिए सर्जरी से दो हफ्ते पहले तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्भपात (Abortion)
अगर कोई गर्भवती हैं तो उसे अश्वगंधा का सेवन नहीं करनी चाहिए। इससे गर्भपात हो सकता है।
थॉयराइड (Thyroid)
इसके सेवन से थॉयराइड हार्मोन का स्राव तेजी से होने लगता है। जिसे थॉयराइड की बीमारी हो उसे इसके सेवन से परहेज करनी चाहिए।
सेडेटिव (Sedative)
वैसी दवा जिसके सेवन से नींद और नशे आती हो उसे सेडेटिव ड्रग कहते हैं। जो सेडेटिव ड्रग ले रहे हैं उन्हें अश्वगंधा का सेवन नहीं करनी चाहिए। अगर सेडेटिव ड्रग के साथ अश्वगंधा लेंगे तो ज्यादा नींद और नशे की शिकायत हो सकती है क्योंकि अश्वगंधा में पहले से ही सेडेटिव के गुण होते हैं।


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