गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

अण्डकोषों में पानी भर जाना (Hydrocele)

अण्डकोषों में पानी भर जाना (Hydrocele)

जानकारी:-

इस रोग में रोगी के अण्डकोषों में पानी भर जाता है जिसके कारण उसके अण्डकोष में सूजन आ जाती हैं। जब यह रोग किसी व्यक्ति को होता है तो उसके केवल एक ही तरफ के अण्डकोष में पानी भरता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

अण्डकोषों में पानी भर जाने का लक्षण :-

          प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति के अण्डकोषों में दर्द होने लगता है। रोगी के अण्डकोष का एक भाग सूज जाता है, कभी-कभी तो ये इतने बढ़ जाते है कि व्यक्ति को चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है। यदि रोगी व्यक्ति के अंडकोष में सूजन के साथ तेज दर्द होने लगता है तो समझना चाहिए कि रोगी व्यक्ति को हाइड्रोसील अण्डकोषों में पानी भर जाने का रोग हो गया है। जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो इसके कारण जननेन्द्रिय की सारी नसें कमजोर और ढीली पड़ जाती हैं जिसके कारण रोगी व्यक्ति को उल्टी तथा मितली भी होने लगती है और कब्ज भी रहने लगती है।

अण्डकोषों में पानी भर जाने का कारण :-

प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार यह रोग किसी व्यक्ति को यौन अंगों में विजातीय द्रव्यों (दूषित मल) के इकट्ठा हो जाने के कारण होता है।

गलत तरीके से खान-पान की आदतें तथा समय पर खाना न खाने के कारण यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।

अन्य रोग जो दवा से दबाए गए हो या फिर संभोग सबंधी उत्तेजना को एक दम से रोक देने के कारण भी यह रोग हो जाता है।

मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

भारी वजन उठाने, अधिक पैदल चलने, अंगों को तोड़ने या अंगड़ाई लेने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

संभोगक्रिया अधिक करने के कारण भी कभी-कभी अण्डकोषों में पानी भर जाता है।

अण्डकोषों में पानी भर जाने से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

1)इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कम से कम 2 सप्ताह तक प्रतिदिन संतरे का रस या अनार का रस पीना चाहिए। रोगी को कच्चे सलाद में नींबू डालकर सेवन करना चाहिए और उपवास रखना चाहिए।

2)रोगी व्यक्ति को कटिस्नान, मेहनस्नान, सूखा घर्षण, गर्म एवं नमक स्नान (नमक मिले पानी से स्नान) करना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में व्यायाम करना चाहिए तथा इसके साथ सूर्य स्नान भी करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाता है।

3)इस रोग को ठीक करने के लिए पीले रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 4 बार सेवन करना चाहिए तथा इस जल का सेवन करने से पहले रोगी व्यक्ति को एक घण्टे तक लाल प्रकाश और उसके बाद कम से कम 2 घण्टे तक नीला प्रकाश अण्डकोष पर डालना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

4)अण्डकोष की सूजन: लगभग 1-4 ग्राम की मात्रा में फिटकरी और माजूफल को लेकर पानी के साथ बारीक पीस लें, फिर इस तैयार मिश्रण का लेप अण्डकोष पर करने से कुछ ही दिनों में अण्डकोष की सूजन दूर होती है। भुनी फिटकरी 1-1 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अण्डकोष के सूजन और बढे़ हिस्से सही हो जाते हैं। फिटकरी को पानी में पीसकर अण्डकोष पर लेप करने से लाभ होता है।

5)अंडकोषों में पानी भर जाने पर रोगी 10 ग्राम काटेरी की जड़ को सुखाकर उसे पीस लें. फिर उसके पाउडर / चूर्ण में 7 ग्राम की मात्रा में पीसी हुई काली मिर्च डालें और उसे पानी के साथ ग्रहण करें. इस उपाय को नियमित रूप से 7 दिन तक अपनाएँ. ये हाइड्रोसील का रामबाण इलाज माना जाता है क्योकि इससे ये रोग जड़ से खत्म हो जाता है और दोबारा अंडकोषों में पानी नही भरता.

6)निजी अनुभव जो अब मे आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ ।
मुझे ये समस्या हुई थी उस समय मेने कोकवा powder जिससे केक या चॉकलेट बनती हैं उसको मेने रोज रात को सोने से पहले 1ग्राम सादे पानी के साथ लिया वो भी बस 7 दिनो तक परिणाम ये आया की मेरे अनड़कौष मे जो दर्द हो रहा था जिस कारण मुझे चलने मे भी दिक्कत हो रही थी वो बिल्कुल ठीक हो गई।और रोज सुबाह मेने एक मुद्रा की जिसे वज्रोली कहा जाता है जिस कारण मे पूरी तरह से ठीक हो चुका हूं ।

चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करें वज्रोली मुद्रा द्वारा

Vajroli Mudra in Hindi: जानिए इसकी विधि और लाभ

विधि

किसी भी ध्यानात्मक आसन पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएँ |

दोनों हाथ घुटनों पर रखें और आँखे को बंद कर ले तथा नाक से साँस लेते रहे|

अन्तः कुम्भक करें अर्थात साँस अन्दर रोककर रखें, इस स्थिति में गुदाद्वार एवं अंडकोष के बीच के भाग को उपर की तरफ संकुचित करें|

इसके बाद साँस को बाहर निकालकर पेट को शिथिल करते हुए पेट के नीचे के भाग को इस तरह से खींचे जैसे मल-मूत्र के वेग को रोकते समय खींचते हैं|

जितनी देर इस स्थिति में रह सकते है रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएँ| इस क्रिया को 30-50 बार दोहराएं|

Easy words me samjhe:

Vajroli Kriya में यही करना होता है| साँस को ऊपर चढ़ाते हुए गुदा क्षेत्र की समस्त मांसपेशियों को पैर की तरफ इस प्रकार चढ़ाया जाता है कि मानो पिचकारी द्वारा पानी को ऊपर खींचा जा रहा है|

Vajroli Mudra Benefits: जानिए इसके लाभ

इस क्रिया के अभ्यास से समय से पूर्व होने वाली वीर्य स्त्राव और स्वप्नदोष की समस्या में लाभ मिलता है|

इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर की शक्ति, सुंदरता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है|

कुंडलिनी को जागृत करने में भी इस मुद्रा का विशेष महत्त्व होता है|

यह क्रिया प्रजनन संस्थान को सबल बनाती है और यौन रोग में भी व्रजोली मुद्रा फायदेमंद है|


नोट:अंडकोष का एक शिरा फूल जाना: प्रतिदिन किशमिश खाने से अंडकोष का एक शिरा बढ़ना ठीक होता है। 2. अंडकोष में पानी भरना: किशमिश प्रतिदिन खाने से अंडकोष में पानी भरना रोग ठीक होता है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Saffron health benefits

  परिचय : केसर की खेती भारत के कश्मीर की घाटी में अधिक की जाती है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती ह...